एक तरफ गैस चैंबर दिल्ली, दूसरी ओर दुनिया की सबसे साफ सिटी कोपेनहेगन... कौन से 10 काम उसे बनाते हैं खास?

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देश की राजधानी दिल्ली का प्रदूषण से दम घुट रहा है. इस बीच, डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन एक बार फिर चर्चा में है. यह दुनिया का सबसे साफ शहर है. सवाल उठ रहा है कि दुनिया की क्लीनिस्ट सिटी कोपेनहेगेन में ऐसे कौन से काम होते हैं, जो गैस चैंबर बनी दिल्ली में नहीं होते हैं या उन पर दिल्ली को भी आज काम करने की जरूरत है. ताकि हमारी हवा भी साफ हो सके और हमारी भी साफ शहरों की लिस्ट में गिनती हो सके.

दरअसल, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गैस चैंबर बन गया है. वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली-NCR सीवियर प्लस कैटेगिरी में आ गया है. कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का औसत 450 के पार पहुंच गया है. सोमवार का दिन इस मौसम में सबसे प्रदूषित रिकॉर्ड किया गया है. यहां फॉग और स्मॉग की चादर दम घोंट रही है. अब चिंता इस बात की होने लगी है कि दिल्ली, दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन सकता है.

कोपेनहेगन क्यों स्वच्छ और हरित शहर?

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन दुनिया की सबसे स्वच्छ और रहने योग्य शहरों में से एक है. इसका श्रेय वहां की जनभागीदारी, सरकार की दीर्घकालिक नीतियों और पर्यावरण संवेदनशील सोच को जाता है. कोपेनहेगन में ऐसी कई प्रथाएं और व्यवस्थाएं हैं जो इसे स्वच्छ बनाए रखती हैं. कोपेनहेगन में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर जोर दिया जाता है. वहां नीतियों को कुछ ऐसे तैयार किया जाता है जो जीवनशैली को व्यवस्थित बनाए. इस सफलता के लिए कई ठोस कदम उठाए जाते हैं. योजनाओं से लेकर जागरूक नागरिकों की भूमिका तक देखने को मिलती है.

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वो 10 ऐसे काम, जिससे सीख ले सकती है दिल्ली

1. साइकिलिंग को प्राथमिकता

कोपेनहेगन: इस शहर को 'साइकिल फ्रेंडली कैपिटल' कहा जाता है. 50% से ज्यादा लोग काम पर जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं. यहां 400 किलोमीटर से ज्यादा लंबी साइकिल लेन हैं. साइकिल ब्रिज और विशेष साइकिल पार्किंग की व्यवस्था है. इससे ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों कम होता है.
दिल्ली: यहां साइकिल चलाने का बुनियादी ढांचा बहुत खराब है. बढ़ते वाहनों के दबाव और साइकिल लेन की कमी के कारण लोग सार्वजनिक परिवहन या निजी वाहनों पर निर्भर हैं. रोड से लेकर फुटपाथ तक पर कब्जा है. वाहन तक को निकलने में मशक्कत करनी पड़ती है.

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2. हरित ऊर्जा का उपयोग
कोपेनहेगन: शहर की बिजली का बड़ा हिस्सा पवन और सौर ऊर्जा से आता है. यहां पवन ऊर्जा और जैव ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है. आगे 100% नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है. सभी इमारतों को ऊर्जा कुशल बनाया गया है. शहर का अधिकांश बिजली उत्पादन पवन चक्कियों और बायोमास प्लांट्स से होता है.
दिल्ली: दिल्ली अभी भी कोयले और पेट्रोलियम पर निर्भर है. हरित ऊर्जा में निवेश और उसका उपयोग न्यूनतम है.

