महाराष्ट्र- कुर्सी की रेस में कौन कौन हैं फेस? अजित को फडणवीस पसंद है, लेकिन शिंदे को चाहिए अपनी सत्ता!

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महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? जल्द ही यह सस्पेंस खत्म होने वाला है. लेकिन उससे पहले बीजेपी से लेकर शिवसेना और एनसीपी खेमे में खासी हलचल देखी जा रही है. देवेंद्र फडणवीस लेकर एकनाथ शिंदे और अजित पवार गुट भी खुद को रेस में मानकर चल रहा है. हालांकि, अंतिम फैसला तीनों ही पार्टियों के हाईकमान को लेना है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 सीटों के नतीजे आ गए हैं. एनडीए ने 233 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी को सिर्फ 49 सीटें मिली हैं. बीजेपी को 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 57, अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं. शिवसेना यूबीटी को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी एसपी को 10 सीटें मिलीं. दो सीटें सपा के खाते में गईं.

बीजेपी का मुख्यमंत्री पद पर दावा क्यों?

चुनावी सफलता: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत का स्ट्राइक रेट 89 फीसदी रहा. बीजेपी ने 2014 की तुलना में ज्यादा सफलता हासिल की है. यानी मजबूत जनादेश बीजेपी के दावे को भी मजबूत करता है.

कैडर का मनोबल बढ़ाना: 2019 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद बीजेपी कैडर का मनोबल गिर गया था. हाल ही में लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर देखा गया है. ऐसे में 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी वर्कर्स का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है. यही वजह है कि बीजेपी के लिए सीएम पद हासिल करना महत्वपूर्ण है.

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लॉन्ग टर्म स्ट्रैटजी: विधानसभा चुनाव में बंपर बहुमत के अहम मायने हैं. बीजेपी का संगठन चाहेगा कि वो 2029 में अपने दम पर चुनाव लड़े और जीते. बीजेपी की उम्मीदों और प्लान के लिए सीएम की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.

शासन पर नियंत्रण: बीजेपी का मुख्यमंत्री होने से गर्वनेंस पर भी मजबूत पकड़ होगी. चूंकि, सरकार गठबंधन की है, लेकिन मुख्यमंत्री सबसे पावरफुल होता है. कई ऐसे मौके आएंगे, जब असहमति के स्वर उठेंगे, उस समय मुख्यमंत्री का रोल अहम होगा. वो असहमति को कम करने में ना सिर्फ अपना रोल निभाएगा, बल्कि प्रशासनिक नियंत्रण भी सुनिश्चित करेगा.

शिंदे का सीएम पद पर दावा क्यों?

महाराष्ट्र में 2022 में जब सत्ता का उलटफेर हुआ तब बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी एकनाथ शिंदे का नाम आगे बढ़ाया और उन्हें नया मुख्यमंत्री बनाया. खुद देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने. जबकि फडणवीस बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे हैं और मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. अब एक बार फिर वही स्थिति है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. दूसरे नंबर पर शिंदे की शिवसेना है.

चुनावों में नेतृत्व: चूंकि यह चुनाव अघोषित तौर पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया है. भले ही गठबंधन ने कोई नाम घोषित नहीं किया गया. लेकिन चुनाव प्रचार में शिंदे सरकार की योजनाओं को जनता के सामने रखा गया और उसे उपलब्धि के तौर पर गिनाया गया. यही वजह है कि एकनाथ शिंदे नतीजों में अपना जनादेश देखते हैं और वो जनता के फैसले को सरकार के समर्थन के रूप में देख रहे हैं.

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पॉलिसी पर दावा: एकनाथ शिंदे लाडकी बहिण जैसी प्रमुख योजनाओं को अपने दिमाग की उपज बता रहे हैं. शिंदे गुट का कहना है कि उन्हें इसका फायदा मिलना चाहिए. यह योजना महाराष्ट्र चुनाव में महायुति के लिए गेम चेंजर साबित हुई है. यानी पॉलिसी का श्रेय लेकर शिंदे सेना ने अपना दावा मजबूत किया है.

मराठा प्रतिनिधित्व: महाराष्ट्र में चुनाव से पहले मराठा समुदाय को साधने की बड़ी चुनौती थी. शिंदे ने ना सिर्फ इस समुदाय के वोटर्स को आकर्षित किया, बल्कि खुद को एक मराठा नेता के रूप में स्थापित किया है.

पार्टी में एकजुटता: शिंदे ने विधायकों को एकजुट कर ताकत दिखाई है. चुनाव में उद्धव ठाकरे जैसी विपक्षी ताकतों का मुकाबला किया और जीत हासिल की.

अजित पवार को बीजेपी का सीएम क्यों पसंद?

कोऑर्डिनेशन में आसानी: अलायंस में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और एनसीपी के लिए बीजेपी का मुख्यमंत्री पहली पसंद माना जा रहा है. अजित के लिए विशेषकर देवेंद्र फडणवीस पहली चॉइस इसलिए भी कह सकते हैं, क्योंकि दोनों के बीच बेहतर संबंध हैं. ऐसे में कोऑर्डिनेशन में आसानी होगी.

व्यक्तिगत संबंध: अजित पवार और फडणवीस के बीच कामकाजी रिश्ते भी मजबूत हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव बाद जब बीजेपी और शिवसेना का अलायंस टूट गया था. उसके बाद फडणवीस और अजित पवार ने रातोंरात हाथ मिला लिया था और सुबह राजभवन में सीएम-डिप्टी सीएम की शपथ ले ली थी. हालांकि, 80 घंटे बाद ही अजित पीछे हट गए थे, जिससे यह सरकार गिर गई थी.

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गठबंधन में संतुलन: बीजेपी का मुख्यमंत्री शिंदे सेना के प्रभुत्व को कम करेगा, जिससे समान स्तर निर्णय लिए जाने की उम्मीद है. अजित पवार ने रविवार को अपनी पार्टी के विधायकों की बैठक की और सीएम पद के लिए देवेंद्र फडणवीस पहली पसंद होने का संकेत दिया है.

रिपोर्ट- अनुजा धाक्रस
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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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