चीन में अजीत डोभाल, लद्दाख बॉर्डर पर समझौते के बाद आगे बढ़ेगी बात, जानें- दौरे के बीच क्या आया बयान

4 1 5
Read Time5 Minute, 17 Second

भारत और चीन के बीच पांच साल के अंतराल के बाद आज विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक होने जा रही है. यह महत्वपूर्ण बैठक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के एजेंडे पर आधारित होगी. इस बैठक में शिरकत करने के लिएराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल चीन पहुंच गए हैं.

इस दौरान डोभाल चीन के साथ सीमा विवाद मुद्दों पर विदेश मंत्री वांग यी से चर्चा करेंगे. डोभाल की इस यात्रा का मुख्य एजेंडा पूर्वी लद्दाख पर सैन्य गतिरोध की वजह से चार से अधिक साल से मंद पड़ीद्विपक्षीय संबंधों को बहाल करनाहै.

चीन के विदेश मंत्री से मिलेंगे डोभाल

यह वार्ता ऐसे समय पर हो रही है, जबदोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने के फैसले को एक समझौते के रूप में लागू किया है. दोनों तरफ से को-ऑर्डिनेटेड पेट्रोलिंग की भी शुरुआत की गई है.

अजीत डोभाल लद्दाख गतिरोध के बाद चीन के साथ संबंधों को बहाल करने के लिए बीजिंग में भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में हिस्सा लेंगे. चीन के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर की इस 23वीं बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी हिस्सा लेंगे.

Advertisement

इस महत्वपूर्ण बैठक से पहले चीन ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 24 अक्तूबर को ब्रिक्स समिट से इतर रूस के कजान में हुई बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए तैयार है.

बैठक से पहले चीन ने क्या कहा?

चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को अमलीजामा पहनाने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द पटरी पर वापस लाने के लिए चीन, भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं.

चीन ने एक दूसरे के हितों को सम्मान देने पर जोर दिया है. साथ ही बातचीत के जरिए आपसी विश्वास को और मजबूत करने की जरूरत पर भी ध्यान दिया है. दोनों देशों के बीच विश्वास को दोबारा बहाल करने से जुड़े सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि हम भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं.

भारत ने2020 की यथास्थितिको बनाए रखने पर जोर देते हुएचीन को स्पष्ट संदेश दिया कि अप्रैल 2020 की स्थिति तक लौटना ही समाधान की दिशा में पहला कदम होगा. पिछले कुछ सालों में वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती शक्ति और खासतौर से G20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन ने चीन पर दबाव डाला, जिससे चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. जी20 के अलावा ब्रिक्स, एससीओ और क्वाड में भी भारत की अहमियत ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.

Advertisement

बता दें कि मौजूदा हालात में भारत अपनेसैन्य और राजनयिक स्थान को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. बीते पांच सालों में भारत की तरफ से लद्दाख में जो सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है, उसे तत्काल हटाना संभव नहीं है. इसके साथ, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने सेंट पीटर्सबर्ग में उच्च स्तरीय वार्ता की, जिसमें सीमा के बचे हुए विवादों के समाधान की दिशा में तेजी से कोशिश करने और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर सहमति बनी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कह चुके हैं कि इस क्षेत्र के 75 फीसदीमुद्दे हल हो चुके हैं और जल्द ही पूरी तरह समाधान की उम्मीद है. यह वार्ता भारत-चीन संबंधों को स्टेबल करने की दिशा में एक अहम कदम है.इस तरह की आखिरी बैठक नई दिल्ली में 21 दिसंबर 2019 को हुई थी.

LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर हाल ही में हुआ है समझौता

एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर भारत और चीन के बीच अक्टूबर में ही अहम समझौता हुआ है. समझौते के तहत, एलएसी पर फिर सब कुछ वैसा ही हो जाएगा, जैसा जून 2020 से पहले था. जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद से यहां तनाव बना हुआ था. कई जगह ऐसी थीं, जहां पेट्रोलिंग रुक गई थी.

