संभल हिंसा पर क्या है पुलिस की थ्योरी? सांसद बर्क, सोहेल इकबाल और जफर अली का क्या रोल बताया गया है

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यूपी के संभल कांड में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. पुलिस का दावा है कि यह पूरी हिंसा सुनियोजित था. इसके पीछे सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क से लेकर विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल और मस्जिद के सदर जफर अली तक की भूमिकाहै. पुलिस ने सात मुकदमे दर्ज किए हैं. कुल दो दर्जन से ज्यादालोग नामजद हैं और 2750 अज्ञात हैं. सांसद बर्क और विधायक पुत्र पर भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है. पुलिस ने अब तक 25 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.

संभल के एसपी केके विश्नोई का कहना है कि सांसद बर्क के बयान के चलते संभल में स्थिति बिगड़ी. हालांकि, बर्क का कहना है कि घटना वाले दिन वो बेंगलुरु में थे. सोशल मीडिया ऐसे दावों से भरा पड़ा है कि हिंसा में जिनकी मौत हुई है, वे लोग पुलिस की गोलियों से मारे गए हैं. लेकिन पुलिस का कहना है कि ये सारे आरोप गलत हैं. जानिए हिंसा को लेकर पुलिस की पूरी थ्योरी क्या है और संभल हिंसा के पीछे कौन से किरदार का क्या रोल होने का दावा किया गया है?

संभल में क्या हुआ था?

24 नवंबर को संभल में हिंसा भड़की और चार लोगों की मौत हो गई. इनमें मोहम्मद कैफ (18 साल), बिलाल (23 साल), नईम (30 साल) और मोहम्मद रोमान (50 साल) का नाम शामिल है. दरअसल, 19 नवंबर को वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट में एक वाद दायर किया था और शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर की जगह होने का दावा किया था. कोर्ट ने उसी दिन एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव को नियुक्त किया और हफ्तेभर में सर्वे पूरा करने का आदेश दिया.

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पुलिस ने भीड़ रोका तो भड़क गई हिंसा

सर्वे टीम उसी रोज शाम को मस्जिद पहुंची और पहले चरण में वीडियोग्राफी की. उसके बाद लौट आई. दूसरे चरण में यह टीम रविवार की सुबह 7 बजे फिर जामा मस्जिद पहुंची. मौके पर वादी और प्रतिवादी पक्ष भी था. इस बीच वहां भीड़ जुटने लगी. पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में एसडीएम, सीओ, एसपी के पीआरओ, पुलिसकर्मी समेत 24 लोग घायल हो गए. फिलहाल, राजनेताओं के आने की खबरें मिलने के बाद जिला प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू कर दी है. जिले में 30 नवंबर तक बाहरी लोगों की एंट्री पर बैन लगाया गया है. इंटरनेट भी बैन कर दिया गया है.

किस अफवाह पर भड़की हिंसा?

पुलिस का कहना है कि जिन्होंने पथराव किया, उनके बीच ये अफवाह फैली हुई थी कि सर्वे करने आई टीम ने मस्जिद के वजूखाने से पानी निकालकर वहां खुदाई की है और जब लोगों ने मस्जिद के अंदर से पानी आते हुए देखा तो वो हिंसक हो गए और इन लोगों ने पुलिस पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए. एक वीडियो में देख जा रहा है कि बड़ी संख्या में लोग मुंह पर कपड़ा बांध कर पत्थरबाजी कर रहे हैं. पुलिस पर कई घरों की छतों से पत्थरबाजी हो रही है.

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कैसे हो गई चार लोगों की मौत?

पुलिस के मुताबिक, इन लोगों की मौत ऐसी गोलियां लगने से हुई, जिनका इस्तेमाल देसी तमंचों के लिए होता है. पुलिस का कहना है कि इस हिंसा के पीछे गहरी साजिश हो सकती है, क्योंकि ये हिंसा उस इलाके में हुई, जहां शाही जामा मस्जिद है और वहां मिश्रित आबादी रहती है.

कमिश्नर ने कहा, सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ सबूत हैं कि उन्होंने भड़काऊ हरकतें की हैं. उनके खिलाफ बीएनएस के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है. बर्क का नाम उनके पिछले बयानों के आधार पर एफआईआर में शामिल किया गया है. बर्क के पहले के बयान की वजह से स्थिति और खराब हुई. इसके लिए उन्हें पहले नोटिस भी दिया गया था.