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3. कचरा प्रबंधन में उत्कृष्टता

कोपेनहेगन: 'कचरे से ऊर्जा' (Waste-to-Energy) नीति लागू है. शहर में अमेगर बके (Amager Bakke) नामक प्लांट कचरे को जलाकर स्वच्छ ऊर्जा में बदलता है. इससे 400,000 घरों को बिजली और गर्म पानी मिलता है. रिसाइकिलिंग को प्रोत्साहित किया जाता है और घरेलू कचरे का सही निपटान सुनिश्चित किया जाता है. 90% कचरे का रिसाइकिलिंग या पुन: उपयोग करता है.
दिल्ली: कचरा प्रबंधन की व्यवस्था खराब है. लैंडफिल साइट्स भर चुकी हैं और कचरे का वैज्ञानिक निपटान नहीं होता है.

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4. सार्वजनिक परिवहन का व्यापक नेटवर्क

कोपेनहेगन: सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क आधुनिक, कुशल और पर्यावरण-अनुकूल है. इलेक्ट्रिक बसें और मेट्रो सिस्टम अत्याधुनिक है. लोग निजी वाहनों के बजाय इन्हें प्राथमिकता देते हैं. इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन आधारित बसें प्रदूषण को कम करती हैं. शहर का मेट्रो सिस्टम पूरी तरह से स्वचालित और ऊर्जा-कुशल है.
दिल्ली: दिल्ली में मेट्रो है, लेकिन इलेक्ट्रिक बसों की संख्या कम है. ऑटो और अन्य वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण भी प्रभावी नहीं है. अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में वाहन आते हैं, जिनके हर रोज प्रदूषण टेस्ट चेक संभव नहीं हो पाते.

5. हरियाली और शहरी जंगल

कोपेनहेगन: शहर में 20% से ज्यादा हरित क्षेत्र हैं. हर ब्लॉक में छोटे-छोटे पार्क बनाए गए हैं. ग्रीन रूफ्स (हरे छत) हैं. नई इमारतों में हरी छत और गार्डन लगाना अनिवार्य है. वर्टिकल गार्डन पर्यावरण को संतुलित रखते हैं. पेड़-पौधों और हरित स्थानों को संरक्षित करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इससे हरियाली हवा को शुद्ध करने और गर्मी को कम करने में मदद करती है.
दिल्ली: दिल्ली में हरियाली तेजी से घट रही है. निर्माण कार्यों और अतिक्रमण से हरित क्षेत्र सिकुड़ रहे हैं.

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6. कार्बन-न्यूट्रल लक्ष्य

कोपेनहेगन: 2025 तक कार्बन-न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत कम कार्बन उत्सर्जन वाली नीतियां लागू हैं.
दिल्ली: दिल्ली के पास इस तरह का कोई ठोस लक्ष्य नहीं है. कार्बन फुटप्रिंट कम करने की दिशा में प्रयास कमजोर हैं.

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7. प्रदूषणकारी उद्योगों पर सख्त प्रतिबंध

कोपेनहेगन: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग शहर से बाहर हैं और कठोर नियमों का पालन करते हैं. उद्योगों को आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए बाध्य किया जाता है. निर्माण कार्यों और जहाजरानी उद्योगों के लिए सख्त उत्सर्जन मानक लागू किए गए हैं.
दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में भारी उद्योग और ईंट भट्ठे प्रदूषण का बड़ा कारण हैं. इन पर नियंत्रण कमजोर है.

8. पराली जलाने की रोकथाम

कोपेनहेगन: कृषि कचरे को बायोगैस या खाद में बदलने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग होता है.
दिल्ली: पराली जलाना दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है. इसे रोकने के लिए प्रभावी समाधान अभी भी नहीं हैं.

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9. पानी और वायु की गुणवत्ता पर निगरानी

कोपेनहेगन: हवा और पानी दुनिया के सबसे स्वच्छ माने जाते हैं. शहर के हर कोने में एयर और वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम है, जो रियल-टाइम डेटा प्रदान करता है. जिससे प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. शहरी जल निकासी और सफाई व्यवस्था आधुनिक और कुशल है.
दिल्ली: दिल्ली में मॉनिटरिंग स्टेशनों की संख्या सीमित है और डेटा विश्लेषण के आधार पर नीतियों का क्रियान्वयन धीमा है.