Advertisement

भारत और चीन के बीच एलएसी पर पांच जगहों- देपसांग, डेमचोक, गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग में संघर्ष था. 2020 के बाद कई दौर की बातचीत के बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई थीं. हालांकि, देपसांग और डेमचोक में सेनाएं तैनात रहने से टकराव का खतरा बना हुआ था. लेकिन अब समझौते के बाद पांच जगहों से भारत और चीन की सेनाएं हट गई हैं और यहां पहले की तरह पेट्रोलिंग शुरू हो गई है.

देपसांग में पेट्रोलिंग करना भारत के लिहाज से इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि काराकोरम दर्रे के पास दौलत बेग ओल्डी पोस्ट से 30 किलोमीटर दूर है. पहाड़ियों के बीच ये सपाट इलाका भी है, जिसका इस्तेमाल सैन्य गतिविधि में किया जा सकता है. वहीं, डेमचोक सिंधु नदी के पास पड़ता है. अगर यहां पर चीन का नियंत्रण होता है तो इससे उत्तर भारत के राज्यों में पानी की आपूर्ति पर असर पड़ने का खतरा था.

1976 में भारत ने एलएसी पर 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स तय किए. पेट्रोलिंग पॉइंट 1 काराकोरम पास में है तो 65 चुमार में है. इन पेट्रोलिंग पॉइंट्स को आसानी से पहचाना जा सकता है, लेकिन इन्हें चिन्हित नहीं किया गया है.

Advertisement

पेट्रोलिंग पॉइंट्स से भारत-चीन के बीच सीमा तय नहीं हुई है. लेकिन ये विवादित इलाके हैं. इन पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर दोनों देशों के सैनिक गश्त लगाते हैं. इसके लिए कुछ प्रोटोकॉल भी तय हैं.

कभी-कभी दोनों देशों के सैनिक एक ही समय में पेट्रोलिंग के लिए आ जाते हैं. ऐसे में प्रोटोकॉल ये है कि अगर एक पक्ष को दूसरे की पेट्रोलिंग टीम दिख जाए तो वो वहीं रुक जाएगा. ऐसी स्थिति में कुछ बोला नहीं जाता है. बल्कि बैनर दिखाया जाता है. भारत के बैनर में लिखा होता है- 'आप भारत के इलाके में हैं, वापस जाओ.' इसी तरह चीन के बैनर में लिखा होता है- 'आप चीन के इलाके में हैं, वापस जाओ.'

हालिया सालों में देखने में आया है कि ऐसी स्थिति में दोनों देशों के सैनिक पीछे हटने की बजाय आपस में भिड़ जाते हैं. यही वजह है कि एलएसी पर कई बार दोनों ओर के सैनिकों के बीच झड़प और धक्का-मुक्की की खबरें आ रहीं हैं. लेकिन समझौते के बाद सीमा पर झड़प न होने की उम्मीद है.

भारत-चीन का सीमा विवाद

भारत और चीन 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करती है. इसे दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा भी कहा जाता है. ये सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बांटा गया है. लद्दाख वेस्टर्न सेक्टर में आता है.

Advertisement

भारत और चीन के बीच कोई आधिकारिक सीमा नहीं है और इसकी वजह चीन ही है और इसी वजह से विवाद का कोई हल नहीं निकल पाता. चीन, अरुणाचल प्रदेश की 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर दावा करता है और उसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है.

इसी तरह से 2 मार्च 1963 को हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर की 5,180 वर्ग किमी जमीन चीन को दे दी थी. जबकि, लद्दाख के 38 हजार वर्ग किमी इलाके पर चीन का अवैध कब्जा पहले से ही है. कुल मिलाकर 43,180 वर्ग किमी जमीन पर अभी भी विवाद है.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Jharkhand Weather Today: झारखंड में ठंड से बुरा हाल, 2 जगहों पर तापमान ने तोड़ा रिकॉर्ड; जमने लगीं ओस की बूंदें

स्वर्णिम भारत न्यूज़ संवाददाता, रांची। Jharkhand Weather News Hindi: राजधानी रांची समेत आसपास के क्षेत्रों में सर्दी का सितम जारी है। पूरे झारखंड में सर्दी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। कुछ जगहों पर ठंड ऐसी की 2-3 डिग्री तापमान और कम हो जाए तो बर

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now