Bunker-Buster Bomb- वो बम जिसने बेरूत में खोद दी नसरल्लाह की कब्र, जमीन में कर दिया 30 फीट गहरा गड्ढा

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27 सितंबर 2024 को इजरायली वायुसेना की 69वीं स्क्वॉड्रन ने F-15I फाइटर जेट्स से बेरूत पर ताबड़तोड़ हमला किया. आसमान से करीब 80-85 बंकर बस्टर बम गिराए गए. कुछ GBU-72 फैमिली के बम थे. कुछ MK-84 सीरीज के बम. ये कोई साधारण बम नहीं जो जमीन पर विस्फोट करें. ये जमीन के अंदर घुस जाते हैं. फिर फटते हैं.

यहां नीचे देखिए हमले के बाद बने गड्डे का Video

जमीन के अलावा अगर इन्हें इमारत पर गिराया जाए या किसी बंकर में तो भी तबाही भयानक होती है. नसरल्लाह जिस इमारत में था, वहां पर बम गिरने से 30 फीट गहरा गड्ढा हो गया है. जीबीयू-72 परिवार के बंकर बस्टर बम की खासियत यही होती है, कि ये स्टील, कॉन्क्रीट की मोटी दीवारों को तोड़कर 30 से 60 फीट की गहराई तक हमला कर सकते हैं.

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यहां नीचे देखिए इसका दूसरा वीडियो

आइए पहले जानते हैं जीबीयू-72 बंकर बस्टर बम की खासियत के बारे में...

हमास ने जमीन के नीचे सुरंगें बनाई थी. हिज्बुल्लाह ने रिहायशी इलाकों के बीच अपने हथियार के गोदाम बना रखे थे. लॉन्च पैड बना रखे थे. आम लोगों के बीच हिज्बुल्लाह आतंकियों का ठिकाना था. इजरायल ने गाजा में सुरंगों को खत्म करने के लिए इन्हीं बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया था. यही काम इजरायल ने फिर किया.

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Bunker Buster Bomb, Hasan Nasarallah, Israel, Hezbollah, Lebanon

बताया जा रहा है कि हसन नसरल्लाह जिस इमारत में था. उसके आसपास के ब्लॉक में इजरायल ने 80-85 बंकर बस्टर बम गिराए. बंकर बस्टर यानी जमीन की गहराई में बने अड्डों को खत्म करने वाले बम. ये सतह के काफी नीचे जाकर भी तबाही मचाते हैं. आमतौर पर GBU-72 सीरीज के बमों का इस्तेमाल किया जाता है.

GBU-72 अत्याधुनिक 2268 किलोग्राम वजनी गाइडेड बम है. असल में यह तहखाना, बंकर या सुरंगों को उड़ाने के लिए ही बनाया गया है. यह बम पहले जमीन में छेद करता है. फिर कुछ फीट अंदर जाकर विस्फोट करता है. अगर यह किसी इमारत पर गिरे तो उसकी नींव हिला देता है.

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बंकर बस्टर की तकनीकसमझने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखिए...

क्या होता है बंकर बस्टर बम, कैसे काम करते हैं ये?

बंकर बस्टर बम बेहद ताकतवर और भयावह हथियार होते हैं. ये बम जमीन के अंदर तेजी से जाते हैं. अंदर पहुंचने के बाद विस्फोट करते हैं. यानी ये जमीन में गड्ढे कर देते हैं. फिर कुछ फीट अंदर जाकर विस्फोट करते हैं. ये कॉन्क्रीट से बनी नींव, बंकर या सुरंगों को उड़ा सकते हैं. इस तरह के बम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल वियतनाम युद्ध में हुआ था.

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इन बमों की नाक खास तरह से बनाई जाती है, ताकि ये अपने वजन और ग्रैविटी का फायदा लेकर तेज स्पीड से जमीन के अंदर चले जाएं. इसके बाद ये फटते हैं. दूसरा वर्जन भी है. इसमें दो चार्ज होते हैं. पहला छोटा होता है जो टारगेट पर छेद करता है. दूसरा बड़ा हिस्सा अंदर जाकर भयानक विस्फोट करता है.

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गाजा में शटी रेफ्यूजी कैंप के पास हमास के अड्डों पर भी इसी तरह के बंकर बस्टर बम गिराए गए थे. देखिए ये तस्वीर. (फोटोः एपी)

इजरायल को कहां से मिले ऐसे बम?

इजरायल ईरान में बनी आतंकी सुरंगों को खत्म करना चाहती है. इसलिए वह अमेरिका में बनने वाले जीबीयू-72 बमों की मांग कर रहा है. पहली बार उसने साल 2021 में अमेरिका से GBU-72 बम के सबसे आधुनिक वर्जन को देने की अपील की थी. यह बम इस समय दुनिया का सबसे आधुनिक बंकर बस्टर है.

GBU-72 Bunker Buster Bomb साधारण जमीन में 100 फीट और कॉन्क्रीट की फर्श पर 20 फीट तक गहरा गड्ढा कर सकता है. यह टक्कर के बाद छेद करता है. गहराई में जाने के बाद विस्फोट करता है. इसके बाद इससे इतनी तेज सॉकवेव निकलती है, कि इसके रास्ते में आने वाली कोई भी वस्तु वो शॉकवेव नहीं बर्दाश्त कर पातीं. इसलिए टारगेट के आसपास की इमारतें भी गिर जाती हैं या फिर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.

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MK-84 जनरल परपज बम, इसका इस्तेमाल भी हो सकता है...

इन बमों को NATO के मार्क 84 बमों की श्रेणी में रखा जाता है. Mark 84 बम जिसे BLU-117 भी कहते हैं. उसका वजन करीब 907 kg होता है. इसे अमेरिका में बनाया जाता है. यह एक जनरल परपज बम है. मतलब यह धमाका कर सकता है. बंकर उड़ा सकता है. इमारत गिरा सकता है. भयानक तबाही मचा सकता है.

मार्क 84 बमों के फिलहाल दुनिया में चार वैरिएंट मौजूद हैं. GBU-10 Paveway 1, GBU-15, GBU-24 Paveway 3 और GBU-31 JDM. इनका औसत वजन 894 से 1000 kg तक होता है. लेकिन अमेरिका ने इन बमों 14 हजार kg वजन तक बना लिया है. वो बड़ी इमारतों या हथियार डिपो को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल होते हैं.

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12.7 फीट लंबे इन बमों का व्यास 18 इंच होता है. इनके अंदर ट्राइटोनल, H6 और PBXN-109 जैसे मिलिट्री ग्रेड केमिलक्स की फिलिंग होती है. बम के वजन के आधे के बराबर इन्हें भरा जाता है. इन बमों को आमतौर पर बमवर्षकों में लगाया जाता है. या फिर अटैक फाइटर जेट्स में. क्योंकि ये कई तरह से इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

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अक्सर इन बमों के पीछे की तरफ रिटार्डर्स, पैराशूट या पॉप-आउट फिन्स होते हैं, जो आसमान से गिरते समय बम की गति को धीमा करते हैं. ताकि इसे गिराने वाले फाइटर जेट या विमान को बम की रेंज से दूर जाने का मौका मिल जाए.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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