लोकसभा में सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर इंडिया ब्लॉक में दरार देखने को मिल रही है. अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव के तेवरों ने भी यह जाहिर कर दिया है कि वो कांग्रेस से खफा हैं. गुरुवार को नाराजगी की खबरों पर अखिलेश ने कहा, मैं कांग्रेस पार्टी से नाराज नहीं हूं, लेकिन जो लोग पार्लियामेंट में सीटिंग अरेंजमेंट करते हैं उनको यह ध्यान रखना चाहिए कि बीजेपी हम गठबंधन के लोगों को लड़ाने का काम करेगी. बीजेपी नहीं चाहती है कि इंडिया गठबंधन के लोग एकजुट हों. सीटिंग अरेंजमेंट कोई बहुत बड़ा इशू नहीं है. हम जब चाहें, तब सॉल्व कर लेंगे.
इससे पहले मैनपुरी की सपा सांसद और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव का बयान आया. उन्होंने कहा, यह मामला (सीटिंग अरेंजमेंट) स्पीकर के समक्ष उठाया है. हमने स्पीकर से इस पर विचार करने और आगे की पंक्ति में एक और सीट देने के लिए कहा है. हमें पूरा भरोसा है कि वो हमारी बात सुनेंगे. अखिलेश की नाराजगी की चर्चाओं पर डिंपल ने कहा, ऐसी कोई बात नहीं है. स्पीकर ही सीटों को लेकर निर्णय लेते हैं. उनसे बात हो चुकी है.
जब सपा सांसदों ने बना ली दूरी...
इससे पहले दिन में जब सदन की शुरुआत हुई तो सपा को अलग देखा गया. नेता विपक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस नेताओं के साथ विरोध-प्रदर्शन में कोई भी सपा सांसद शामिल नहीं हुआ.
लोकसभा में कैसा है सीटिंग अरेंजमेंट?
लोकसभा में 'रूल्स ऑफ प्रोसीजर ऑफ बिजनेस' के रूल 4 के तहत संसद सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की जाती है. रूलबुक के अनुसार ही स्पीकर सीटें तय करते हैं. हालांकि, स्पीकर रूलबुक से अलग जाकर बैठक व्यवस्था में बदलाव नहीं कर सकते हैं. सिटिंग अरेंजमेंट के लिए एक फॉर्मूला भी तय किया गया है. पहले पार्टी के सांसदों की संख्या देखी जाती है, उसके बाद बैठक क्षमता के आधार पर सीटें आवंटित की जाती हैं.
लोकसभा में कुल 543 सदस्य हैं. लोकसभा की बैठक व्यवस्था को 8 ब्लॉक में बांटा गया. पहली पंक्ति में कुल 20 सीटें हैं. जबकि एक ब्लॉक में पीछे 12 पंक्तियां हैं और एक पंक्ति में छह लोग बैठ सकते हैं. वहीं, सभी ब्लॉक की पहली पंक्ति में जो 20 सीटें हैं, उनमें 11 एनडीए को मिली हैं और 9 इंडिया ब्लॉक के हिस्से आई हैं. बीजेपी की 8 और कांग्रेस की 4 सीटें हैं.
आगे पंक्ति में कौन बैठ सकता है?
नियम के मुताबिक पार्टी में सांसदों की संख्या को पंक्ति में मौजूद कुल सीटों (6) से मल्टीप्लाई किया जाता है और फिर उसे सदन में कुल सांसदों की संख्या से डिवाइड कर दिया जाता है. जैसे सपा के 37 सांसद हैं. ऐसे में पहली पंक्ति में सपा को मिलने वाली सीटों की संख्या 37x 20/ 543= यानी 1 होगी. ये फॉर्मूला 5 या उससे ज्यादा सांसदों वाली पार्टियों पर लागू होता है.
अब तक क्या सीट अरेंजमेंट था?
अब तक 8वें ब्लॉक की पहली पंक्ति में नेता विपक्ष राहुल गांधी के बगल में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और अयोध्या से वरिष्ठ सांसद अवधेश प्रसाद बैठते थे. दो अन्य सांसदों को भी जगह दी गई थी. लेकिन हाल ही में सीटिंग व्यवस्था में बदलाव के बादसपा सांसदों को छठे ब्लॉक में सीटें आवंटित की गई हैं.
संसद में सत्तारूढ़ पार्टी और उसके गठबंधन में सहयोगी दलों के सांसद स्पीकर के दाएं तरफ बैठते हैं. वहीं, स्पीकर के बाएं तरफ नेता विपक्ष और उनकी पार्टी और उनके सहयोगी दलों के सांसदों के बैठने की व्यवस्था की जाती है.
पहले ब्लॉक में पहली पंक्ति की पहली सीट प्रधानमंत्री की होती है. जबकि आठवें ब्लॉक में पहली पंक्ति की पहली सीट नेता विपक्ष की फिक्स होती है. ये सीट प्रधानमंत्री के सामने होती है. यानी सदन में पहला और 8वां ब्लॉक सबसे अहम माना जाता है. दोनों ब्लॉक के ठीक बगल में ऊपर स्पीकर की चेयर होती है. पहले ब्लॉक में नेता सदन और आठवें ब्लॉक में नेता विपक्ष दोनों आमने-सामने होते हैं और अपने पक्ष रखते हैं और एक-दूसरे को ध्यानपूर्वक सुनते हैं.
