दिल्ली में प्रदूषण पर कंट्रोल के दावे की खुली पोल, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट देने में फर्जीवाड़े का खुलासा

4 1 7
Read Time5 Minute, 17 Second

गर्मी के मौसम के बाद दिल्ली वाले बेसब्री से सर्दी के मौसम का इंतज़ार करते हैं, ताकि उमस भरी गर्मी से छुटकारा मिल सके, लेकिन दिल्ली में सर्दी शुरू होते ही दिल्ली-NCR पर प्रदूषण का क़हर टूट पड़ता है. हर साल दिल्ली सरकार प्रदूषण की रोकथाम को लेकर विंटर एक्शन प्लान तैयार करती है, लेकिन स्थिति वही ढाक के तीन पात. दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली का जलना बताया जाता है. साथ ही गड़ियों से निकलने वाला प्रदूषण दिल्ली की हवाओं को ज़हर में बदल देता है. ऐसे में आजतक की इन्वेस्टिगेशन टीम ने गड़ियों के प्रदूषण जांच करने वाले केंद्र की पड़ताल की. इसमें जो ख़ुलासा हुआ, वो हैरान करने वाला है. दरअसल, ये प्रदूषण जांच केंद्र दिल्ली की हवाओं को ज़हरीला बनाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. पढ़िए ये खास रिपोर्ट...

सबसे पहले बात करते हैं नोएडा के सेक्टर-20 कोतवाली की... यहां हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सेक्टर-20 कोतवाली का इस स्टिंग ऑपरेशन से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इस स्टिंग ऑपरेशन की शुरुआत नोएडा के सेक्टर-20 कोतवाली से ही होती है. हमारे रिपोर्टर सबसे पहले यहां के मालखाने में जमा गाड़ियों का मुआयना करते हैं, इसके बाद कुछ गाड़ियों का फोटो खींचकर इस पड़ताल की शुरुआत करते हैं. ये गाड़ियां अलग-अलग ट्रैफ़िक रूल्स को तोड़ने या एक्सीडेंट के कारण थानों में बंद हैं. जिस गाड़ी को हमने चुना, वो डेढ़-दो साल से थाने में बंद हैं. पड़ताल में हम देखना चाहते थे कि नोएडा और दिल्ली में प्रदूषण जांच केंद्र कितनी ईमानदारी से काम कर रहे हैं, हमारी पड़ताल में एक बड़ी बेईमानी का खुलासा हुआ.

ऐसे बन रहे फर्जी सर्टिफिकेट

Advertisement

हम कुछ गड़ियों का फोटो खींचकर नोएडा स्थित सेक्टर-95 के एक पॉल्यूशन केंद्र पहुंचे, जहां हमने बताया कि मेरी गाड़ी दिल्ली में खड़ी है. पॉल्यूशन एक्सपायर होने के कारण हम अपनी गाड़ी निकाल नहीं पा रहे हैं. अगर वे हमारी पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बना देते हैं, तो हम गाड़ी सड़क पर निकाल सकते हैं. पॉल्यूशन केंद्र पर बैठे शख्स का नाम नरेंद्र है. नरेंद्र ने आराम से पूछा कि गाड़ी का नंबर बताइए. गाड़ी का नंबर लेने के बाद हमने नरेंद्र को गाड़ी का फोटो दिखाया. उसके बाद नरेंद्र ने बिना कुछ पूछताछ किए, हमें बड़े ही आराम से थाने में बंद गाड़ी का पॉल्यूशन निकाल कर दे दिया.

बिना गाड़ी की जांच किए मिला सर्टिफिकेट

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाते समय नरेंद्र ने एक बात ज़रूर पूछी कि गाड़ी थाने में बंद तो नहीं है. दरअसल, नरेंद्र कहना चाह रहा था कि गाड़ी थाने में बंद नहीं होनी चाहिए, बाक़ी सब चल जाता है. इस घटना से आप समझ सकते हैं कि कैसे बिना गाड़ी के नरेंद्र ने हमें एक साल का प्रदूषण का सर्टिफिकेट दे दिया, जिसमें गाड़ी को प्रदूषण में पास भी दिखाया. इतना ही नहीं, नोएडा के केंद्र में बैठे नरेंद्र ने हरियाणा के केंद्र से बना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट हमें थमा दिया. जो हमारे लिए काफ़ी चौंकाने वाला था, क्योंकि नरेंद्र को पता है कि बिना गाड़ी लाए पॉल्यूशन नहीं किया जा सकता. इसलिए हरियाणा के पॉल्यूशन केंद्र से सेटिंग की हुई है, ताकि ज्यादा कमाई की जा सके.हमने नरेंद्र से पूछा है कि सर्टिफिकेट ऑरिजिनल तो है ना? क्योंकि ये हरियाणा का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट है, तो हमें बताया गया कि पॉल्यूशन ऑनलाइन है. कहीं का भी हो, कई दिक्कत नहीं है. नरेंद्र ने ऐसा इसलिए किया, ताकि अगर कभी कोई जांच होती है, तो इसमें वह खुद ना फंसे. क्योंकि हर सर्टिफिकेट में लिखा होता है कि वो जारी कहां से हो रहा है, लेकिन नरेंद्र को नहीं पता था कि आजतक का खुफिया कैमरा सब देख रहा है.

