महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के विरोधियों को क्यों तवज्जो दे रही है बीजेपी?

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महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में लगे बड़े झटके से बीजेपी कैसे निपटे यह उसकी समझ में नहीं आ रहा है. बीजेपी ने चुनावों से पहले जितनी चालें चलीं जनता की अदालत में सभी फेल हो गईं. शिवसेना और एनसीपी को बांटने का भी असर नहीं हुआ.

2019 की तुलना में बीजेपी को 14 सीटों का नुकसान हुआ, और पार्टी केवल 9 सीट जीतने में ही सफल हो सकी. जाहिर है इस नाकामी के सबसे बड़े जिम्मेदार प्रदेश के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को माना जाएगा. शायद यही सोचकर फडणवीस ने त्यागपत्र की पेशकश की थी. उन्होंने सरकार से बाहर रहकर पूरे समय संगठन में काम करने की इच्छा जताई थी. हालांकि उनके रिजाइन करने की नौबत नहीं आई पर एक बदलाव जरूर दिखाई दे रहा है, जिससे निश्चित ही फडणवीस परेशान हो रहे होंगे.

बीजेपी अब नए सिरे से महाराष्ट्र में अपना आधार बनाने के मकसद सेकाम कर रही है. खास बात यह है कि बीजेपी चुन चुनकर फडणवीस विरोधियों को महत्वपूर्ण भूमिका में ला रही है. अब देखना ये है कि महाराष्ट्र में बीजेपी का ये नया अंदाज कितना कारगर साबित होता है.

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पंकजा मुंडे को भी मंत्री पद देने की तैयारी

महाराष्ट्र बीजेपी में पंकजा मुंडे कई वर्षों से उपेक्षित महसूस कर रही थीं. शायद इसका कारण फडणवीस से उनका छत्तीस का आंकड़ा होना रहा है. पर लोकसभा चुनाव में हार के बाद, भाजपा को लगता है कि पंकजा मुंडे मराठावाड़ में पार्टी के लिए संकटमोचक बन सकती हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार मराठावाड़क्षेत्र में एक भी सीट जीतने में नाकाम रहने के बाद, बीजेपी इस ओबीसी नेता को विधान परिषद के जरिए सदन में लाने और उसके बाद मंत्री पद देने की योजना बना रही है.

एक समय महाराष्ट्र में भाजपा के सबसे प्रमुख ओबीसी चेहरारहे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की तीन बेटियों में सबसे बड़ी, पंकजा ने देवेंद्र फडणवीस के उदय के बाद से राज्य इकाई में खुद को दरकिनार किए जाने का दुख कभी नहीं छिपाया. पार्टी ने इस बार मराठा आरक्षण विरोध और ओबीसी लामबंदी के कारण अपनी जमीन खिसकने का एहसास होने के बाद ही पंकजा को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया था. बीड से पंकजा को टिकट उनकी बहन प्रीतम की कीमत पर मिला, जो इस क्षेत्र से दो बार सांसद रही हैं. हालांकि, पंकजा 6,000 वोटों के मामूली अंतर से हार गईं, लेकिन पार्टी अब उनके लिए एमएलसी चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए तैयार है.

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भाजपा के पास प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले के रूप में एक ओबीसी चेहरा है, जो विदर्भ के रहने वाले हैं और जाति से तेली हैं. लेकिन मराठावाड़में एक ओबीसी चेहरे को सशक्त बनाने से मुंडे नाम के प्रभाव के अलावा और अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है. गौरतलब है कि भाजपा इस बार मराठावाड़की आठ लोकसभा सीटों में से एक भी नहीं जीत सकी. मराठावाड़ में कुल 46 विधानसभा क्षेत्रों पर पार्टी की नजर है. औरयह भी संभव है कि पंकजा को राज्यसभा में भेजकर नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.

एकनाथ खड़से कभी भी बीजेपी जॉइन कर सकते हैं

महाराष्ट्र बीजेपी के दिग्गज नेता रहे एकनाथ खडसे के बीजेपी जॉइन करने की अटकलें लोकसभा चुनाव के दौरान ही शुरू हो गईं थीं. हालांकि, अब कहा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में उनकी बीजेपी में वापसी हो सकती है. फडणवीस के साथ सत्ता संघर्ष के चलते ही उन्होंने पार्टी छोड़कर एनसीपी जॉइन कर ली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात काफी सकारात्मक रही है. पार्टी उन्हें घर वापसी पर बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. यह जिम्मेदारी सरकार और संगठन दोनों में कहीं भी हो सकती है. कहा जा रहा है कि पार्टी ने एकनाथ खडसे और बीजेपी नेता और मंत्री गिरीश महाजन के बीच झगड़े को सुलझा लिया है. लोकसभा चुनावों में खडसे ने शरद पवार की पार्टी में रहते हुए भी बीजेपी के लिए प्रचार किया था. तभी तो बीजेपी ने रावेर लोकसभा से जीत की हैट्रिक लगाने वाली उनकी बहू रक्षा खडसे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया है.

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खडसे ने तो देवेंद्र फडणवीस से मतभेद होने के बाद बीजेपी छोड़ दी थी, हालांकि उनकी बहू रक्षा खडसे बीजेपी में बनी रहीं. अगर खडसे बीजेपी में लौटते हैं तो न सिर्फ शरद पवार को झटका लगेगा बल्कि जलगांव और इसके आसपास की राजनीति पर बड़ा फर्क पड़ सकता है.

विनोद तावड़े को भी मिल सकती है महत्वपूर्ण भूमिका

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा को लगे तगड़े झटके के पीछे मराठों की नाराजगी भी एक प्रमुख कारण रहा है. कुछ ही महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में भी मराठे बीजेपी से किनारा न कस लें, इसलिए पार्टी किसी मराठी चेहरे को महत्वपूर्ण भूमिका देने की तैयारी में है. प्रदेश में मराठों की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत है. इसे देखते हुए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस समय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे विनोद तावड़े की महाराष्ट्र की राजनीति में वापसी करा सकता है.

विनोद तावड़े का 2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में टिकट काट दिया गया था. फडणवीस के साथ मुख्यमंत्री पद के लिए वे भी तगड़े दावेदार थे. फडणवीस से नहीं बनने के चलते ही उन्हें पार्टी ने उन्हें महासचिव बना कर संगठन के कार्यों में लगा दिया. बिहार के प्रभारी के रूप में उनके काम की काफी तारीफ हो रही है. नीतीश कुमार को एनडीए में वापसी कराने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है. देश भर में बहुत से सेलेब्रेटी और दूसरी पार्टी के नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है. बीजेपी विनोद तावड़े के अनुभवों का लाभ महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में ले सकती है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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