बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि आरोपी या दोषी का घर नहीं गिराया जा सकता है, यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है. मनमाना रवैया बर्दाश्त नही किया जाएगा. अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते. बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार नहीं दिया जा सकता है." जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा, "अपना घर पाने की चाहत हर दिल में होती है. हिंदी के मशहूर कवि प्रदीप ने इसे इस तरह से वर्णित किया है. घर सुरक्षा परिवार की सामूहिक उम्मीद है. क्या कार्यपालिका को किसी आरोपी व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा छीनने की अनुमति दी जा सकती है, यह हमारे सामने एक सवाल है."
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले का दायरा सीमित है, मुद्दा यह है कि क्या किसी अपराध के आरोपी या दोषी होने पर संपत्ति को ध्वस्त किया जा सकता है. एक घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है.
क्याहो सकता है क्या नहीं?
- सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है. राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता.
- बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है.
- निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
- कानून के शासन, कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा.
- कानून का शासन मनमाने विवेक की अनुमति नहीं देता है.
- आरोपी और यहां तक कि दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी गई है. कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता है.
- संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है.
- अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान कानून का उल्लंघन है.
- अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
- अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता.
- स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले घर को गिराने पर विचार करते वक्त यह देखना चाहिए कि नगरपालिका कानून में क्या अनुमति है. अनधिकृत निर्माण समझौता योग्य हो सकता है या घर का केवल कुछ हिस्सा ही गिराया जा सकता है.
- अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि संरचना अवैध है और अपराध को कम करने या केवल एक हिस्से को ध्वस्त करने की कोई संभावना नहीं है
- नोटिस में बुलडोजर चलाने का कारण, सुनवाई की तारीख बताना जरूरी होगी.
- डिजिटल पोर्टल 3 महीने में बनाया जाना चाहिए, जिसमें नोटिस की जानकारी और संरचना के पास सार्वजनिक स्थान पर नोटिस प्रदर्शित करने की तारीख बताई गई है.
- व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख जरूर दी जानी चाहिए.
- आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है.
'महिलाओं, बच्चों को रातों-रात बाहर फेंका जाना दुखद'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "नागरिकों के मन में डर को दूर करने के लिए हमें अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी करना जरूरी लगता है. हमारा मानना है कि जहां भी ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया है, वहां भी नोटिस को चुनौती देने के लिए लोगों को वक्त दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही वैकल्पिक आश्रय की व्यवस्था भी की जानी चाहिए."
कोर्ट ने आगे कहा कि महिलाओं, बच्चों को रातों-रात बाहर फेंका जाना दुखद है. अगर अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क, रेलवे लाइन या जल निकाय पर है या कोर्ट द्वारा आदेशित की गई है, तो दिशानिर्देश लागू नहीं होंगे. मालिक को नोटिस दिए बिना ध्वस्तीकरण नहीं किया जा सकता, संरचना पर नोटिस भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "15 दिन की कारण बताओ नोटिस जारी की जानी चाहिए. इसके बाद, नोटिस जारी होते ही कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट को ऑटो जेनरेटेड ईमेल भेजा जाना चाहिए, जिससे बैकडेटिंग को रोका जा सके.
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