बुरे फंसे सपा सांसद और विधायक पुत्र

सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर गंभीर आरोप हैं. बर्क के 'जामा मस्जिद की हिफाजत' वाले बयान ने भीड़ को इकट्ठा किया. FIR में दर्ज है कि बर्क ने 22 नवंबर को मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद बगैर प्रशासनिक इजाजत के भीड़ जुटाई और उन्हें भड़काया. आरोपों के मुताबिक सांसद के भाषण का गंभीर परिणाम 24 नवंबर को हुआ और पूरा संभल सुलग उठा. प्रशासन का दावा है कि इसके पीछे पूरी साजिश थी. प्रशासन का तर्क है कि 24 नवंबर को भीड़ आई थी, लेकिन उसे पहले ही समझा दिया गया था. फिलहाल, किसने हिंसा की साजिश की? अब इसकी मजिस्ट्रेट जांच होगी. दूसरी ओर संभल जिला प्रशासन उपद्रव में हुए नुकसान का आकलन कर रहा है ताकि दोषियों से उसकी वसूली की जा सके.

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FIR - 1

-आरोपी नंबर 1- जियाउर्रहमान बर्क
-आरोपी नंबर 2 - सोहेल इकबाल
आरोपी नंबर 3- 700- 800 अज्ञात लोग

बिना अनुमति मस्जिद जाकर भड़काने का आरोप

FIR के मुताबिक कोर्ट के आदेश पर 24 नवंबर को जामा मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था, तभी सुबह करीब 9 बजे 700 से 800 अज्ञात लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए. भीड़ के हाथों में घातक हथियार थे. ये लोग सर्वे की कार्रवाई बाधित करना चाहते थे. दो दिन पहले 22 नवंबर को जियाउर्रहमान बर्क जामा मस्जिद गए और वहां बिना प्रशासन के अनुमति के भीड़ को जुटाया. ये भीड़ नमाज अदा करने पहुंची थी. सपा सांसद ने भड़काऊ बयानबाजी की और राजनीतिक लाभ लेने के लिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए भीड़ को उग्र किया.

पुलिस का कहना है कि दंगे की पूरी तैयारी थी. भीड़ के पास हथियार थे. सरकार ने भी यही कहा है कि कोई है जो कोर्ट के आदेश पर हो रहे सर्वे को रोकना चाहता है. आरोपों की बात करें तो तीन बड़े किरदार निकलकर सामने आ रहे हैं.

भीड़ के बीच मौजूद था सोहेल इकबाल

24 नवंबर को जब सर्वे की कार्रवाई की जा रही थी, तब भीड़ के बीच सोहेल इकबाल भी खड़ा था और ये लोग सर्वे कार्रवाई में बाधा डालने के उद्देश्य से पहुंचे थे. सोहेल ने भीड़ को ये कहकर उकसाया कि जियाउर्रहमान बर्क हमारे साथ हैं. हम लोग तुम्हारे साथ हैं. कुछ नहीं होने देंगे. अपने मंसूबों को पूरा करो. इतना सुनकर भीड़ और उग्र हो गई.

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सीओ पर फायरिंग का आरोप

इस बीच, पुलिस ने भीड़ से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन उग्र भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी और फिर पुलिस वालों पर पत्थरबाजी की. पुलिस की गाड़ियों को तोड़ा. गाड़ियों में आग लगा दी. भीड़ में से एक शख्स ने क्षेत्राधिकारी अनुज चौधरी पर जान से मारने की नियत से फायरिंग की. घटना में अनुज के पैर में गोली लगी और वो घायल हो गए.

FIR -2

संभल के नखासा चौक पर 150-200 की भीड़ आई और दोपहर 12: 35 बजे सबसे पहले CCTV कैमरों को तोड़ा. भीड़ ने हॉकी, डंडों और पत्थरों से पुलिस पर जान से मारने की नियत से हमला करना शुरू कर दिया. भीड़ ने पुलिस वालों की सरकारी पिस्टल छीनने की कोशिश की. जब कामयाब नहीं हुए तो दंगाई 9 MM पिस्टल की मैगजीन-कारतूस लूट ले गए. पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी. इस इलाके में हुए हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए.

