दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवाएं बीमार कर रही हैं. वायु प्रदूषण से लोगों का दम घुट रहा है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है. सड़कों पर धुंध से ट्रैफिक की रफ्तार सुस्त पड़ गई है. विजिबिलिटी शून्य तक रिकॉर्ड की जा रही है. लेकिन बड़ी चिंता इस बात की भी है कि साफ हवा वाले शहरों की संख्या हर साल घटती जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब बड़े शहरों में सिर्फ 27 फीसदी ही साफ हैं और वहां नागरिक स्वच्छ हवा में सांस ले पा रहे हैं.
हालांकि, इन शहरों में कोई भी उत्तर भारत से नहीं है. यानी नॉर्थ इंडिया के किसी शहर में साफ-स्वच्छ हवा रिकॉर्ड नहीं की जा रही है. वहीं, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जैसे शहरों में AQI 19 से भी कम है. लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है.
लगातार घट रही है साफ शहरों की संख्या
दिल्ली समेत 27 शहर ऐसे हैं, जो स्वच्छ पानी और साफ हवा के लिए जूझ रहे हैं. साफ हवा वाले शहरों की संख्या लगातार घट रही है. ये शहर मूलभूत सुविधाओं से दूर होते जा रहे हैं, जिससे लाखों लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लोग आज स्वच्छ पानी, सांस लेने योग्य हवा और अच्छे भोजन की उम्मीद करते हैं.
इन शहरों में साफ हवा में सांस ले रहे लोग
इसके अलावा, बड़ी संख्या में ऐसे शहर भी हैं, जहां लोग स्वच्छ पानी और साफ हवा ले सकते हैं. इनमें आइजोल (मिजोरम), अरियालुर (तमिलनाडु), बागलकोट (कर्नाटक), चामराजनगर (कर्नाटक), चिक्कमगलुर (कर्नाटक), कोयंबटूर (तमिलनाडु), डिंडीगुल ( तमिलनाडु), हसन (कर्नाटक), कलबुर्गी (कर्नाटक), कांचीपुरम (तमिलनाडु), करूर (तमिलनाडु), कोप्पल (कर्नाटक) और मदिकेरी (कर्नाटक) का नाम शामिल है.
कई शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक
लेटेस्ट ट्रेंड के मुताबिक, देशभर के 51 छोटे-बड़े शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है. इन शहरों में प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुचेरी, पूर्णिया, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सतना, शिवमोग्गा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, तिरुपुर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा और अन्य शामिल हैं.
कैसे हैं दिल्ली के हाल...
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बुधवार सुबह 422 पर पहुंच गया. यानी यहां 'गंभीर' श्रेणी बनी हुई है. बुधवार सुबह 119 फ्लाइट लेट हुईं और 6 रद्द कर दी गईं. दिल्ली-एनसीआर में आर्टिफिशियल बारिश कराए जाने की तैयारी चल रही है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है. 12वीं तक के स्कूल बंद हो गए हैं और ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं. अब सरकार ने सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम लागू करने का फैसला किया है. 50% कर्मचारी घर से काम करेंगे. खतरनाक प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण IV को लागू किया गया है. शहर में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध है और निर्माण कार्यों पर रोक लगी है. सार्वजनिक परियोजनाओं का निर्माण कार्य भी रोक दिया गया है.
इससे पहले 2024 में मानसून के मौसम (जनवरी-अगस्त) के दौरान दिल्ली में छह वर्षों में सबसे स्वच्छ हवा दर्ज की गई थी. उसके बाद अक्टूबर की शुरुआत में दिल्ली की वायु गुणवत्ता गिरना शुरू हो गई और दिवाली के बाद और खराब हो गई. वर्तमान में राजधानी की हवा जहरीली हो गई है. कई क्षेत्रों में AQI 500 के करीब या उससे ज्यादा दर्ज किया गया है.
देश में कैसी है आबो-हवा..
