सिनवार की मौत के साथ Israel का बदला पूरा, हमास के बाद क्या अनाथ हो जाएगा गाजा, किसकी होगी सरकार?

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इजरायल ने अपने सबसे बड़े दुश्मन याह्या सिनवार को एक सैन्य अभियान में मार गिराया. सिनवार ने सालभर पहले तेल अवीव पर घातक हमला किया था, जिसमें हजारों नागरिक मारे गए थे. इसके बाद से हमास नेता इजरायली आर्मी की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में था. यहां तक कि उसे डेड मैन वॉकिंग कहा जा रहा था. बदला पूरा होने के बाद इजरायल के पास आखिरी काम है, अपने बंधकों को छुड़ाना. इसके बाद गाजा पट्टी का क्या होगा? इसके कई विकल्प हो सकते हैं.

क्या उसे अपने हाल पर छोड़ दिया जाएगा?

क्या कुछ समय के लिएइजरायली आर्मी वहां ठहर जाएगी?

क्या यूएन अपनी सेना के जरिए शांति लाने तक वहीं रहेगा?

क्या सिनवार या हमास का कोई विकल्प भी खड़ा हो चुका है, जो खाली जगह भरेगा?

इन सवालों के जवाब के लिए एक बार सिनवार की हिस्ट्री जानते चलें.अस्सी के दशक में हमास को खड़ा करने में जो शुरुआती लोग थे, उनमें से एक सिनवार भी था. उसे इजरायली सेना ने कई बार पकड़ा भी. साल 2011 में कैदियों की अदलाबदली के दौरान छूटकर वो वापस हमास की कमान संभालने लगा. इसके बाद से वो गाजा में हमास को लगातार ताकतवर बनाता गया. बाहरी दुनिया से संवाद और फंडिंग जुटाने का काम भी इसके हिस्से था. इस नेता के बारे में कुख्यात था कि ये हर उस शख्स का गला काट देता था, जो इसे इजरायल के पक्ष में लगे, फिर चाहे वो फिलिस्तीनी जनता क्यों न हो.

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पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर बड़ा नागरिक हमला हुआ. खुफिया एजेंसियों ने माना कि अटैक का मास्टरमाइंड सिनवार ही है. हमले के साथ-साथ हमास ने ढाई सौ से ज्यादा लोगों को बंधक भी बना लिया. इसके बाद से आईडीएफ सिनवार को पकड़ने या मारने की फिराक में थी. यहां तक कि उसकी सूचना देने वालों को 4 लाख डॉलर इनाम तक का वादा कर दिया. आखिरकर गुरुवार को सिनवार मारा गया, डीएनए टेस्ट के बाद जिसकी पुष्टि भी इजरायल ने कर दी.

hamas leader yahya sinwar dead in israeli army attack who will control gaza now photo AFP

गाजा में क्यों है चुप्पी

इतनी बड़ी घटना केबाद भीहमास की पैरवी करने वाले किसी मुस्लिम देश की बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई, जो पहले हर इजरायली वार पर हो-हल्ला किया करते थे. यहां तक कि गाजा में भी सन्नाटा है. कोई कुछ भी कहने से बच रहा है. इसके पीछे इजरायल का डर नहीं, बल्कि एक बड़ा कारण ये भी है कि गाजा पट्टी में सिनवार की लोकप्रियता लगातार गिर रही थी.

आधी से ज्यादा आबादी सिनवार से परेशान

पेलेस्टाइन सेंटर फॉर पॉलिसी एंड सर्वे रिसर्च ने पिछले महीने एक सर्वे के नतीजे जारी किए. इसकी मानें तो गाजा की 65 फीसदी जनता सिनवार की लीडरशिप से नाखुश थी. वे मान रहे थे कि इसी लीडरशिप के चलते गाजा पट्टी तबाह हुई. वहां चालीस हजार से ज्यादा लोग मारे गए. वहीं कथित लीडर सालभर से हमास के सघन टनल नेटवर्क में छिपा हुआ था.

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सिनवार का चैप्टर क्लोज हो चुका, लेकिन क्या हमास नाम की किताब भी साथ ही बंद हो जाएगी? गुरुवार को सिनवार की मौत कन्फर्म करते हुए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे 'गाजा के लिए हमास के बाद शुरुआत' कहा. साथ ही साथ ये भी साफ कर दिया कि उनकी सेना बंधकों को छुड़ाने तक वहीं जमी रहेगी. इसके बाद क्या- ये सवाल बार-बार उठ रहा है.

हमास के बाद कौन से विकल्प बाकी

फिलिस्तीनी चरमपंथी गुट हमास का गाजा में केवल हेडक्वार्टर नहीं था, बल्कि यही संगठन इस पट्टी पर शासन चला रहा था. हालांकि ये कोई चुनी हुई सरकार नहीं थी. वो साल 2007 से इस क्षेत्र पर एकतरफा शासन कर रहा था. बता दें कि साल 2006 में फिलिस्तीन (गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक) में इलेक्शन हुए थे. इसमें हमास विपक्षियों पर भारी रहा. इसके बाद उसने फिलिस्तीनी अथॉरिटी से सत्ता छीन ली और अपना अलग राजकाज चलाने लगा.अब लगभग सारे लीडरों को खो चुका हमास अनाथ हो चुका है. ऐसे में गाजा में उसके रूल की फिलहाल तो कोई संभावना नहीं.

hamas leader yahya sinwar dead in israeli army attack who will control gaza now photo Getty Images

खाली फ्रेम में कई तस्वीरें आ सकती हैं

इनमें एक दावेदार है, फिलिस्तीनी अथॉरिटी. फिलहाल वेस्ट बैंक में काम कर रही अथॉरिटी को लेकर अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकमत हो जाए तो राष्ट्रपति महमूद अब्बास की सरकार गाजा को भी कंट्रोल कर सकती है.

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एक संभावना ये भी है कि तुरंत कोई रास्ता न निकलता देख इजरायली सेना कुछ समय के लिए वहीं रुक जाए, और अप्रत्यक्ष सैन्य कंट्रोल रखे. ये इसलिए भी हो सकता है क्योंकि इजरायल बार-बार हमास के कमर तोड़ देने की बात कह रहा है. अगर फिलहाल वो गाजा पट्टी से एकदम से हट जाए तो हो सकता है कि बचे-खुचे विद्रोही वापस अपना काम शुरू कर दें.

किसी भी युद्धग्रस्त या ताजा-ताजा युद्ध से निकले इलाके में अक्सर यूएन अपनी सेना और लोग भेज देता है ताकि वो उसे दोबारा खड़ा करने में मदद करें. गाजा पट्टी के साथ भी हो सकता है कि वहां यूएन शांति सेना चली जाए और संयुक्त राष्ट्र का अस्थाई प्रशासन हो.

गृहयुद्ध में फंसने का भी खतरा

अगर कोई स्थिर राजनैतिक समाधान न निकले, तो गाजा में अस्थिरता बनी रह सकती है. इससे वो वॉर ट्रैप में जा सकता है. यानी छोटे-छोटे कई कट्टरपंथी समूह बन जाएंगे जो सत्ता के लिए लड़ेंगे. इनमें से जो भी भारी पड़े, गाजा पर वही कंट्रोल कर लेगा. या फिर सीरिया की तरह इसके भी अलग-अलग हिस्से पर अलग-अलग समूहों की सरकार चलेगी. फिलहाल वहां इस्लामिक जिहाद और पॉपुलर रेजिस्टेंस कमेटीज नाम से सशस्त्र गुट हैं जो इजरायल के खिलाफ रहते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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