भीड़ में कौन-कौन शामिल था?

1- गुलबुद्दीन
2- सुल्तान आरिफ
3- हसन
4- मुन्ना पुत्र जब्बार
5- फैजान
6- समद

नुकसान की भरपाई की जाएगी

संभल जिला प्रशासन का कहना है कि उपद्रव में सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. इसका आकलन किया जा रहा है. रिपोर्ट के आधार पर नोटिस दिया जाएगा और वसूली की जाएगी. संभल हिंसा में मौत की न्यायिक जांच SDM मुख्यालय दीपक कुमार चौधरी करेंगे. जांच में यह पता किया जाएगा कि घटना कैसे हुई, किसके इशारे पर लोगों को भड़काया गया. क्या-क्या नुकसान हुआ. मौतें कैसे हुईं... इन सभी बिंदुओं पर जांच होगी.

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डीएम और एसपी ने क्या बताया?

एसपी ने कहा, जामा मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी के सदर जफर अली को ना तो हिरासत में लिया गया और ना ही गिरफ्तार किया गया. वो स्वेच्छा से पुलिस स्टेशन आए. अपना बयान दर्ज कराया और चले गए. बंदूक की गोली से 4 की मौतें हुई हैं. उन्हें गोली किसने मारी, यह पता किया जा रहा है. पुलिस की ओर से कोई फायरिंग नहीं हुई. डीएम ने कहा, जफर अली ने यह गलत कहा है कि उन्हें सर्वे की पहले से जानकारी नहीं दी गई. वे कोर्ट से जानकारी लेने जाते हैं. कोर्ट का आदेश 24 नवंबर को दोपहर 2.38 बजे आया. एसडीएम और सीओ जफर अली को अदालत के आदेश की कॉपी सौंपने उसी दिन शाम 5 से 5.30 बजे के बीच खुद जामा मस्जिद गए थे. हमारे पास एडवोकेट कमिश्नर के आदेश की एक प्रति है, जिस पर मस्जिद सदर के हस्ताक्षर हैं.

सिर्फ वीडियोग्राफी के लिए खाली कराया था वजू टैंक

उन्होंने कहा, जफर अली पुलिस फायरिंग को लेकर भ्रामक टिप्पणी कर रहे हैं. वजूखाने के बारे में भी भ्रामक टिप्पणी की है. जफर अली ने यह आरोप लगाया कि वजू टैंक को सर्वे के लिए खाली कराया गया. यह दावा गलत है. वजू टैंक को सिर्फ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए खाली किया गया था, जिसे तुरंत ही दोबारा भर दिया गया. सुबह 10.30 बजे जब पथराव शुरू हुआ तो हमने जफर अली को हेलमेट पहनाया और जाकर भीड़ को शांत कराया. लेकिन जब हमला हुआ तो वो घर वापस भाग गए. भीड़ भड़काऊ नारे लगा रही थी.

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जफर सर्वे में व्यस्त थे तो फायरिंग कैसे देखी?

जफर यह भी दावा कर रहे हैं कि भीड़ ने कोई पथराव नहीं किया, यह भी भ्रामक है. धार्मिक नारेबाजी के वायरल वीडियो पर डीएम, डीएम ने स्पष्ट किया है कि सुबह जब सर्वे टीम पहुंची तो वहां कोई नारेबाजी नहीं हुई. लेकिन जब वापस लौट रहे थे तो पथराव शुरू हो गया. जब टीम घटनास्थल से काफी दूर थी तो कुछ लोगों ने नारेबाजी की. उन्होंने कहा, जफर साहब ने कहा कि उन्होंने पुलिस को फायरिंग करते देखा है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या वो सर्वे कराने में व्यस्त थे या गोलीबारी देखने में. वो सुबह 10:30 से 10:45 बजे के बीच सर्वे करा रहे थे. जबकि पथराव और हिंसा की घटना 10 से 11 बजे के बीच हुई.

जफर ने क्या-क्या दावा किया था?

