राहुल बनाम मोदी का संसद से भी बढ़िया मुकाबला होगा 2024 के विधानसभा चुनावों में

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लोकसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्ष को जोश से भर डाला है, और सबसे ज्यादा असर राहुल गांधी पर दिखाई दे रहा है. तभी तो वो अभी से ही गुजरात में भी बीजेपी को हराने का दावा करने लगे हैं.

महाराष्ट्र और झारखंड में तो नहीं, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से है - और ऐसे में, गुजरात से पहले राहुल गांधी को ये सुनिश्चित करना चाहिये कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन जाये.

बतौर नेता प्रतिपक्ष लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने बोल दिया है कि गुजरात में भी इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. ये बात सुनने में तब अच्छी लगती जब केंद्र की सत्ता पर भी इंडिया गठबंधन काबिज हो गया होता. लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो राहुल गांधी को बड़े दिनों बाद लोगों ने एक मजबूत विपक्ष का नेता बनाया है, और अब जरूरत है कि वो लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करें, न कि सत्ता पक्ष के साथ तू-तू मैं-मैं की राजनीति में उलझ कर समय गंवा डालें.

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भरी संसद में राहुल गांधी ने ऐलान-ए-जंग वाले अंदाज में कहा है, 'आप लिख के ले लो आपको इंडिया गठबंधन गुजरात में हराने जा रहा है.'

गुजरात में इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव भी लड़ रहा था, जिसमें कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी के हिस्से में भी एक सीट आई थी - लेकिन कांग्रेस महज एक ही सीट जीत सकी. कांग्रेस ने जो सीट अरविंद केजरीवाल की पार्टी को दिया था, उस सीट पर सोनिया गांधी के राजनीतिक सहयोगी रहे अहमद पटेल के बच्चे चुनाव लड़ना चाहते थे.

गुजरात से कांग्रेस के पास एक लोकसभा सांसद के साथ साथ एक राज्यसभा सांसद भी है, और 182 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ 13 विधायक हैं. 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक 4 विधायक कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में जा चुके है - राहुल गांधी को ये भी नहीं भूलना चाहिये.

लोकसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से 2024 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों का अंदाजा लगाने की कोशिश की जाये, तो महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य रहा जहां कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे बढ़िया रहा. कांग्रेस महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 13 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही, और MVA ने बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति को पीछे छोड़ दिया था.

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हरियाणा में बीजेपी के साथ कांग्रेस का मुकाबला बराबरी का जरूर रहा, लेकिन वहां कांग्रेस और हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम मिल कर भी बीजेपी गठबंधन से पिछड़ गये. बीजेपी गठबंधन को झारखंड में जहां 9 सीटें मिली थीं, कांग्रेस को 2 और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 3 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है.

और ये भी जरूरी नहीं है कि विधानसभा चुनावों के नतीजे भी लोकसभा चुनाव जैसे ही हों - ऐसे में फिलहाल संसद में राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी का जो मुकाबला चल रहा है, सही पैमाइश तो उसकी विधानसभा चुनावों में ही हो सकेगी.

1. राहुल गांधी को पहले हरियाणा पर फोकस करना चाहिये

दिल्ली से गुजरात बहुत दूर भी है, और चुनाव में बहुत देर भी है, हरियाणा से तुलना करने पर तो ऐसा ही कह सकते हैं - इसलिए राहुल गांधी को पहले सारी ऊर्जा हरियाणा में झोंक देनी चाहिये, और ये देखना चाहिये कि हरियाणा में हाथ, हालात बदल पता है या नहीं?

2014 में कांग्रेस को बेदखल कर बीजेपी ने हरियाणा में सरकार बना ली थी, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बहुमत से चूक गये थे. मौका तो कांग्रेस के पास भी सरकार बनाने का बीजेपी जितना ही था.

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दुष्यंत चौटाला की पार्टी किंगमेकर की भूमिका में उभरी थी. बीजेपी ने बाजी मार ली, और कांग्रेस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. इस बार बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट चुका है, ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी में भी मुकाबला है - जाहिर है कांग्रेस के पास बीजेपी को चैलेंज कर बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का बड़ा मौका है.

बीजेपी पहले से ही तैयारी कर रही है, और लोकसभा चुनाव के बाद तो वो हर हाल में हरियाणा की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करना चाहेगी. लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने हरियाणा में मुख्यमंत्री बदल दिया है.