10. नागरिक भागीदारी और जागरूकता

कोपेनहेगन: लोग पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं. जागरूकता अभियान और स्थानीय कार्यक्रम लगातार चलाए जाते हैं. शहरी योजना स्थिरता को ध्यान में रखकर बनाई गई है. आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में हरित स्थानों की अनिवार्यता है. शहर का डिजाइन सार्वजनिक परिवहन, साइकिलिंग, और पैदल चलने को प्राथमिकता देता है.
दिल्ली: दिल्ली में जागरूकता की कमी है. लोग व्यक्तिगत स्तर पर पर्यावरण की चिंता नहीं करते और सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाना आम बात हो गई है.

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क्या दिल्ली भी बदल सकती है?

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन की आबादी करीब 1.2 मिलियन (12 लाख) है. जबकि दिल्ली की अनुमानित आबादी करीब दो करोड़ हो चुकी है. जबकि, वर्ष 2047 में दिल्ली की आबादी बढ़कर 3.28 करोड़ हो जाने की संभावना है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली की आबादी 17 लाख 9 हजार 346 थी. जानकार कहते हैं कि दिल्ली को कोपेनहेगन की तरह बनाने के लिए सरकार, उद्योग और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा. दिल्ली को साफ शहर बनाने के लिए व्यापक और दीर्घकालिक कदम उठाने की जरूरत है. यह सिर्फ सरकार के प्रयासों से नहीं होगा, बल्कि नागरिकों, उद्योगों और पर्यावरणविदों के समन्वित प्रयासों से ही संभव है. कोपेनहेगन की तर्ज पर दिल्ली के लिए संभावित रोडमैप तैयार करना होगा.

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हरित ऊर्जा, सार्वजनिक परिवहन, हरियाली और जनभागीदारी को प्राथमिकता देकर दिल्ली की हवा को स्वच्छ बनाया जा सकता है. यह एक कठिन काम है, लेकिन संभव लक्ष्य है. इसे हासिल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. दिल्ली को कोपेनहेगन से ना सिर्फ तकनीकी और नीतिगत दृष्टिकोण से बल्कि सामूहिक जागरूकता और जनसहभागिता की भावना भी सीखनी होगी. स्वच्छता और हरित जीवनशैली अपनाने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा.

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कैसे साफ हो सकती है दिल्ली की हवा?

1. सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता

इलेक्ट्रिक और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट: दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों और वाहनों का विस्तार करना चाहिए. कोपेनहेगन की तरह सार्वजनिक परिवहन को सस्ता, कुशल और आकर्षक बनाया जाना चाहिए.
मेट्रो नेटवर्क का विस्तार: दिल्ली मेट्रो को और ज्यादा इलाकों तक पहुंचाया जाना चाहिए. ताकि सड़कों पर वाहनों का फ्लो कम हो और यातायात सुगम हो. प्रदूषण भी कम हो सके.
कार पूलिंग और साइकिलिंग: साइकिल लेन का निर्माण करना चाहिए. साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए किराए पर साइकिल सेवाएं उपलब्ध कराना चाहिए. कोपेनहेगन में 50% लोग साइकिल का उपयोग करते हैं. यह दिल्ली में ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों को कम कर सकता है.

2. हरित ऊर्जा पर फोकस

सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग: दिल्ली में घरों और व्यवसायों को सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
फॉसिल फ्यूल से दूरी: कोयला और डीजल आधारित बिजली संयंत्रों को धीरे-धीरे नवीकरणीय ऊर्जा से बदलना चाहिए.
ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों और तकनीकों को अनवार्य बनाया जाना चाहिए. कोपेनहेगन शहर का लक्ष्य 2025 तक कार्बन-न्यूट्रल बनने का है.

