संजय वाधवा और तेजल शाह... अमेरिका में अडानी केस के पीछे इन दो भारतीयों का क्या है रोल?

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भारत के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी पर एक कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगा है. ये आरोप अमेरिका में लगा है. इस मामले में न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट ने उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है.

न्यूयॉर्क की अदालत में एक इन्डाइटमेंट दाखिल किया गया है. ये एक तरह से चार्जशीट होती है. इसमें अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया है. आरोप है कि इन्होंने भारत में एक सोलर एनर्जी का कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए सरकारी अफसरों को 26.5 करोड़ डॉलर यानी करीब 2200करोड़ रुपये की रिश्वत ऑफर की थी.

अमेरिका के सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने ये आरोप लगाया है. अडानी और उनके सहयोगियों ने सरकारी अफसरों को ये कथित रिश्वत इसलिए दी, क्योंकि उन्हें इस प्रोजेक्ट से अगले 20 साल में करीब दो अरब डॉलर यानी लगभग 17 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान था.

सवाल उठता है कि प्रोजेक्ट भारत का था, रिश्वत भारतीय अफसरों को दी गई तो अमेरिका में केस क्यों? वो इसलिए क्योंकि रिश्वत देने की बात अमेरिकी इन्वेस्टर्स से छिपाई थी.

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क्या है पूरा मामला?

ये पूरा मामला अडानी ग्रीन एनर्जी और एज्योर पावर से जुड़ा है. इसी साल अक्टूबर में न्यूयॉर्क की कोर्ट में ये केस दर्ज हुआ था.

इन्डाइटमेंट के मुताबिक, अडानी ग्रीन एनर्जी को भारत की सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावॉट सोलर एनर्जी देने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था. इसमें से अडानी ग्रीन एनर्जी 8 गीगावॉट और एज्योर पावर 4 गीगावॉट बिजली सप्लाई करती. SECI को ये बिजली देश की पावर कंपनियों को बेचना था, मगर खरीदार नहीं मिल पा रहे थे.

ऐसे में अडानी और उनके सहयोगियों ने सरकारी अफसरों को इसलिए रिश्वत दी, ताकि वो SECI से बिजली खरीदें. आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर की बिजली कंपनियों से डील की गई.

इन समझौतों के तहत, आंध्र प्रदेश 2,000 मेगावॉट, ओडिशा 500 मेगावॉट, छत्तीसगढ़ 300 मेगावॉट, तमिलनाडु 1,000 मेगावॉट और जम्मू-कश्मीर 100 मेगावॉट बिजली खरीदती. ये सारे समझौते दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 के बीच हुए.

इस पूरे मामले में कुल आठ आरोपी हैं. इनमें गौतम अडानी, सागर अडानी, विनित जैन, रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबानिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल शामिल हैं.

कथित रिश्वत के दो मामले

कथित रिश्वत देने के आरोप में अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ अमेरिका में दो मामले हैं. एक मामले की जांच एफबीआई कर रही है. जबकि, दूसरा मामला सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन की तरफ से चलाया जा रहा है.

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अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने वालों में पांच अहम किरदार हैं. इनमें से दो भारतीय भी हैं, जो सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन से जुड़े हैं.

कौन हैं वो भारतीय?

1. संजय वाधवाः भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक संजय वाधवा SEC की इन्फोर्समेंट डिविजन के एक्टिंग डायरेक्टर हैं. इस डिविजन का काम अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना और नुकसान उठाने वाले निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाना है. वाधवा ने इसी साल 11 अक्टूबर को ये जिम्मेदारी संभाली थी.

2. तेजल डी. शाहः SEC के न्यूयॉर्क ऑफिस में इन्फोर्समेंट डिवीजन कीएसोसिएट रीजनल डायरेक्टर हैं. कथित रिश्वत देने की जांच तेजल शाह की देखरेख में ही हो रही है. 2014 से वो SEC से जुड़ी हैं. पिछले साल ही उन्हें एसोसिएट डायरेक्टर नियुक्त किया गया था.

इस मामले में अब आगे क्या?

अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को बेबुनिया बताते हुए खारिज किया है. अडानी ग्रुप ने बयान जारी कर कहा है कि अडानी ग्रीन एनर्जी के डायरेक्टर्स पर जो आरोप लगाए गए हैं, वो निराधार हैं. अडानी ग्रुप ने कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है.

इन्डाइटमेंट आते ही आरोपी के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी हो जाता है. ऐसी स्थिति में आरोपी को या तो खुद या फिर वकील के जरिए अपना पक्ष रखना होता है.

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इन्डाइटमेंट आने के बाद अडानी और उनके सहयोगी इसे चुनौती दे सकते हैं. अगर यहां राहत नहीं मिलती है तो सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकते हैं.

कथित रिश्वत देने के मामले में आरोपियों पर कोर्ट ने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट (FCPA) लगाया है. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर पांच साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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