बुलडोजर पर ब्रेक नहीं, इन 7 नियमों के पालन के बाद हो सकता है एक्शन, अफसरों से वसूली समेत समझें सारे नियम

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'अपना घर हो, अपना आंगन हो,
इस ख्वाब में हर कोई जीता है.
इंसान के दिल की ये चाहत है
कि एक घर का सपना कभी न छूटे.'

ये लाइनें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को 'बुलडोजर जस्टिस' के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा. इसके साथ ही अदालत ने प्रशासन द्वारा आरोपियों/दोषियों के घरों को जमींदोज करने पर सख्त टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते, अगर इस तरह से बुलडोजर चलाया तो भरपाई अफसर ही करेगा. बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार नहीं दिया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अधिकारियों को यह भी बताया जाना चाहिए कि अगर बुलडोजर एक्शन में कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन पाया जाएगा, तो संबंधित अधिकारियों को नुकसान के भुगतान के अलावा ध्वस्त की गई संपत्ति की प्रतिपूर्ति के लिए अपने व्यक्तिगत खर्च पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा." अदालत ने कहा कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को रातों-रात सड़कों पर घसीटते हुए देखना सुखद दृश्य नहीं है. अगर अधिकारी कुछ वक्त के लिए अपना हाथ थामे रहें, तो उन पर कोई आफत नहीं टूटेगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने बुलडोजर कार्रवाई पर फैसला सुनाते हुए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं. अब प्रशासन को किसी जगह पर बुलडोजर कार्रवाई करने से पहले इन निर्देशों के तहत सुनिश्चित करना होगा कि संरचना पर कार्रवाई की जा सकती है या नहीं.

  1. सिर्फ आरोपी या दोषी होने पर घर नहीं गिराया जा सकता.
  2. मामला सुलझने के काबिल है या नहीं.
  3. बुलडोजर एक्शन से पहले नोटिस.
  4. व्यक्तिगत सुनवाई का वक्त.
  5. प्रशासन को ये बताना होगा कि बुलडोजर एक्शन क्यों जरूरी है.
  6. संरचना गिराने की प्रक्रिया बतानी होगी.
  7. गाइडलाइन तोड़ने पर अफसर के खिलाफ कार्रवाई होगी.

कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी करते हुए बताया है कि बुलडोजर कार्रवाई आरोपियों पर क्यों नहीं चलाया जा सकता है औरकिन स्थितियों पर बुलडोजर कार्रवाई मान्य होगी. अगर बुलडोजर चलाया जाना जरूरी है, तो उसका क्या प्रोसेस होगा.

1- किन स्थितियों में बुलडोजर एक्शन नहीं किया जा सकता?

अब सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है. कोर्ट ने कहा, "राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता. बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है. निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. कानून के शासन, कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा. कानून का शासन मनमाने विवेक की अनुमति नहीं देता है. चुनिंदा डिमोलेशन से सत्ता के दुरुपयोग का सवाल उठता है."

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2- किन मामलों में नही लागू होंगे कोर्ट के निर्देश?

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों और दोषियों के घरों पर बुलडोजर एक्शन को गैर-कानूनी तो बताया है. लेकिन सभी मामलों में बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं होगी. कोर्ट के द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश में कुछ ऐसे पहलुओं का भी जिक्र है, जिन पर अदालत के निर्देश नहीं लागू होते. सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकाय पर अनाधिकृत कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश लागू नहीं होंगे.

अदालत ने कहा, "हम साफ करते हैं कि ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनाधिकृत संरचना है." इसके अलावा कोर्ट ने आगे कहा कि आज का फैसला उन मामलों में भी लागू नहीं होंगा, जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया है.

3- आरोपी या दोषी होने पर क्यों नहीं चलेगा बुलडोजर?

किसी शख्स के आरोपी या दोषी होने पर उसके खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई नहीं होगी. कोर्ट ने इस पर दलीलें दी हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसी अपराध के आरोपियों और यहां तक दोषियों के लिए कानूनी सुरक्षा की बात की. अदालत ने कहा कि आरोपियों और दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी गई है. यानी आरोपी होने पर उनके घरों पर बुलडोजर चलाकर कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता है. कोर्ट ने कहा, "संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है."

