रूस और यूक्रेन की जंग को 1000 दिन पूरे हो चुके हैं और अब इस युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा मंडरा रहा है जो तीसरे विश्व युद्ध को हवा दे सकता है. परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका पैदा होने के पीछे कई कारण हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों से रूस के भीतर हमला करने की अनुमति दे दी है. इसके जवाब में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अपनी परमाणु नीति में बदलाव किया है. इन दोनों फैसलों ने दो महाशक्तियों के टकराव और थर्ल्ड वर्ल्ड वॉर का खतरा बढ़ा दिया है.
तीसरा विश्व युद्ध?
रूसी फेडरेशन की सिक्योरिटी काउंसिल में डिप्टी चेयरमैन और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, 'रूस के नए परमाणु सिद्धांत का मतलब है कि हमारे देश के खिलाफ दागी गई नाटो मिसाइलों को रूस पर हमला माना जाएगा. रूस कीव और प्रमुख नाटो ठिकानों के खिलाफ, चाहे वे कहीं भी स्थित हों, WMD (परमाणु हथियार) से जवाबी कार्रवाई कर सकता है. इसका मतलब है तीसरा विश्व युद्ध.'
पुतिन ने बदली परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की नीति
पुतिन ने मंगलवार को पश्चिम और यूक्रेन को खुली चेतावनी देते हुए एक डिक्री पर साइन किए, जिसमें इस बात का दायरा तय किया गया है कि मॉस्को किन हालात में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि अगर कोई देश जिसके पास परमाणु शक्ति नहीं है, अगर वो किसी न्यूक्लियर पावर वाले देश के सपोर्ट से रूस पर हमला करता है तो इसे रूस के खिलाफ जंग का ऐलान समझा जाएगा.
उन्होंने कहा कि अगर रूस के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ तो जवाब में परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पुतिन ने यह बदलाव अपने देश के न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन में किया है. ताकि यूक्रेन का सपोर्ट कर रहे देश उसपर हमला न कर सकें. अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने हाल ही में यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दी है. जिसके बाद पुतिन ने यह कदम उठाया है.
पुतिन के फैसले से क्या बदला?
पुतिन ने जो बदलाव किए हैं, उनके अनुसार- अगर कोई देश रूस के खिलाफ ड्रोन हमला करता है, तो इसके जवाब न्यूक्लियर डेटरेंस के तौर पर भी किया जा सकता है. रूस की सेना इस तरह के हमले का करारा जवाब देगी. अगर रूस की सीमा पार करके कोई हथियार हवा या अंतरिक्ष से आता है, तो इसे रूस के खिलाफ जंग माना जाएगा. रूस ऐसी स्थिति में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.
रूस को ऐसा लगा कि उसके देश को और नागरिकों को खतरा है तो वह न्यूक्लियर मिसाइल और मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी तैनात कर सकता है. ताकि दुश्मन के हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके. अंतरिक्ष से हमले की स्थिति में रूस अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को एक्टीवेट करेगा. साथ ही स्पेस में भी हमला किया जा सकता है. इस तरह के हमले में न्यूक्लियर डेटरेंस का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
पुतिन ने यह बदलाव क्यों किए?
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने अपना पद छोड़ने से पहले यूक्रेन को रूस के अंदर हमला करने के लिए अमेरिकी निर्मित हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी है. इसके साथ अब यूक्रेनी सैनिक आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम या ATACMS (Army Tactical Missile Systems) का प्रयोग कर सकेंगे. सूत्रों के मुताबिक, यूक्रेन आने वाले दिनों में रूस पर लंबी दूरी के हमले करने की योजना बना रहा है.
'तीसरे विश्व युद्ध को बढ़ावा देगा बाइडेन का फैसला'
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कई महीने पहले अपनी सेना को देश की सीमा से रूसी सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. रूसी सांसदों ने चेतावनी देते हुए कहा बाइडेन प्रशासन के इस कदम से युद्ध और बढ़ेगा. रूस की एक सांसद व्लादिमीर दजबारोव ने कहा है कि यह तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत की दिशा में बहुत बड़ा कदम है. डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने बाइडेन सरकार पर आरोप लगाया है कि वह उनके पिता के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही वर्ल्ड वॉर 3 शुरू करवाने के लिए वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ा रहे हैं.
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