उद्धव से शिंदे और फडणवीस से अजित पवार तक... महाराष्ट्र के 5 बड़े चेहरों का SWOT एनालिसिस

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महाराष्ट्र में महायुति की सत्ता बनी रहेगी या महा विकास अघाड़ी वापसी करेगा? दोनों ही गठबंधन अपनी सरकार बनने का दावा कर रहे हैं. बस कुछ घंटों बाद महाराष्ट्र की सियासत की तस्वीर साफ हो जाएगी.

कुछ एग्जिट पोल में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन की वापसी का अनुमान लगाया गया है. तो कुछ एग्जिट पोल ने महायुति और महा विकास अघाड़ी के बीच करीबी मुकाबला होने के आसार बताए हैं.

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी. और अब शनिवार को इसके नतीजे सामने आएंगे. नतीजों से पहले हमने महाराष्ट्र की सियासत के पांच बड़े चेहरों का SWOT एनालिसिस किया है. SWOT यानी स्ट्रेंथ (ताकत), वीकनेस (कमजोरी), अपॉर्च्युनिटी (अवसर) और थ्रेट (खतरा).

1. एकनाथ शिंदे

- ताकत (Strengths): मौजूदा मुख्यमंत्री हैं और उन्हें मेहनती माना जाता है. लाडकी बहिन योजना का फायदा मिल सकता है. मराठा का बड़ा चेहरा हैं.

- कमजोरी (Weakness): बीजेपी पर काफी हद तक निर्भरता है. मौकापरस्त होने का आरोप लगता रहा है. नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं.

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- अवसर (Opportunities): महाराष्ट्र के नीतीश कुमार बन सकते हैं. चुनाव में जीते तो पार्टी को मजबूत कर सकते हैं. मराठाओं का मजबूत चेहरा बनने का मौका है.

- खतरा (Threats): नतीजों के बाद बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बना सकती है. सरकार का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है, जिसका असर नतीजों पर पड़ सकता है. उद्धव के प्रति जनता की सहानुभूति से नुकसान हो सकता है.

2. देवेंद्र फडणवीस

- ताकत (Strengths): अनुभवी नेता होने के साथ-साथ प्रशासनिक अनुभव भी है. महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रमुख चेहरा है. एनसीपी और शिवसेना में टूट से विपक्ष कमजोर है.

- कमजोरी (Weakness): मराठा चेहरा नहीं हैं और जाति से ब्राह्मण हैं. 'जोड़-तोड़ की राजनीति' से छवि को नुकसान पहुंचा है. शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम रहने से कद घटा है. फडणवीस इससे पहले 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री थे.

- अवसर (Opportunities): बीजेपी का स्ट्राइक रेट बढ़ा सकते हैं. पूरे महाराष्ट्र में बीजेपी का अहम चेहरा बनने का मौका है. चुनाव के बाद फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

- खतरा (Threats): मराठा आंदोलन और बीजेपी की अंदरूनी कलह से नुकसान पहुंच सकता है. कांग्रेस लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन भी दोहरा सकती है. लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने 48 में से 30 सीटें जीती थीं.

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3. नाना पटोले

- ताकत (Strengths): महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी कैडर उत्साहित है. उनके पास जमीनी स्तर का राजनीतिक अनुभव है. मोदी सरकार के मुखर विरोधी हैं.

- कमजोरी (Weakness): हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के कारण कार्यकर्ता हताश हैं. पटोले का कद महाराष्ट्र में सीमित है. कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी नुकसान कर सकती है.

- अवसर (Opportunities): महायुति सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर है. महा विकास अघाड़ी को मराठा, दलित और मुसलमानों का समर्थन है. सोयाबीन की कीमतों की वजह से नाराजगी है.

- खतरा (Threats): हाई वोल्टेज चुनावी प्रचार में NDA ने MVA को पछाड़ दिया है. गठबंधन की अंदरूनी कलह से नुकसान का डर. बीजेपी का जमीनी जुड़ाव ज्यादा बेहतर माना जाता है.

4. अजित पवार

- ताकत (Strengths): संगठन पर जबरदस्त पकड़ है. स्थानीय नेताओं के साथ सीधा जुड़ाव रखते हैं. सरकार बनाने में किंगमेकर की भूमिका अदा कर सकते हैं.

- कमजोरी (Weakness): उनका एनसीपी गुट सिर्फ 59 सीटों पर ही चुनाव लड़ रहा है. बीजेपी और शिंदे सेना के समर्थकों के बीच उन्हें लेकर बेचैनी है. पूरे राज्य में उपस्थिति नहीं है.

- अवसर (Opportunities): निर्विवाद एनसीपी के नेता के तौर पर उभर सकते हैं. अच्छा प्रदर्शन रहा तो शरद गुट के और नेताओं को अपने पाले में ला सकते हैं. खंडित जनादेश होने पर पाला भी बदल सकते हैं.

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- खतरा (Threats): खराब प्रदर्शन के बाद विधायकों के पाला बदलने का डर है. शरद पवार के प्रति सहानुभूति फैक्टर काम कर सकता है. बीजेपी-शिंदे सेना से गठबंधन वोट ट्रांसफर हो सकता है.

5. उद्धव ठाकरे

- ताकत (Strengths): 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उनके साथ सहानुभूति है. मुसलमानों और दलितों में भी स्वीकार्यता बढ़ी है. उन्हें उदार नेता माना जाता है.

- कमजोरी (Weakness): ठाकरे की छवि अलग-थलग रहने की बनी है. उन्हें मेहनती नेता नहीं माना जाता. शिंदे की बगावत से शिवसेना का वोट बैंक बंट गया है.

- अवसर (Opportunities): दलबदल की राजनीति से वोटरों के बीच बेचैनी है. महायुति सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर होने का फायदा मिल सकता है.

- खतरा (Threats): 'बड़ा भाई' रही बीजेपी इस बार शिंदे सेना के साथ है. शिंदे की बगावत के बाद विधायकों की खरीद-फरोख्त से शिवसेना (यूबीटी) कमजोर हो गई है. खराब प्रदर्शन से पार्टी की भविष्य की संभावनाएं खत्म हो सकती हैं.

पिछली बार ऐसे रहे थे नतीजे

महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी. महाराष्ट्र में इस बार 65.02 फीसदी वोटिंग हुई. ये 1995 के चुनाव के बाद सबसे ज्यादा है. 1995 के चुनाव में 71.7 फीसदी वोटिंग हुई थी. जबकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां 61.4 फीसदी वोट पड़े थे. शनिवार को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे.

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2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसने एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.

जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह हो गई. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को तोड़ दिया. एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. अब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है. शरद पवार की एनसीपी भी दो गुट- शरद पवार और अजित पवार में बंट गई थी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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