शाही मस्जिद के सदर जफर अली का कहना था कि मस्जिद का हालिया सर्वे अदालत के आदेश के तहत नहीं बल्कि पूरी तरह से जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर किया गया. यह सर्वे गैरकानूनी तरीके से किया गया. इस घटना में संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा और सीओ अनुज कुमार दोषी हैं. ये सब (हिंसा भड़की) वजू टैंक से पानी निकालने की प्रशासन की जिद के कारण हुआ. एसडीएम ने जोर देकर कहा कि पानी खाली किया जाना चाहिए. जबकि डीएम और एसपी ने डंडे से गहराई मापने का सुझाव दिया था. पानी निकलते ही लोगों को यह लगा कि बिना पूर्व सूचना के मस्जिद के अंदर खुदाई चल रही है. यह सब एसडीएम और सीओ के कारण हुआ है.

खुदाई की अफवाह से बेकाबू हो गई भीड़?

उन्होंने कहा, जब लोगों ने सीओ से पूछा कि क्या हो रहा है. इस पर उन्होंने गाली-गलौज किया और लाठीचार्ज का आदेश दिया. उन्होंने यह भी कहा कि जो कोई भी सवाल पूछ रहा है, उसे गोली मार दी जाएगी. एसडीएम और सीओ संभल ने दहशत फैला दी. भीड़ अनियंत्रित हो गई क्योंकि उसे लगा कि अंदर खुदाई चल रही है. कुछ भी स्पष्ट करने वाला कोई नहीं था. मैंने शांति बनाए रखने और अपने घर वापस जाने की अपील की.

'पब्लिक ने गोलीबारी नहीं की'

जफर अली ने आगे कहा, डीएम और एसपी ने मुझसे जाकर भीड़ को नियंत्रित करने को कहा. 75% भीड़ वापस लौट गई. मैंने अपील की कि पुलिस को गोली चलाने के आदेश हैं और सभी लोग अपने घर चले जाएं. पुलिस का यह कहना गलत है कि लोगों ने गोली चलाई. मैंने देखा कि पुलिस गोलियां चला रही थी. यह मेरे सामने ही हुआ. मैंने जनता की ओर से कोई गोलीबारी नहीं देखी. मैं पीएम मोदी और सीएम से अनुरोध करता हूं कि जिन लोगों की जान गई है, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए. अपराध किसने किया इसका कोई सबूत नहीं है. कोई विधायक या सांसद हमारी बात नहीं सुन रहा. पुलिस के पास 'देसी कट्टा' भी था.

'आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटा रहे'

डीआईजी मुनिराज ने कहा, संभल में दुकानें खुली हैं और इलाके में अब शांति है. मार्केट खुल रहे हैं. लोग शांति से अपना काम कर रहे हैं. निर्दोष लोगों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी. हमारे पास जो वीडियो सबूत हैं उसके हवाले से कार्रवाई कर रहे हैं. MLA, MP के मामले में हम सबूत इकट्ठे कर रहे हैं, उसके बाद नियम के हिसाब से कार्रवाई करेंगे.

सफाई में क्या बोले सांसद बर्क....

हिंसा भड़काने की एफआईआर दर्ज होने पर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने आपत्ति जताई और कहा, अगर एक तरफ से गोली चलेगी तो लोग पत्थर नहीं चलाएंगे क्या? उन्होंने इसके पीछे पुलिस और प्रशासन का हाथ बताया है. संभल सांसद का यह भी कहना है कि हिंदुओं ने धार्मिक नारे लगाए, जिससे माहौल बिगड़ा.

पुलिस के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं?

वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि पुलिसवालों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए. पुलिस वाले सीधे गोली चलाते दिख रहे हैं. पूरा देश देख रहा है. सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, संभल में प्रशासन गलत कर रहा है. प्रशासन ने जानबूझकर ये अशांति फैलाई. प्रशासन ने ही लोगों को उकसाया. जब न्याय नहीं मिलेगा तो निराश होकर आदमी क्या करेगा? यही सब करेगा (पत्थरबाजी करेगा). न्याय मिलेगा तो अशांति नहीं होगी. जब न्याय नहीं मिलेगा तो आदमी कुछ ना कुछ तो करेगा ही ना. पुलिस ने 5 लोगों को मार दिया. पुलिस के खिलाफ कोई मामला दर्ज क्यों नहीं हुआ?

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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