पुलिस का घेरा, सरेंडर और फिर एनकाउंटर... कोर्ट केस की डायरी से जानिए गैंगस्टर आनंदपाल के फेक एनकाउंटर की रीयल स्टोरी

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राजस्थान के चर्चित गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है और कथित फर्जी मुठभेड़ करने वाले 7 पुलिस अफसरों के खिलाफ हत्या का केस चलाए जाने का आदेश दिया है. अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट भी खारिज कर दी है और निर्देश दिया कि इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और अन्य आरोपों में FIR दर्ज की जाए.

इसके साथ ही आनंदपाल के फेक एनकाउंटर की रीयल स्टोरी भी सामने आ गई है. आनंदपाल के वकील ने कोर्ट में इस बात के पुख्ता सुबूत दिए कि पहले पुलिस ने एक घर के बाहर घेरा डाला, फिर आनंदपाल को छत पर जाकर सरेंडर करवाया और उसके बाद करीब से गोली मार दी. बाद में इसे एनकाउंटर का दावा कर दिया. इतना ही नहीं, जिस पिस्तौल से गोली मारी गई, वो एक पुलिसवाले की थी. जबकि सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में उस पुलिसवाले के मौके पर मौजूद होने का जिक्र ही नहीं किया गया.

आनंदपाल की पत्नी ने दायर की थी याचिका

अदालत का ये आदेश आनंदपाल की पत्नी राज कंवर की याचिका पर आया है. इस याचिका में सीबीआई की उस क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी, जिसमें तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहट, डीएसपी (कुचामन सिटी) विद्या प्रकाश, इंस्पेक्टर सूर्य वीर सिंह और अन्य को क्लीन चिट दी गई थी.

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मालासर गांव में कथित मुठभेड़ में मारा गया था आनंदपाल

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह 24 जून 2017 की रात चूरू के गांव मालासर में कथित पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. पुलिस ने दावा किया था कि जिस घर में वो छिपा हुआ था, उसकी घेराबंदी करने के बाद उसे सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन आनंदपाल ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में आनंदपाल मारा गया. घटना में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए और 18 दिन तक शव रखकर विरोध-प्रदर्शन हुए. उसके बाद दिसंबर 2017 में राजस्थान सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था.

सीबीआई के जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी

सीबीआई ने जांच के बाद दावा किया कि ये एक एनकाउंटर था. उसके बाद जांच एजेंसी ने अगस्त 2019 में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की. पत्नी राज कंवर और आनंदपाल के भाई रूपेंद्र पाल सिंह ने मई 2023 में इस रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी और खुद को एक प्रत्यक्षदर्शी के तौर पर बताया.

CBI की क्लोजर रिपोर्ट खारिज, पुलिस अफसरों पर FIR के आदेश

राज कंवर के वकील भंवर सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने पाया कि आनंदपाल ने मारे जाने से पहले पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट युवराज सिंह ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और निर्देश दिया कि तत्कालीन एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन डीएसपी विद्या प्रकाश, तत्कालीन इंस्पेक्टर सूर्य वीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र और सोहन सिंह और कांस्टेबल धर्मपाल, धर्मवीर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए.

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मामला आईपीसी की धारा 147 और 148 (दंगों से संबंधित), 302 (हत्या के लिए सजा), 326, 325 और 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना) के साथ धारा 149 (जो किसी समूह द्वारा किए गए अपराधों के लिए व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराता है) के तहत दर्ज किया जाएगा.

आनंदपाल के घर में छिपे होने की सूचना पर पहुंची थी पुलिस

याचिकाकर्ताओं के वकील भंवर सिंह के मुताबिक, मामला 2017 का है. पुलिस ने रूपेंद्र पाल और देवेंद्र पाल को पकड़ लिया था. पूछताछ में उन्होंने पुलिस को सूचना दी कि आनंदपाल मालासर में एक मकान में छिपा हुआ है. 24 जून को जब पुलिस उस घर पहुंची तो आनंदपाल छत पर मौजूद था. पुलिस ने तब रूपेंद्र को आनंदपाल को सरेंडर के लिए मनाने को कहा और आश्वासन दिया कि वे उसे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.

