राजधानी दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है. हालांकि, हवा में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन दिल्ली में अब भी प्रदूषण का स्तर 'बेहद खराब' स्थिति में बना हुआ है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, कुछ दिन से दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में सुधार हो रहा है. लेकिन बुधवार को दिल्ली में AQI का स्तर 352 पर था. AQI का स्तर 301 से 400 के बीच रहने पर इसे 'बेहद खराब' की श्रेणी में रखा जाता है. अगर AQI का स्तर 400 के पार हुआ तो इसे 'गंभीर' माना जाता है.
दिल्ली में हर साल की यही कहानी है. सर्दियां आने से पहले ही प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है और दिल्ली की हवा दमघोंटू हो जाती है. प्रदूषण कम करने के लिए तमाम उपाय अपनाए जाते हैं. इन उपायों में पराली जलाने पर जुर्माना भी शामिल होता है. पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने जुर्माना बढ़ा दिया है.
अगर दो एकड़ से कम जमीन वाला किसान पराली जलाता है तो उसे 5 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा. अगर किसान के पास 2 से 5 एकड़ की जमीन है तो 10 हजार और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले को 30 हजार रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ेगा.
पराली से कितना प्रदूषण?
आमतौर पर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की बड़ी वजहों में से एक पराली जलाने को भी माना जाता है. लेकिन स्टडी से पता चलता है कि पराली जलाने से दिल्ली में उतना प्रदूषण नहीं बढ़ता, जितना शोर मचाया जाता है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्मेंट (CSE) ने दिल्ली के वायु प्रदूषण पर एक स्टडी की है. इस स्टडी में बताया है कि दिल्ली में जो प्रदूषण बढ़ता है, उसमें पराली की हिस्सेदारी सिर्फ 8.2% है. दिल्ली में 30% से ज्यादा प्रदूषण लोकल सोर्स की वजह से बढ़ता है. जबकि, एनसीआर जिलों की वजह से लगभग 35 फीसदी प्रदूषण बढ़ता है.
इस स्टडी में एक बड़ी बात ये भी सामने आई है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं होता है.
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गाड़ियां कैसे कर रहीं हवा खराब?
प्रदूषण को रोकने के लिए कई तरह की पाबंदियां तो लगा दी जाती हैं, लेकिन तब भी इसका असर दिखाई नहीं पड़ता. इसकी वजह है गाड़ियां.
सीएसई की स्टडी में सामने आया है कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में सुधार न होने की वजह गाड़ियां हैं. गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से हवा में PM2.5 का स्तर सबसे ज्यादा बढ़ता है. हवा में PM2.5 का स्तर बढ़ाने में गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का योगदान 51.5% होता है.
PM2.5 पॉल्यूटेंट होता है, जिसे सबसे खतरनाक माना जाता है. PM2.5 इंसान के बाल से भी 100 गुना ज्यादा पतला होता है. ये इतना महीन कण होता है कि नाक और मुंह के जरिए हमारे शरीर में घुस जाता है और सीधे तौर पर दिल और फेफड़ों को प्रभावित करता है.
गाड़ियों से निकलने वाला धुएं की वजह से ही हवा में PM2.5 का स्तर सबसे ज्यादा बढ़ता है. यही कारण है कि तमाम उपायों के बावजूद दिल्ली में AQI का स्तर 'खराब' या 'बहुत खराब' बना रहता है.
गाड़ियां कैसे बढ़ा रहीं प्रदूषण?
सीएसई की स्टडी से पता चलता है कि दिल्ली की हवा खराब करने वाले जितने भी सोर्स हैं, उसमें सबसे बड़ा सोर्स गाड़ियों से निकलने वाला धुआं है. इसके बाद रिहायशी इलाके हैं. हवा में PM2.5 की मात्रा बढ़ाने में रिहायशी इलाकों में होने वाली गतिविधियों की हिस्सेदारी 13 फीसदी से ज्यादा है. इसके बाद 11 फीसदी हिस्सेदारी इंडस्ट्रियां हैं.
हवा खराब करने में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बड़ी हिस्सेदारी है. सीएसई ने अपनी स्टडी में बताया है कि 2018-19 में यात्रा के बीच में बसों के खराब होने के 781 मामले सामने आए थे. जबकि 2022-23 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 1,259 पहुंच गई.
इतना ही नहीं, दिल्ली में 1% से भी कम बस स्टॉप ऐसे थे, जहां वेटिंग टाइम 10 मिनट से भी कम था. मौजूदा समय में 50% से ज्यादा बस स्टॉप पर वेटिंग टाइम 15 मिनट से ज्यादा है. इस कारण लोगों ने बसों से सफर करना कम कर दिया और अपनी गाड़ियों से ही यात्रा की.
दिल्ली में कितनी गाड़ियां?
दिल्ली सरकार के 2023-24 के आर्थिक सर्वे से पता चलता है कि राजधानी में 85 लाख से ज्यादा गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं. हर साल औसतन 6 लाख से ज्यादा नई गाड़ियां यहां रजिस्टर होती हैं.
इसके अलावा, हर दिन दिल्ली में 11 लाख से ज्यादा गाड़ियां आती और जाती हैं. हर साल टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर 15% की दर से बढ़ रहीं हैं. इन सबकी वजह से दिल्ली की हवा खराब होती है. हवा में 81% नाइट्रोजन ऑक्साइड गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से ही बढ़ता है.
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