LAC पर कैसे घटेगी टेंशन! चीन ने सैनिक पीछे बुलाए लेकिन ताजा तस्वीरों से उठे मंशा पर सवाल

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पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक के मैदानों में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है. इस बात की तस्दीक सैटेलाइट इमेजेस से होती है, तस्वीरों में साफ पता चल रहा है कि सैनिकों को वापस बुला लिया गया है, लेकिन जब विवादित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के तेजी से हो रहे निर्माण पर प्रकाश डाला गया, जिससे चीन की तनाव कम करने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा होता है.

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में संसद में कहा था कि तात्कालिक प्राथमिकता टकराव वाले पॉइंट्स से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करना था, ताकि आगे कोई अप्रिय घटना या झड़प न हो. ये प्रक्रिया पूरी हो गई है. अब अगली प्राथमिकता तनाव कम करने पर विचार करना होगी, जो LAC पर सैनिकों की भीड़भाड़ को कम करेगी.

इंडिया टुडे/आजतक की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम द्वारा हाई रेज्योलूशन सैटेलाइट तस्वीरों में सैनिकों की वापसी के संकेत साफ दिखाई देते हैं, लेकिन चीन की ओर से तनाव कम करने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता है. चीन पैंगोंग लेक के उत्तरी तट के पास विवादित क्षेत्रों में अपने सैन्य और दोहरे इस्तेमाल के लिए बुनियादी ढांचे बना रहा है, जबकि दोनों देश (भारत-चीन) द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं.

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स्पेस फर्म मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट तस्वीरों से पहली बार ये भी पता चलता है कि डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया के दौरान आगे की पोजिशन खाली करने के बाद डेपसांग में पीछे की पोजिशन में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा नए कैंप बनाए गए हैं. हालांकि दोनों पक्षों ने हाल ही में देपसांग और डेमचोक के टकराव वाले क्षेत्रों में मई 2020 की यथास्थिति बहाल करने पर सहमति जताई है.

ये तस्वीर 19 दिसंबर की है, इस सैटेलाइट इमेज में देपसांग के पिछले क्षेत्र में PLA की तैनाती दिखाई गई है. (फोटो क्रेडिट- मैक्सार ट

पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर मौजूदगी को मजबूत कर रहा चीन

फरवरी 2021 में बफर जोन बनाकर पैंगोंग झील पर डिसोल्यूशन किया गया था. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि PLA पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर विवादित क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति को तेजी से मजबूत कर रहा है, जहां 2020 के गतिरोध से पहले संयुक्त रूप से गश्त की जाती थी.

पैंगोंग झील के उत्तरी तट के पास तेजी से निर्माण हो रहा है (सैटेलाइट इमेज- मैक्सार टेक्नोलॉजीज)

सिरिजाप और खुरनाक पर क्या बोले एक्सपर्ट्स?

ऐसा लगता है कि चीनी सेना पीछे हटकर अपनी स्थिति मजबूत कर रही है. रक्षा विशेषज्ञ कर्नल (सेवानिवृत्त) अजय रैना ने कहा कि भारत अभी भी सिरिजाप और खुरनाक को अपना क्षेत्र मानता है, लेकिन 1959-1962 के दौरान सिंधु में बहुत पानी बह चुका है, सिरिजाप और खुरनाक क्षेत्रों का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि भारत उन्हें लद्दाख का हिस्सा मानता है, लेकिन 1959-1962 की अवधि के दौरान उसने प्रभावी नियंत्रण खो दिया. निर्माण और रणनीतिक विकास सितंबर में शुरू हुआ था, चीनी की ओर से निर्माण कार्य कई स्थलों पर जारी है, इसके बावजूद चीन की ओर से संबंधों को सामान्य बनाने की मांग की जा रही है. एक सैन्य सूत्र ने आजतक को बताया कि तस्वीरें दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे को दिखाती हैं जो नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए है.

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सैटेलाइट इमेज में पैंगोंग झील के पास एक निर्माण स्थल को हेलीपैड में बदलते हुए दिखाया गया है. (सैटेलाइट इमेज- मैक्सार टेक्नोलॉजीज

खुरनाक में विस्तार और किलेबंदी का प्रयास

तक्षशिला इंस्टीट्यूशन, बेंगलुरु में भू-स्थानिक अनुसंधान कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. वाई. निथ्यानंदम ने सिरिजाप और खुरनाक को कवर करने वाली सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण किया. उन्होंने खुरनाक में विस्तार, किलेबंदी के प्रयास और जमीनी रणनीति में बदलाव के साथ-साथ सिरिजाप में एक निर्माणाधीन जल निकासी नेटवर्क और झील के जीर्णोद्धार की ओर इशारा किया. OSINT विश्लेषक डेमियन साइमन ने हाल ही में हुए बदलावों को सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कम-रिज़ॉल्यूशन वाली सैटेलाइट तस्वीरें शेयर करके उजागर किया. उन्होंने चीन द्वारा "मौजूदा बफर ज़ोन से अलग" क्षेत्रों में चल रहे निर्माण पर प्रकाश डाला.