लोकसभा में सीटिंग अरेंजमेंट से क्या बदला?
18वीं लोकसभा में बैठने की नई व्यवस्था की गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट बरकरार रखी गई है. पहले ब्लॉक में ही दूसरे नंबर की सीट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को मिली है. तीसरे नंबर की सीट गृह मंत्री अमित शाह और चौथे नंबर की सीट सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को आवंटित की गई है.
पीएम मोदी के सामने 8वें ब्लॉक में पहली पंक्ति की सीट राहुल गांधी को मिली है. ये सीट नंबर 498 है. राहुल के बगल में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को 497 और डीएमके नेता टीआर बालू को 496 नंबर सीट आवंटित की गई है. 495 नंबर सीट डीएमके सांसद मलैयारसन डी., 494 नंबर सीट डीएमके सांसद ईश्वरसामी के. को मिली है. राहुल के ठीक बगल की सीट 499 खाली रखी गई है. कांग्रेस चाहती है कि इस खाली सीट पर अखिलेश यादव आकर बैठें.
नए सीट आवंटन के बाद जब अखिलेश लोकसभा पहुंचे तो वे सीधे छठे ब्लॉक में आवंटित सीट पर जाकर बैठ गए. यह देखकर केसी वेणुगोपाल ने उन्हें राहुल के बगल में खाली सीट पर बैठने का इशारा किया, लेकिन अखिलेश ने वहां बैठने से मना कर दिया.
दिलचस्प बात यह है कि टीआर बालू ने खुद राहुल के बगल में सीट दिए जाने का आग्रह किया था. इससे पहले केसी वेणुगोपाल राहुल गांधी के पीछे वाली पंक्ति में बैठते थे. लेकिन बदलाव के बाद उन्हें राहुल के बगल में सीट मिल गई है. राहुल की बहन प्रियंका को भी आठवें ब्लॉक में517 नंबर सीट मिली है.वो इस ब्लॉक की चौथी पंक्ति की एकदम किनारे वाली सीट पर बैठती हैं.
कैसे बिगड़ गई बात?
दरअसल, सचिवालय ने फॉर्मूले के तहत समाजवादी पार्टी की अगली पंक्ति में बैठने की संख्या दो से घटाकर एक कर दी है, जिसका मतलब है कि सिर्फ अखिलेश यादव ही आगे बैठ सकते हैं. इतना ही नहीं, अखिलेश को छठे ब्लॉक में पहली पंक्ति में सीट मिली है. यानी राहुल और अखिलेश के बीच में एक और ब्लॉक की दूरी रहेगी. अखिलेश की नाराजगी की यही वजह है कि इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल है और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हैं. कांग्रेस को ही अपने सहयोगी दलों के बीच सीटें आवंटित करनी थीं. लेकिन जब सपा की अगली पंक्ति से एक सीट घटाई गई तो कांग्रेस ने आपत्ति क्यों नहीं जताई और सपा के लिए एक और सीट आवंटित किए जाने की मांग क्यों नहीं उठाई. अब सपा सांसद डिंपल यादव ने यह पूरा मसला स्पीकर के सामने रखा है और अवधेश प्रसाद को भी आगे एक सीट दिए जाने मांग की. अंतिम फैसला स्पीकर लेंगे.
अखिलेश को मिला छठा ब्लॉक
कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव को छठे ब्लॉक की पहली पंक्ति में 355 नंबर सीट आवंटित की गई है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को 354 नंबर सीट मिली है. यानी वे अखिलेश के बगल में बैठेंगे. टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, कल्याण बनर्जी और सौगत रॉय को अन्य ब्लॉक की पहली पंक्ति में 280, 281 और 284 नंबर की सीटें आवंटित की गई हैं.
अवधेश प्रसाद को मिली दूसरी पंक्ति में सीट
छठे ब्लॉक में अखिलेश के पीछे 356 नंबर सीट आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव, 357 नंबर सीट अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद को मिली है. 358 नंबर सीट मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव को आवंटित की गई है. उसके बाद नरेश उत्तम पटेल, बाबू सिंह कुशवाहा, लाल जी वर्मा, सुरेंद्र प्रसाद यादव, अफजल आंसारी, पीके चौधरी, राजीव राव को सीट दी गई है.
कौन तय करता है सीटिंग अरेंजमेंट?
सीट बंटवारे के बाद सूची पार्टियों को भेज दी जाती है. फिर पार्टी अपने अनुसार सीटें तय करती है. पार्टी अध्यक्ष और वरिष्ठ सांसदों को आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है. हालांकि, अगर कोई आपत्ति होती है तो पार्टियां या संसद सदस्य स्पीकर को सुझाव दे सकते हैं. अंतिम निर्णय स्पीकर का होता है. वो बदलाव का आदेश भी दे सकते हैं. इसके अलावा, पूर्व पीएम या वरिष्ठ और अनुभवी सांसदों को भी आगे सीट दी जा सकती है. ये स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है.
सीट आवंटन की पूरी लिस्ट देखें-
+91 120 4319808|9470846577
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