दुनियाभर में लगातार बढ़ रहे कैंसर के मामलों के बीच रूस नेदावा किया है कि उसने कैंसर की वैक्सीन बना ली है. रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 2025 से वैक्सीन लगानी शुरू कर दीजाएगी. रूस ने ये भी साफ किया है कि इस वैक्सीन का शॉट सिर्फ कैंसर मरीजों के लिए होगा, न कि ट्यूमर को बनने से रोकने के लिए.
हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं है कि वैक्सीन किस कैंसर के इलाज के लिए होगी. ये भी नहीं बताया गया है कि वैक्सीन कितनी असरदार है. इतना ही नहीं, वैक्सीन का नाम भी अब तक सामने नहीं आया है. हालांकि, रूस ने ये जरूर बताया है कि वो इसे अपने देश के मरीजों को फ्री में लगाएगा.
रूस की तरह ही दुनिया के कई देशों में पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन पर काम चल रहा है. इस तरह की वैक्सीन में मरीज के ट्यूमर में मौजूद RNA का इस्तेमाल किया जाता है.
इसी साल मई में फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने चार कैंसर मरीजों पर पर्सनलाइज्ड वैक्सीन का टेस्ट किया था. वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि वैक्सीन लगने के दो दिन बाद ही मरीजों में मजबूत इम्युनिटी पैदा हो गई थी.
अगर रूस का दावा सही होता है और कैंसर की वैक्सीन आती है, तो ये मेडिकल साइंस में बड़ा कदम होगा. क्योंकि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह कैंसर ही है. दुनिया में होने वाली हर 6 में से 1 मौत का कारण कैंसर होता है.
भारत में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. साल दर साल कैंसर के मरीज और इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है. 2025 तक भारत में कैंसर मरीजों की संख्या 15 लाख के पार होने की आशंका है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2019 से 2023 के बीच पांच साल में कैंसर के 71 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं. 2023 में ही लगभग 15 लाख मामले सामने आए थे. इसी तरह इन पांच सालों में कैंसर से करीब 40 लाख लोगों की मौत हुई है. पांच साल में सबसे ज्यादा 8.28 लाख मौतें 2023 में हुई थी.
भारत में कैंसर के मामले बढ़ने की सबसे बड़ी वजह तंबाकू है. तंबाकू चबाने से मुंह या गले का कैंसर हो सकता है. जबकि, सिगरेट या बीड़ी पीने से लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि पुरुषों में सबसे ज्यादा मुंह या गले के कैंसर के मामले सामने आते हैं. इसके बाद लंग कैंसर है. 2022 में पुरुषों में कैंसर के 6.91 लाख मामले सामने आए थे. इनमें से डेढ़ लाख से ज्यादा मामले मुंह-गले या लंग कैंसर के थे.
जबकि, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. महिलाओं में कैंसर के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें से करीब 27 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर के मामले होते हैं. इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर के मामले भी ज्यादा बढ़ रहे हैं.
कैंसर का जितनी जल्दी पता लगता है और जितना जल्दी इलाज शुरू होता है, सर्वाइवल रेट उतना ही ज्यादा होता है. कैंसर का इलाज जल्दी शुरू करने से कइयों की जान बचाई जा सकती है.
कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए एक सही डायग्नोसिस जरूरी है, क्योंकि हर कैंसर का इलाज अलग होता है. इसमें सर्जरी, रेडियोथैरेपी और कीमोथैरेपी शामिल है. जब कोई कैंसर की चपेट में आता है तो उसमें कई सारे लक्षण दिखते हैं. जैसे- तेज बुखार, तेज सिरदर्द, हड्डियों में दर्द और वजन का कम होना.सही समय पर इलाज शुरू करने से न सिर्फ जान बचाई जा सकती है, बल्कि ये कम खर्चीला भी होता है और इसकी थेरेपी में दर्द भी कम होता है.
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