सैटेलाइट तस्वीर में पैंगोंग झील के पास नया पीएलए निर्माण दिखाया गया है (सैटेलाइट इमेज-मैक्सार टेक्नोलॉजी)

प्राकृतिक चरागाह इलाके में तैनाती की कोशिश

भारत-तिब्बत सीमा के एक पर्यवेक्षक नेचर देसाई ने कहा कि ये तस्वीरें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पश्चिमी कमान के तहत दक्षिणी झिंजियांग सैन्य जिले की यूनिट्स द्वारा पारंपरिक सीमा और साझा प्राकृतिक चरागाह इलाके में तैनाती के पुनर्गठन का प्रमाण हैं. देसाई ने यह भी कहा कि ओटे मैदान, जो कभी लद्दाखी चांगपा और तिब्बती खानाबदोशों के लिए शीतकालीन चारागाह हुआ करते थे, अब पैंगोंग झील के किनारे चीन की सलामी-स्लाइसिंग रणनीति का केंद्र बिंदु बन गए हैं.

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सैटेलाइट फोटो में पैंगोंग झील पर चल रहे निर्माण कार्य को दिखाया गया है (सैटेलाइट इमेज- मैक्सार टेक्नोलॉजीज)


अस्थायी इमारतों की जगह अब अधिक स्थायी संरचनाएं

डॉ. नित्यानंदम ने हाल के महीनों में सिरिजाप में महत्वपूर्ण पुनर्विकास प्रयासों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में साइट पर विकास गतिविधि में उछाल देखा गया है, पहले की सैटेलाइट इमेज में दिखाई देने वाली बिखरी और अस्थायी इमारतों की जगह अब अधिक स्थायी और बड़ी संरचनाओं का निर्माण किया गया है.

वहीं, सैन्य सूत्रों ने पैंगोंग के पास बुनियादी ढांचे का विवरण दिया. ये निर्माण सीमावर्ती गांव से जुड़ा हुआ है और इसमें पुल या बांध जैसी संरचना के साथ ही जल निकाय के साथ सड़कें भी हैं, एक छोटा हेलीपैड है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि इसका इस्तेमाल आपात स्थिति या वीआईपी मूवमेंट के लिए किया जा सकता है. इसकेअतिरिक्त, एक नई बनी सीधी सड़क है, लेकिन इसमें कवर की कमी है, जिससे यह हवाई टोही या हवाई हमलों के लिए असुरक्षित है.

किला परिसर के भीतर पुरानी संरचनाओं को ध्वस्त किया

डॉ. नित्यानंदम ने खुरनाक में भी बदलावों को देखा, जिसमें किला परिसर के भीतर पुरानी संरचनाओं को ध्वस्त करना शामिल है. उन्होंने कहा कि सितंबर 2024 के अंत तक परिसर को ऊंची दीवारों के साथ किलाबंद कर दिया गया था. पास में 100 x100 मीटर का हेलीपैड पहले के निर्माण स्थल की जगह ले चुका है.

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नेचर देसाई ने कहा कि सिरिजाप और रिमुचांग के पास तेजी से हो रहे बदलाव से पैंगोंग सीमा पर नावों के माध्यम से क्विक इंडक्शन के लिए क्षमता बढ़ाने का प्रयास प्रतीत होता है. इस बीच खुरनाक किले के पास ओटे मैदानों में बना स्ट्रक्चर ये तस्दीक करता है कि इस क्षेत्र में PLA की यूनिट्स तैनात हैं.

19 दिसंबर को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में देपसांग में पीछे एक नई पीएलए फैसिलिटी का निर्माण दिखाया गया है, जो उनकी पिछली स्थिति से लगभग 3 किमी उत्तर में और चिप चैप नदी के लगभग 7 किमी दक्षिण में स्थित है. वहीं, दक्षिण में पीएलए द्वारा पहले खाली की गई पोजिशन से लगभग 10 किमी ईस्ट में एक और फैसिलिटी स्थापित की गई है, जैसा कि हाल की तस्वीरों में देखा जा सकता है.

19 दिसंबर की सैटेलाइट इमेज में देपसांग के पीछे के क्षेत्र में दूसरी पीएलए फैसिलिटी दिखाई गई है (सैटेलाइट इमेज- मैक्सार टेक्नोलॉज

2020 की घटना के बाद हुई भारत-चीन के प्रतिनिधियों की मीटिंग

2020 में हुईं झड़पों के बाद से भारत और चीन के प्रतिनिधियों की पहली बैठक हाल ही में बीजिंग में हुई थी, जिसमें NSA अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भाग लिया था. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि प्रतिनिधियों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया था. उन्होंने ज़मीन पर शांतिपूर्ण स्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि सीमा पर मुद्दे द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य विकास में बाधा न बनें.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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