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3. कचरा प्रबंधन में सुधार

कचरे से ऊर्जा: कोपेनहेगन की तरह 'वेस्ट-टू-एनर्जी' प्लांट्स लगाया जाना चाहिए.
प्लास्टिक और कचरे पर सख्ती: कचरे के रिसाइकिलिंग को अनिवार्य करना चाहिए.
घरेलू स्तर पर उपाय: गीले और सूखे कचरे को अलग करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए. कोपेनहेगन का अमेगर बके प्लांट 400,000 घरों को ऊर्जा प्रदान करता है.

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4. हरित क्षेत्र बढ़ाना

शहरी जंगल: दिल्ली में ज्यादा से ज्यादा शहरी जंगल विकसित करना चाहिए.
ग्रीन रूफ और वर्टिकल गार्डन: नई इमारतों में ग्रीन रूफ्स और दीवारों पर पौधों की अनिवार्यता लागू करना चाहिए.
पार्क और हरियाली का रखरखाव: सार्वजनिक क्षेत्रों में हरित स्थानों की संख्या बढ़ाई जाना चाहिए. कोपेनहेगन शहर का 20% हिस्सा हरित क्षेत्र है.

5. प्रदूषणकारी गतिविधियों पर सख्ती

पराली जलाने पर समाधान: किसानों को पराली जलाने के बजाय जैविक खाद और ऊर्जा उत्पादन के विकल्प उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
औद्योगिक प्रदूषण: उद्योगों को शहर के बाहर ट्रांसफर करना चाहिए और प्रदूषण उत्सर्जन पर सख्त नियम लागू करना चाहिए.
निर्माण कार्यों की निगरानी: धूल और मलबे को नियंत्रित करने के लिए कड़े मानदंड बनाए जाना चाहिए. कोपेनहेगन शहर में प्रदूषणकारी उद्योगों पर कड़ी निगरानी रहती है.

6. कार्बन फुटप्रिंट घटाना

कार्बन टैक्स: प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों और उद्योगों पर कार्बन टैक्स लगाना चाहिए.
स्थायी नीतियां: कम कार्बन उत्सर्जन वाली तकनीकों और परिवहन साधनों को अपनाना चाहिए. कोपेनहेगन शहर का मुख्य उद्देश्य कार्बन-न्यूट्रल बनना है.

7. वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग और डेटा शेयरिंग

मॉनिटरिंग सिस्टम: दिल्ली के हर हिस्से में रियल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन लगाना चाहिए.
डेटा आधारित नीतियां: वायु गुणवत्ता डेटा के आधार पर नीतियों में सुधार करना चाहिए. कोपेनहेगन में डेटा पारदर्शिता से नागरिकों की भागीदारी बढ़ी है.

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8. जन जागरूकता अभियान

शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए.
नागरिक भागीदारी: लोगों को वायु प्रदूषण कम करने के छोटे-छोटे उपाय सिखाना चाहिए. कोपेनहेगन के नागरिक पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं.

9. स्मार्ट और टिकाऊ शहरी नियोजन

शहर का पुनर्निर्माण: आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों की योजना इस तरह बनाएं कि प्रदूषण कम हो.
स्मार्ट सिटी पहल: ट्रैफिक, वेस्ट मैनेजमेंट और ऊर्जा बचाने के लिए स्मार्ट तकनीकों का उपयोग करना चाहिए. कोपेनहेगन का शहरी नियोजन टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल है.

10. सख्त कानून और उनका पालन

पर्यावरण कानून: प्रदूषण से संबंधित सभी कानूनों का सख्ती से पालन कराना चाहिए.
जुर्माना और प्रोत्साहन: प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना और स्वच्छता में योगदान देने वालों को प्रोत्साहन करना चाहिए. कोपेनहेगन के सख्त कानून और दंड नीति से प्रदूषण फैलाने वाले सतर्क रहते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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