सुप्रीम कोर्ट ने UP मदरसा एक्ट को बताया संवैधानिक, HC के फैसले को पलटा, 17 लाख छात्रों को राहत

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उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें अदालत ने मदरसा एक्ट को संविधान के विरुद्ध बताया था.

यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने निर्णय सुनाया है. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का निर्णय उचित नहीं था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मदरसा एक्ट को सही बताया.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों को राहत मिल गई है. यानी अब यूपी में मदरसे चलते रहेंगे. बता दें कि उत्तर प्रदेश में मदरसों की कुल संख्या लगभग 23,500 है. इनमें 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. यानी ये सभी रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा करीब 8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. मान्यता प्राप्त मदरसों में 560 मदरसे ऐसे हैं, जो एडेड हैं. यानी 560 मदरसों का संचालन सरकारी पैसों से होता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल, 2004 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए ये कानून राज्य विधान सभा ने पास किया था. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जिसके चलते मदरसा एक्ट के तहत मदरसो में पढ़ाई अभी चल रही है.

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हाईकोर्ट ने क्यों रद्द किया था कानून?

मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ अंशुमान सिंह राठौड़ नाम के शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी.इसी पर हाईकोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 'असंवैधानिक' है और इससे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है. साथ ही राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था, 'मदरसा कानून 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है.'अदालत ने ये भी कहा था कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने या किसी विशेष धर्म के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है.

क्या है मदरसा कानून?

उत्तर प्रदेश में 2004 में ये कानून बनाया गया था. इसके तहत मदरसा बोर्ड का गठन किया गया था. इसका मकसद मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था. इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (ट्रेडिशनल मेडिसिन), फिलोसॉफी जैसी शिक्षा को परिभाषित किया गया है.

यूपी में 25 हजार मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 16 हजार को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा से मान्यता मिली हुई है. साढ़े आठ हजार मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें मदरसा बोर्ड ने मान्यता नहीं दी है.

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मदरसा बोर्ड 'कामिल' नाम से अंडर ग्रेजुएशन और 'फाजिल' नाम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री देता है. इसके तहत डिप्लोमा भी किया जाता है, जिसे 'कारी' कहा जाता है. बोर्ड हर साल मुंशी और मौलवी (10वीं क्लास) और आलिम (12वीं क्लास) के एग्जाम भी करवाता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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