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह तक छह प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' दर्ज की गई. चार शहर 'मध्यम' श्रेणी में है. चार को 'संतोषजनक' और केवल दो को 'अच्छी' श्रेणी में रखा गया है.दिल्ली में आज देश में सबसे ज्यादा पॉल्यूशन लेवल दर्ज किया गया. उसके बाद लखनऊ का 299 और पटना का 265 AQI दर्ज किया गया. ये खराब श्रेणी में माना जाता है. सुबह 6 बजे आइजोल में AQI 26 और गुवाहाटी में AQI 43 रिकॉर्ड किया गया. ये प्रदूषण का सबसे कम लेवल रहा. मंगलवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 494 रहा था.
राजस्थान में पहली बार प्रदूषण की वजह से स्कूल की छुट्टी
राजस्थान में भी प्रदूषण से हालात खराब हैं. यहां पहली बार प्रदूषण के कारण सरकार को स्कूल बंद करने का फैसला लेना पड़ा. राजस्थान के खैरथल-तिजारा जिले में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है, जिसके कारण जिला प्रशासन ने छुट्टी घोषित की है. कलेक्टर का कहना है कि जिले के सभी राजकीय और गैर-राजकीय विद्यालयों में 20 से 23 नवंबर तक पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए अवकाश घोषित किया गया है. पढ़ाई में किसी भी प्रकार की बाधा ना हो, इसके लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित होंगी. स्कूलों में शिक्षकों की छुट्टी नहीं होगी और वे स्कूल आकर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाएंगे.
कैसे पता करते हैं वायु प्रदूषण?
वायु प्रदूषण पर प्रतिदिन नजर रखने के लिए निगरानी सेंटर्स बनाए गए हैं. ये सेंटर्स वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की रीडिंग के जरिए आंकड़े बताते हैं. इसके साथ ही जहरीली हवा से जोखिम कम करने के बारे में जानकारी दी जाती है. लोगों को 0-500 के पैमाने के आधार पर बताया जाता है कि हवा कितनी साफ या प्रदूषित है, जिसका मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.
दरअसल, हमारा स्वास्थ्य भी इस बात से जुड़ा है कि हम कैसी हवा में सांस लेते हैं. धूम्रपान की तरह ही अशुद्ध हवा में सांस लेना भी उतना ही खतरनाक माना जाता है. जिस तरह धूम्रपान हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, ठीक उसी तरह अशुद्ध हवा में सांस लेना भी उतना ही नुकसानदेह है.
लोगों को बीमार रही है खराब हवा...
प्रदूषित वायु कण हमारे नाक, गले, साइनस, आंखों और फेफड़ों में जलन, सूजन पैदा कर सकते हैं. आंत के माइक्रोबायोटा पर भी इसका असर पड़ता है. शिशुओं और बच्चों के फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. हृदय रोग जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग, दिव्यांग लोग और बुजुर्ग खराब गुणवत्ता वाली हवा की वजह से गंभीर बीमार हो सकते हैं.
प्रमुख शहरों में प्रदूषण का स्तर
शहर | एक्यूआई | श्रेणी |
अहमदाबाद | 141 | मॉडरेट |
आइज़ोल | 26 | अच्छा |
बेंगलुरु | 129 | मॉडरेट |
भोपाल | 261 | खराब |
भुवनेश्वर | 178 | मध्यम |
चंडीगढ़ | 215 | खराब |
चेन्नई | 100 | संतोषजनक |
दिल्ली | 422 | गंभीर |
गुवाहाटी | 43 | अच्छा |
हैदराबाद | 95 | संतोषजनक |
जयपुर | 261 | खराब |
कोलकाता | 222 | खराब |
लखनऊ | 299 | खराब |
मुंबई | 136 | मॉडरेट |
पटना | 265 | खराब |
रायपुर | 98 | संतोषजनक |
तिरुवनंतपुरम | 66 | संतोषजनक |
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