पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को आंदोलनरत डॉक्टरों को आजशाम फिर से बातचीत के लिए बुलाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ममता सरकार ने तीसरी बार कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल कांड के खिलाफ महीने भर से प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया गया है. हालांकि इसमें सरकार ने डॉक्टरों द्वारा मीटिंग के लिए रखी गई दो शर्तों को नहीं माना. ये मीटिंग नबन्ना कॉन्फ्रेंस हॉल में होनी है.
यहां पढ़ें पल-पल की लाइव अपटेड्स-
- ममता बनर्जी ने दो घंटे तक कॉन्फ्रेंस हॉल में अकेले बैठकर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल का इंतजार किया, लेकिन वह नहीं पहुंचे. इसके बाद सीएम ममता कॉन्फ्रेंस हॉल से निकल गईं. ममता बनर्जी के अकेले बैठे रहने का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि हड़ताली डॉक्टरों से बातचीत के लिए कुर्सियां लगाई गई हैं और ममता बनर्जी अकेले ही बैठकर उनका इंतजार कर रही हैं.
-मुख्य सचिव ने बताया कि हमारे अधिकारी उनसे बात कर रहे हैं. लगभग डेढ़ घंटे से सीएम उनका इंतजार कर रही हैं. हमने उन्हें समझाने की कोशिश की है कि लाइव स्ट्रीमिंग के बिना मीटिंग के लिए आएं और सब कुछ रिकॉर्ड किया जाएगा. सीएम शाम 5 बजे तक इंतजार कर रही हैं, लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है. हम सुरक्षा और बुनियादी ढांचे और हर चीज के बारे में बात करने के लिए तैयार हैं. हम उनकी बात सुनने के लिए तैयार हैं.
- मुख्य सचिव ने बताया, "मुख्यमंत्री शाम 5 बजे से इंतजार कर रही हैं, लेकिन जूनियर डॉक्टर अंदर नहीं जा रहे हैं. उनके पास दो मुद्दे हैं. एक यह कि हमने उन्हें 15 सदस्यों के साथ आने के लिए कहा था, लेकिन वे 32 सदस्यों के साथ आए, हालांकि हमने इसकी अनुमति दे दी है. दूसरा मुद्दा यह है कि वे मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग चाहते हैं, लेकिन हमने कहा कि सब कुछ रिकॉर्ड किया जाएगा, लेकिन वे मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग कर रहे हैं.
- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नबन्ना स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में पहुंच गई हैं और प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों से चर्चा का इंतजार कर रही हैं.
-डॉक्टर का प्रतिनिधिमंडल नबन्ना के कॉन्फ्रेंस हॉल के बाहर ही इंतजार कर रहाहै.उन्होंने मीटिंगकीलाइवस्ट्रीम मांग की है, जिसके मद्देनजर अभी तक मीटिंग शुरू नहीं हो सकी है.
ममता सरकार ने डॉक्टरों की एक ही मांग मानी
अपने पत्र में सरकार ने मीटिंग में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति की डॉक्टरों की मांग को स्वीकार कर लिया, लेकिन मीटिंग का सीधा प्रसारण करने की उनकी शर्त को खारिज कर दिया. इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे 30 डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल की जगह सिर्फ 15 की अनुमित देने का फैसला किया गया है.
बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा लिखे गए पत्र में प्रतिनिधिमंडल की संख्या 15 लोगों से अधिक नहीं होने की बात कही गई है. पंत ने यह भी कहा कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मीटिंग को रिकॉर्ड किया जा सकता है. मुख्य सचिव द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, "मीटिंग का सीधा प्रसारण नहीं किया जाएगा. हालांकि, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इसे रिकॉर्ड किया जा सकता है. इससे आपकी ओर से इच्छित उद्देश्य की पूर्ति होगी, साथ ही कार्यवाही की पवित्रता भी बनी रहेगी और यह सुनिश्चित होगा कि सभी चर्चाओं का सही तरीके से दस्तावेजीकरण किया गया है."
बता दें कि पिछले दो दिनों में बंगाल सरकार की ओर से डॉक्टरों को यह तीसरा पत्र लिखा गया है, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने पिछले दो प्रस्तावों को खारिज कर दिया है और मीटिंग के लिए ठोस शर्तें तय कीं. फिलहाल प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मीटिंग के लिए सरकार के इस तीसरे आमंत्रण का जवाब नहीं दिया है.
दूसरे आमंत्रण पर डॉक्टरों ने रखी थीं ये मांग
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन के बावजूद डॉक्टरों ने अपना प्रदर्शन खत्म नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार शाम 5 बजे तक डॉक्टर्स को काम पर लौटने की डेडलाइन दी थी. लेकिन डॉक्टरों ने प्रदर्शन जारी रखा. वहीं बंगाल सरकार ने भी 10 डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल को मंगलवार को मिलने के लिए बुलाया था. छात्रों को भी ईमेल भेजा गया था. लेकिन ममता सरकार के इस प्रस्ताव को प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स ने खारिज कर दिया था.
इसके बाद बुधवार को फिर से डॉक्टरों को मीटिंग के लिए बुलाया गया. इसे डॉक्टरों ने स्वीकार कर लिया था लेकिन कुछ शर्तें रख दी थीं. ये शर्तें थीं- हम चाहते हैं कि मीटिंग में 30 प्रतिनिधियों को अनुमति दी जाए. हम चाहते हैं कि सीएम ममता बनर्जी भी उस मीटिंग में मौजूद रहें. साथ ही इस मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग भी कराई जाए, ताकि सभी को पता चल सके कि क्या चर्चा हुई है.
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