छत पर पहुंची पुलिस, सरेंडर करवाया, फिर गोली मारी!

वकील का कहना था कि रूपेंद्र ही एसपी बरहट समेत पुलिस टीम को सीढ़ियों से होते हुए छत पर ले गया. आनंदपाल आश्वस्त हो गया और उसने सरेंडर कर दिया, लेकिन पुलिस ने उसकी पिटाई की और करीब से गोली मार दी. उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि छत पर कारतूस मिले थे. जबकि पुलिस का दावा था कि उन्होंने नीचे जमीन से गोली मारी थी. पुलिस की टीम छत पर नहीं गई थी. सीबीआई की रिपोर्ट में मौके पर विद्या प्रकाश की मौजूदगी का भी जिक्र नहीं किया गया है. जबकि उनकी पिस्तौल से इस्तेमाल किया गया कारतूस छत पर मिला था.

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जानिए आनंदपाल के बारे में...

आनंदपाल सिंह नागौर जिले के लाडनूं तहसील स्थित सांवरद गांव का रहने वाला था. 2006 से लेकर 2017 तक राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर रहा. आनंदपाल सिंह के खिलाफ दर्जनों हत्या के मामले दर्ज थे. इनमें सीकर का गोपाल फोगाट हत्याकांड, डीडवाना का जीवन गोदारा हत्याकांड, खेराज हत्याकांड, श्रुति लूट हत्या जैसे कई संगीत मामले थे. बीकानेर जेल में गैंगवार और हत्या का मामला भी शामिल था. 3 सितंबर 2015 को डीडवाना कोर्ट में पेशी के बाद आनंदपाल सिंह पुलिस वैन से अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल जा रहा था. इसी दौरान वो परबतसर के पास पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था. फरारी के दौरान भी आनंदपाल पुलिस के लिए सिर दर्द बना रहा. कई बार पुलिस के साथ आनंदपाल सिंह की मुठभेड़ हुई. खींवसर के पास एक पुलिसकर्मी खुमाराम की जान चली गई. कई बार मुठभेड़ में लोग जख्मी हुए. आखिरकार पुलिस ने 24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में श्रवण सिंह के घर पर पुलिस ने आनंदपाल सिंह को कथित तौर पर एनकाउंटर में ढेर कर दिया.

हालांकि, आनंदपाल सिंह का परिवार और उनके समर्थकों से इसे हत्याकांड बताया और लगातार सीबीआई से जांच की मांग उठाई. घटना के बाद 18 दिन तक आनंदपाल सिंह का अंतिम संस्कार नहीं किया गया और कई बार आनंदपाल सिंह के गांव में उपद्रव देखने को मिला. पुलिस के साथ लोगों की मुठभेड़ भी हुई. दो लोगों की जान भी गई. कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए. बाद में 13 जुलाई 2017 को पुलिस ने जबरन आनंदपाल सिंह का अंतिम संस्कार करवाया. इस दौरान आनंदपाल सिंह के परिवार का कोई सदस्य नहीं था. ना ही कोई ग्रामीण था.

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पुलिस ने दो दर्जन राजपूत समाज के लोगों को उपद्रव में शामिल होने का आरोपी बनाया, जिसमें कई बड़े नेता भी शामिल थे. हालांकि, आनंदपाल सिंह के परिवार ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार एनकाउंटर की सीबीआई से जांच करने की मांग करते रहे. सीबीआई ने जब क्लोजर रिपोर्ट में एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दी तो आनंदपाल सिंह की पत्नी ने कोर्ट में चुनौती दी.

(नागौर से हनीफ खान के इनपुट के साथ)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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