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4- बुलडोजर एक्शन किस तरह से होगा कानून का उल्लंघन?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान और कानून का उल्लंघन है. अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता.

5-मामला सुलझने के काबिल है, तो क्या होगा?

अगर कोई ऐसा मामला है, जिसे सुलझाया जा सकता है, तो ऐसी स्थिति में पूरा घर नहीं गिराया जा सकता है. कोर्ट ने कहा, "स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले घर/निर्माण पर बुलडोजर चलाने पर विचार करते वक्त यह देखना चाहिए कि नगरपालिका कानून में क्या अनुमति है." अदालत ने कहा कि अगर अनधिकृत निर्माण समझौता योग्य है, तो ऐसा किया जाना चाहिए.

6- किस स्थिति में घर के कुछ ही हिस्से पर चलेगा बुलडोजर?

सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी करते हुए यह भी कहा है कि अगर मुमकिन हो तो निर्माण का कुछ हिस्सा गिराया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि संरचना पूरी तरह अवैध है या नहीं. अपराध को कम करने या केवल एक हिस्से को ध्वस्त करने की कोई संभावना हो, तो ऐसा किया जाना चाहिए.

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यह भी पढ़ें: कहां बुलडोजर चलेगा, "कहां बुलडोजर चलेगा, कहां होगी रोक? सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 28 बड़ी बातें

7- पंद्रह दिन पहले नोटिस और चुनौती देने का क्या प्रोसेस?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और निर्माण के बाहर चिपकाया जाएगा. नोटिस में बुलडोजर चलाने का कारण, सुनवाई की तारीख बताना जरूरी होगी. घर पर नोटिस तामील किए जाने के बाद 15 दिनों का वक्त दिया जाएगा. नोटिस तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी. इसके बाद कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे. प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा, रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा.

आदेश के 15 दिनों के अंदर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का मौका दिया जाएगा. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अगर घर गिराने का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए. बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है.

कोर्ट ने कहा, "15 दिन की कारण बताओ नोटिस जारी की जानी चाहिए. इसके बाद, नोटिस जारी होते ही कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट को ऑटो जेनरेटेड ईमेल भेजा जाना चाहिए, जिससे बैकडेटिंग को रोका जा सके."

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8- घर/संरचना का मालिक अगर कार्रवाई का विरोध नहीं करते तो क्या प्रोसेस होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "नागरिकों के मन में डर को दूर करने के लिए हमें अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी करना जरूरी लगता है. हमारा मानना ​​है कि जहां भी ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया है, वहां भी नोटिस को चुनौती देने के लिए लोगों को वक्त दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही वैकल्पिक आश्रय की व्यवस्था भी की जानी चाहिए." अदालत ने कहा कि हमारा यह भी मानना ​​है कि ऐसे मामलों में भी जो लोग ध्वस्तीकरण के आदेश का विरोध नहीं करना चाहते हैं, उन्हें खाली करने के लिए पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें: 'आरोपी या दोषी का घर गिराना भी गलत...', "'आरोपी या दोषी का घर गिराना भी गलत...', बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने खींच दी लक्ष्मण रेखा

9- डिजिटल पोर्टल पर क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 3 महीने के अंदर डिजिटल पोर्टल बनाया जाना चाहिए, जिसमें बुलडोजर एक्शन के नोटिस की जानकारी और घर/संरचना के पास सार्वजनिक स्थान पर नोटिस प्रदर्शित करने की तारीख बताई जाएगी. व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख जरूर दी जानी चाहिए. आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है.

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पुलिस और अधिकारियों की मौजूदगी में तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. यह रिपोर्ट पोर्टल पर पब्लिश की जाएगी.

10- बुलडोजर एक्शन अवैध पाया गया तो क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हर्जाना देना होगा. अनाधिकृत संरचनाओं को गिराते वक्त डीटेल्ड स्पॉट रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ शब्दों में कहा कि सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा. सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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