‘1000 बेबीज’ रिव्यू- अच्छी-खासी क्राइम थ्रिलर सीरीज में कर दीं ये ‘गलतियां

निर्देशक: नजीम कोया स्टार कास्ट: नीना गुप्ता, रहमान, संजू शिवराम, आदिल इब्राहिम, जॉय मैथ्यू आदि कहां देख सकते हैं: हॉट स्टार पर स्टार रेटिंग: 3

मूल रूप से मलयालम में बनी और OTT प्लेटफ़ॉर्म हॉट स्टार पर रिलीज़ ये मूवी हिन्दी दर्शकों को नीना ग

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निर्देशक: नजीम कोया स्टार कास्ट: नीना गुप्ता, रहमान, संजू शिवराम, आदिल इब्राहिम, जॉय मैथ्यू आदि कहां देख सकते हैं: हॉट स्टार पर स्टार रेटिंग: 3

मूल रूप से मलयालम में बनी और OTT प्लेटफ़ॉर्म हॉट स्टार पर रिलीज़ ये मूवी हिन्दी दर्शकों को नीना गुप्ता के लीड रोल से बेची जा रही है. हालाँकि सीरीज़ के हीरो रहमान मलयालम फ़िल्मों का बड़ा चेहरा हैं और ए आर रहमान की साली के पति भी हैं. इस वेब सीरीज का टाइटल ‘1000 बेबीज’ भी थोड़ा हट के है, पढ़कर लगा कि निठारी कांड जैसी कोई बच्चों के हत्यारे की कहानी होगी. लेकिन ये उससे भी ज़्यादा हैरान कर देने वाली कहानी है. वाक़ई में ये सीरीज एक बेहतरीन सस्पेंस थ्रिलर है, लेकिन निर्देशक लेखक का एजेंडा और आसान पकड़ में आ जाने वाली ग़लतियाँ मजा भी ख़राब कर देती हैं. ‘1000 बेबीज’ कहानी जाम्बिया की नर्स के 5000 बच्चे बदलने के कुबूलनामे की एक फर्जी कहानी नेट पर घूमती रहती है, इस सीरीज का आइडिया उसी से लिया हो सकता है. जबकि उस कहानी को दुनियाभर के मीडिया हाउसेज फैक्ट चैक में झूठी साबित कर चुके हैं. इस सीरीज की कहानी भी केरल की एक ऐसी नर्स सारा (नीना गुप्ता) की है, जो रिटायरमेंट के बाद अपने कुंवारे बेटे बिबिन (संजू शिवराम) के साथ रहती है और शुरुआत ही में वो अपने बेटे से ये खुलासा करती है कि उसको हॉस्पिटल में नवजात बच्चे बदलने में आनंद मिलता था, सो उसने क़रीब हज़ार बच्चे बदल दिये, यहां तक कि बिबिन भी उसका बेटा नहीं. उसने उन 1000 बच्चों के नाम, परिवार और पते एक कमरे की दीवारों पर लिखे हुए थे.

ग़ुस्से में बिबिन उस पर हमला करता है और सारा मारने से पहले एक वकील और पुलिस अधिकारी को एक एक लिफ़ाफ़ा देकर मर जाती है. अगले एपिसोड में एक नई कहानी शुरू होती है, जब एक फ़िल्मकार की अभिनेत्री पत्नी की अजीबोग़रीब तरीक़े से हत्या हो जाती है. पुलिस अधिकारी अजी कुरियन (रहमान) उसके पति को गिरफ़्तार करते हैं, तब बिबिन की भूमिका का भी खुलासा होता है. ऐसे में फिर से 12 साल बाद वो कहानी खुलने लगती है, पुलिस अधिकारी और वकील (अब जज ) को दिये लिफ़ाफ़े भी. लेकिन अभिनेत्री का पति बिबिन का फोटो देख उसे बीनीं मानने से इंकार कई देता और कहानी फिर से उलझ जारी है.

एक के बाद कई हत्याएं जैसे जैसे कहानी बढ़ेगी, नये नये किरदार भी जुड़ेंगे और होंगी एक के बाद एक कई हत्याएं भी. ऐसे में सीरीज़ का रोमांच तो कभी कम नहीं होता लेकिन थ्रिलर फ़िल्मों में जो मजबूर लॉजिक किसी घटना के होने चाहिये, उस पर ये सीरीज़ कई जगह खड़ी नहीं उतरती.

क्या गले से उतर पाती हैं ये बातें? बहुत लोग शायद हत्यारे की इतने मर्डर्स की वजह को ही गले से ना उतार पाएं. कई सवाल उठते हैं, जब नर्स ने डायरी में सबके नाम पते लिखे ही थे तो सावरकर की तरह दीवारों पर लिखने की ज़रूरत क्या थी? इतने दिन से एक कमरे में वो ये सब लिखती थी और इकलौते बेटे को पता भी नहीं चला? मर्डर्स के बीच में सालों का इंतज़ार भी हज़म नहीं हुआ? क्यों लेता था हत्यारा इतना समय? और कहां से लाता था इतने पैसे कि तीन-तीन लाख रुपए बांट देता था, और उसने ‘ब्रेकिंग इन टू बैड’ की तरह शानदार लैब भी बना रखी थी, महीनों एक जगह पर रहता था, तब भी पुलिस ने उसके मोबाइल नंबर के आधार पर ढूँढने की कोशिश नहीं की.

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पुलिस चाहती तो उसके फोटो या वीडियो को किसी भी मनगढ़ंत कहानी के साथ वायरल कर देती तो लोग ही खबर कर देते. लेकिन पुलिस ने ये सब करना तो दूर, कभी उसका मोबाइल नंबर तक नहीं पूछा.

इन चीजों की कतई जरूरत नहीं थी उस पर सीरीज़ में जबरन एक कट्टर हिंदू नेता के किरदार को रखना, जो बीफ खाता हो, मुस्लिमों के ख़िलाफ़, महिलाओं के टी शर्ट जींस के ख़िलाफ़ भी अपने वीडियो बनाकर वायरल करता हो, जैसे मूर्ख की तरह पेश करना, एक हिंदू किरदार का नाम खलील जिब्रान रखना, मुस्लिम कसाई को पढ़ाई का विरोधी दिखाना, इस सीरीज़ की ज़रूरत क़तई नहीं थी, इस झमेले में थ्रिलिंग सेंस मानो ग़ायब ही हो जाता है. उस पर कमरे में मौजूद तीन में से दो का वीडियो बनने के बावजूद उस तीसरे पर शक ना करना भी बच्चों जैसा लॉजिक लगा.

ये चीज खलती है फिर आख़िर में सीरीज़ सीक्वल की तरफ़ इशारा करके कई सवालों के जवाब दिये बिना ऐसे ही ख़त्म हो जाती है. सो और बुरा लगता है. यूँ इस सीरीज़ के 7 एपिसोड हैं, निर्देशक नजीम जोया हैं और लेखक एराउज इरफान. नीना तो ख़ैर दमदार अभिनेत्री हैं ही, रहमान और संजू शिवराम रोल में अंदर तक घुसे दिखते हैं. बेहतर होता कि एक बार में ही खत्म कर दी जाती तो लोगों को ज्यादा आनंद आता.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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