पाकिस्तान में शिया-सुन्नी संप्रदाय के बीच लंबे समय से जारी हिंसा में अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले रविवार को ही हिंसा में 21 लोग मारे गए, जिसके बाद अब सीजफायर करने का फैसला लिया गया है. इस भीषण हिंसा के बाद दोनों संप्रदायों के बीच एक बैठक हुई. इसमें निर्णय हुआ कि शिया और सुन्नी संप्रदाय के लोग अगले 7 दिनों तक सीजफायर का पालन करेंगे.
ये हिंसा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत के कुर्रम जनजातीय जिले में हुई है. खैबर पख्तूनख्वा में शिया-सुन्नी समुदाय के बीच हिंसा 21 नवंबर को शुरू हुई थी. यहां कुर्रम जिले में शिया समुदाय का काफिला गुजर रहा था, जिस पर घात लगाकर हमला किया गया. इस हमले में 42 लोगों की मौत हुई. इसके बाद शिया समुदाय ने जवाबी हमला किया और हिंसा बढ़ती चल गई. दोनों समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मारे गए. हिंसा बढ़ती देख KPK सरकार ने एक हाई लेवल आयोग का गठन किया.
कैदियों की अदला-बदली करेंगे शिया-सुन्नी
KPK प्रांत की सरकार के प्रवक्ता बैरिस्टर मुहम्मद अली सैफ ने बताया कि समझौते के तहत दोनों समुदाय के बुजुर्गों ने फैसला किया कि मारे गए लोगों के शव एक दूसरे को लौटा दिए जाएं. बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि जिन लोगों को कैदी बनाया गया था, उन्हें भी लौटा दिया जाएगा.
दोनों समुदाय केनेताओं के बीच मीटिंग
सैफ ने बताया कि जनजातियों के बीच 7 दिनों के लिए युद्ध विराम पर सहमति बनी है. दोनों पक्ष कैदियों की अदला-बदली करने और मृतकों के शव लौटाने पर भी सहमत हैं. कैदियों में महिलाएं भी शामिल हैं. सैफ ने बताया कि सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को सुन्नी जनजाति के नेताओं से मिलने से पहले 23 नवंबर को शिया जनजाति के सदस्यों से मुलाकात की और युद्ध विराम समझौते के बाद पेशावर लौट आया.
पाकिस्तान में जारी है शिया-सुन्नी विवाद
बता दें कि हिंसा के बाद शनिवार को मरने वालों का आंकड़ा 82 था, तब सामने आया था कि मरने वालों में 16 सुन्नी तो वहीं 66 शिया समुदाय के हैं. पाकिस्तान के KPK प्रांत में हिंसा भले ही 21 नवंबर को शुरु हई है, लेकिन शिया और सु्न्नी समुदाय के बीच झगड़ा लगातार चल रहा है. गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में यहां 150 लोग हिंसा के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.
जमीन को लेकर शुरू हुई थी हिंसा
सुन्नी बहुल पाकिस्तान में शिया समुदाय की आबादी 15 प्रतिशत है. आमतौर पर पाकिस्तान में शिया-सु्न्नी समूह शांति के साथ रहता है, लेकिन तनाव बरकरार है. हालांकि, इस क्षेत्र में सांप्रदायिक संघर्ष का इतिहास रहा है. यहां आतंकी समूह पहले शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते थे, लेकिन मौजूदा हिंसा जमीन विवाद से जुड़ी हुई है. 21 नवंबर को शियाओं के काफिले पर हुई हिंसा की जिम्मेदारी अब तक किसी ने नहीं ली है.
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