राजदीप सरदेसाई ने बताया, हरियाणा में बीजेपी की जीत से निकले कौन से बड़े संदेश

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हरियाणा में बीजेपी को शानदार जीत मिली है. 48 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी अब लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई है. विधानसभा चुनाव से पहले माना जा रहा था कि हरियाणा में बीजेपी की पकड़ कमजोर हो रही है, लेकिन नतीजे इसके बिलकुल उलट आए हैं. इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने बताया कि आखिर हरियाणा में बीजेपी की जीत से क्या सियासी संदेश निकले हैं....

बीजेपी ने फिर से पकड़ा 'मूमेंटम'

लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बाद देशभर में ये सियासी मैसेज गया था कि बीजेपी अब 'कमजोर' हो रही है. इसको लेकर नैरेटिव भी गढ़े गए कि बीजेपी का जादू अब खत्म हो रहा है. लेकिन हरियाणा की इस जीत ने बीजेपी का मूमेंटम फिर से वापस ला दिया है.

कांग्रेस के साथ मुकाबले में बीजेपी भारी

लोकसभा चुनाव के बाद ये पहला बड़ा मौका था जब किसी राज्य के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर थी. लेकिन इसमें बीजेपी ने बाजी मारी. इन नतीजों के साथ ही सियासी संदेश गया है कि अभी भी सीधी टक्कर में बीजेपी, कांग्रेस से आगे है.

कांग्रेस की 'फूट' फिर पड़ी भारी

हरियाणा के चुनाव में दो बातें साफ दिखीं. एक कांग्रेस का अति आत्मविश्वास तो दूसरा राज्य नेतृत्व में खेमेबाजी. इन दोनों की कीमत हरियाणा में कांग्रेस को चुकानी पड़ी है. कांग्रेस का राज्य नेतृत्व इस पूरे चुनाव में बंटा नजर आया था. वहीं, कांग्रेस के नेता पूरी तरह से आश्वस्त थे कि वो चुनाव जीत रहे हैं. लेकिन ये ओवरकॉफिडेंस कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया.

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हुड्डा फैक्टर क्या पड़ गया भारी?

एक फैक्टर जो समझ आता है वो ये है कि भूपेंद्र हुड्डा फैक्टर के कारण गैर-जाट वोट भाजपा की ओर लामबंद हो गए और हरियाणा के दलित वोट भी कांग्रेस से खिसकते दिखे. जिसका बड़ा खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा.

यह भी पढ़ें: हरियाणा में भाजपा की 48 सीटों पर जीत, सिंगल डिजिट के संघर्ष से जीत की हैट्रिक तक का सफर

चुनाव मैनेजमेंट में कांग्रेस से आगे निकली बीजेपी

कई सीटों पर साफतौर पर देखा जा सकता है कि लड़ाई बहुत कांटे की हुई है. कम मार्जिन से जीत-हार का फैसला हुआ है. ये संदेश बताते हैं कि बीजेपी ने कांग्रेस के मुकाबले बेहतर ढंग से चुनाव को मैनेज किया.

क्षेत्रीय पार्टियों का प्रभाव घटा

इस चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा देखने को नहीं मिला. सीधी लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच देखने को मिली. इसका भी फायदा बीजेपी को हुआ. वहीं, इंडिया गठबंधन भी हरियाणा में बिखरा हुआ नजर आया. इसका भी फायदा बीजेपी को पहुंचा. इसके अलावा हरियाणा के नतीजों ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव को अब और दिलचस्प बना दिया है. इन दोनों राज्यों के चुनाव अब कांग्रेस के लिए जहां एक बड़ी चुनौती के रूप में होंगे तो वहीं बीजेपी अपने इस जीत के ट्रैक को जारी रखना चाहेगी.

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मोदी फैक्टर फिर बना प्रासंगिक

हरियाणा के नतीजों ने साफतौर पर बताया कि मोदी फैक्टर अब भी मजबूत है. जबकि राहुल गांधी को अपनी पार्टी को फिर से रणनीति बनाने और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की जरूरत है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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