कमान अब नायब सैनी के हाथ में और हरियाणा के लोग कुछ और न सोचें या कोई नाराज न होने पाये, इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मोदी कैबिनेट में शामिल कर लिया गया है. पूरी संभावना है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुकाबला राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी बनाने की होगी - और नतीजे ही बताएंगे कि मोदी का जादू आगे भी चलेगा या नहीं, और राहुल गांधी के अच्छे दिन जल्दी आने वाले हैं या नहीं.

2. हेमंत सोरेन को राहुल गांधी कितना फायदा दिला पाएंगे

झारखंड की बात करें तो हेमंत सोरेन के जेल जाने का उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई फायदा नहीं मिला, सिवा उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के गांडे विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने के - अब अगला मोर्चा झारखंड विधानसभा चुनाव है.

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हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ चुके हैं, और कोर्ट की टिप्पणी से तो ऐसा ही संदेश फैला है कि ईडी ने बिना मतलब पकड़ कर जेल भेज दिया था. गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा था, और तमाम कोशिशों के बावजूद वो कल्पना सोरेन को गद्दी नहीं सौंप सके.

वैसे जेल से छूटने के बाद हेमंत सोरेन बीजेपी के खिलाफ आक्रामक नजर आ रहे हैं, और खुलेआम चैलेंज कर रहे हैं. असल में, वो विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गये हैं. अभी ये नहीं साफ है कि चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने रहेंगे, या हेमंत सोरेन कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं.

हेमंत सोरेन की उपलब्धि भी इंडिया गठबंधन में होने के नाते राहुल गांधी के खाते में ही जाएगी. बीजेपी ने झारखंड की कमान पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को सौंपी हुई है, क्योंकि 2019 में सत्ता गंवा चुके रघुबर दास तो ओडिशा के राज्यपाल बना दिये गये हैं.

झारखंड में ड्राइविंग सीट पर तो हेमंत सोरेन ही होंगे, न कि राहुल गांधी. हां, मैदान में तो हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी डटे हुए हैं, लेकिन चुनाव के दौरान मुकाबला राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी के रूप में ही देखा जाएगा.

3. महाराष्ट्र चुनाव भी बीजेपी मोदी के चेहरे पर ही लड़ेगी या नहीं

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हरियाणा की ही तरह कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में भी अच्छा मौका है. लोकसभा चुनाव के नतीजों से तो यही लगता है कि बीजेपी गठबंधन बुरी तरह पिट गया है, जबकि महा विकास अघाड़ी सत्ता गंवा देने के बावजूद बेहतर स्थिति में है - अब देखना ये है कि विधानसभा चुनाव में क्या होने वाला है.

बेहतर स्थिति में होने के बावजूद महा विकास अघाड़ी को कामयाबी तभी मिल सकती है, जब तीनों पार्टनर विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव की तरह ही मिलजुल कर लड़ते हैं. अभी तो जो बातें सुनने को मिल रही हैं, ऐसा लग रहा है जैसे तकरार बढ़ने लगी है.

हाल ही में नाना पटोले के नाराजगी की खबर आई थी, और अब तो शरद पवार का भी बयान आ चुका है कि MVA के मुख्यमंत्री का चेहरा कोई एक शख्स नहीं हो सकता - मतलब, साफ है उद्धव ठाकरे के नाम पर अब पहले जैसी सहमति नहीं रह गई है.

शरद पवार पहले ये भी कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने सीटों पर समझौता कर लिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में वैसा नहीं होगा. यानी, ज्यादा सीटों पर दावेदारी होगी. एमएलसी चुनाव में नाना पटोले आरोप लगा चुके हैं कि बगैर राय मशविरे के उम्मीदवार मैदान में उतार दिये गये - कुल मिलाकर झगड़ा तो बढ़ ही गया है.

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लोकसभा चुनाव के नतीजों से तो यही लगता है कि महाराष्ट्र के लोग उद्धव ठाकरे के साथ बीजेपी के व्यवहार से खुश नहीं थे, और विधानसभा चुनाव में भी वैसे ही नतीजों की संभावना लगती है - लेकिन ये तभी संभव है जब एमवीए के सभी सहयोगी मन से मिलकर चुनाव लड़ें - वरना, बीजेपी बड़े आराम से बाजी मार ले जाएगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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