यूरोप का आखिरी तानाशाह... इस मुल्क में 7वीं बार सत्ता संभालने जा रहा ये पुतिन का जिगरी दोस्त

4 1 4
Read Time5 Minute, 17 Second

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको काफी अच्छे दोस्त हैं. दोनों में कई समानताएं भी हैं. पुतिन की तरह ही लुकाशेंको भी लंबे समय से बेलारूस की सत्ता पर काबिज है. इसी साल मार्च में पुतिन छठी बार रूस के राष्ट्रपति चुने गए थे. अब उनके दोस्त लुकाशेंको का भी सातवीं बार राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है. बेलारूस में अगले साल जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.

लुकाशेंको 1994 से ही बेलारूस के राष्ट्रपति हैं. लुकाशेंको जब पहली बार चुनाव लड़ रहे थे, तब उन्होंने बेलारूस को गड्ढे से निकालने का वादा किया था. हालांकि, अब उनकी छवि तानाशाह की हो गई है. उन्होंने यूरोप का आखिरी तानाशाह भी कहा जाता है.

2020 में लुकाशेंको छठी बार राष्ट्रपति चुने गए थे. पिछले चुनाव में जब लुकाशेंको की जीत की घोषणा की गई थी, तब बेलारूस में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद हजारों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. बेलारूस में तमाम विरोध के बावजूद लुकाशेंको की सत्ता पर पकड़ मजबूत ही रही है.

ऐसे बने बेलारूस के राष्ट्रपति

लुकाशेंको का राजनीतिक सफर 1990 से शुरू हुआ. उस समय लुकाशेंको रिपब्लिक ऑफ बेलारूस की सुप्रीम काउंसिल के डिप्टी चुने गए. 1993 में उन्हें बेलारूस की संसद की एंटी-करप्शन कमेटी का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया.

Advertisement

1994 में बेलारूस में पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. चुनाव दो राउंड में हुए. पहले राउंड में लुकाशेंको ने 45 फीसदी और दूसरे राउंड में 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए. लुकाशेंको शुरू से ही रूस के करीबी बने रहे.

बेलारूस में राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 5 साल का है. लेकिन लुकाशेंको का पहला कार्यकाल 2 साल के लिए बढ़ाया गया था. 2001 में यहां दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें लुकाशेंको 75 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर दूसरी बार राष्ट्रपति बने. इसके बाद 2006, 2011, 2015 और 2020 के चुनावों में भी लुकाशेंको की ही जीत हुई.

2020 के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको छठवीं बार जीते. विपक्ष ने धांधली का आरोप लगाया. अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी इस चुनाव पर सवाल उठाए. विपक्षी उम्मीदवार वियतलाना सिखानौस्काया ने दावा किया कि उन्हें 60 से 70% वोट मिले हैं.

कौन हैं लुकाशेंको?

अलेक्जेंडर लुकाशेंको का जन्म 31 अगस्त 1954 को हुआ था. उनके नाना त्रोखिम इवानोविच लुकाशेंको यूक्रेन के सुमी प्रांत की रहने वाली थीं. उन्हें उनकी मां ने अकेले पाला है. उनकी मां इकैटरीना त्रोफिमोवना लुकाशेंको रेलवे की एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करती थीं. बाद में वो रूसी सीमा से सटे बेलारूस के एक छोटे से गांव में आकर बस गईं.

Advertisement

लुकाशेंको ने बेलारूस की ही एक यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में पढ़ाई की. इसके बाद वो 1975 से 1977 तक दो साल सोवियत आर्मी में भी जुड़े रहे. सोवियत आर्मी में लुकाशेंको डिप्टी पॉलिटिकल अफसर के पद पर तैनात रहे.

लुकाशेंको और पुतिन अच्छे दोस्त माने जाते हैं. पुतिन की तरह ही लुकाशेंको भी सोवियत संघ के टूटने से नाराज थे. बताया जाता है कि लुकाशेंको एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने सोवियत संघ के विघटन के खिलाफ वोट दिया था. सोवियत संघ के टूटने के बाद बेलारूस भी अलग देश बन गया.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

चंडीगढ़ में NIA की कार्रवाई, गुरपतवंत सिंह पन्नू की 3 संपत्तियां कुर्क की गईं

News Flash 25 अक्टूबर 2024

चंडीगढ़ में NIA की कार्रवाई, गुरपतवंत सिंह पन्नू की 3 संपत्तियां कुर्क की गईं

Subscribe US Now