Advertisement

दिल्ली के कापसहेड़ा में भी बना रहा फर्जीसर्टिफिकेट!

नोएडा में प्रदूषण केंद्र की पड़ताल के बाद हमारी टीम दिल्ली के कापसहेड़ा स्थित एक पेट्रोल पंप पर मौजूद पॉल्यूशन केंद्र पहुंची. यहां भी हमने सेक्टर-20 कोतवाली में बंद एक गाड़ी का फोटो दिखाया और बताया कि गाड़ी का पॉल्यूशन एक्सपायर हो गया है, क्या वो इसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बना सकते हैं?

रिपोर्टर- भाई एक मदद कर दो हमारी
संदीप- बोलो
रिपोर्टर- एक पॉल्यूशन निकलवाना है
संदीप- गाड़ी ये है
रिपोर्टर - गाड़ी बहुत दिन से दिल्ली में ख़ड़ी है, उसको अब निकालना है
संदीप - पॉल्यूशन निकालना है या बनाना है
रिपोर्टर- पॉल्यूशन बनाना है.
संदीप- ऐसे फोटो से नहीं बनता
रिपोर्टर- कोई जुगाड़ कर दो
संदीप- दिल्ली में तो कोई भी नहीं बनाएगा
रिपोर्टर- पहले तो बनाए हो तुम
संदीप- पहले की बात छोड़ो, करंट में अब वीडियो बनती है
रिपोर्टर - कुछ तो मैनेज़ करो भाई मेरे
संदीप-मैनेज की बात है, कौन सा नंबर है
रिपोर्टर - HR नंबर है
संदीप- दिखाना

पैसे के लालच में हो रहा खेल

तो इस तरह संदीप ने पूछा कि गाड़ी कहां है. रिपोर्टर ने बताया कि गाड़ी घर पर है, पहले तो उसने माना किया फिर पैसे के लालच में पूछा गाड़ी नंबर क्या है. गाड़ी नंबर पूछने के बाद बताया कि दिल्ली में पॉल्यूशन ऐसे नहीं बनता. अगली बार से गाड़ी लेकर आना, क्योंकि दिल्ली में गाड़ी की रिकॉर्डिंग होती है, तभी पॉल्यूशन बना सकते हैं. इसके बाद हमें कहा गया कि बाहर खड़े रहिए बना रहा हूं.

Advertisement

संदीप- थोड़ा बाहर खड़े हो जाओ
रिपोर्टर- निकल जाएगा ना, कितना पैसा देना होगा भाई?
संदीप- दे देना अपने हिसाब से
रिपोर्टर- जो रेट होगा तुम्हारा, वही तो लोगे
संदीप- 150 रेट तो है ही, फोटो से बनवा रहे हो तो 50 रुपये और दे देना
रिपोर्टर- मतलब 200 रुपए
संदीप- हां...
संदीप- गाड़ी लाने की कोशिश किया करो, क्या है कि अब वीडियो बनता है
रिपोर्टर- अच्छा, तो कैसे मैनेज किया अभी आपने
संदीप- जो मैनेज करना था, कर लिया
रिपोर्टर- पहले भी मैंने यहां से एक-दो बार बनवाया है
संदीप- पहले बना दिया करते थे, तब वीडियो नहीं बना करती थी. पहले फोटो लगती थी, अब दोनों चीज़ होती हैं
रिपोर्टर- इससे कोई दिक़्क़त तो नहीं ना
संदीप - नहीं एक दम ऑनलाइन है ये
रिपोर्टर - ऐसा तो नहीं कि वीडियो आपने बनाया नहीं, अपलोड नहीं किया तो पुलिस पकड़ ले हमें
संदीप- वीडियो बन चुका है तुम्हारी गाड़ी का
रिपोर्टर - बन गया? दिखाना एक बार, ये तो ताज्जुब वाली बात बता रहे हो.

पलक झपकते ही हमें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया, वो भी एक साल का. जरा सोचिए कि बिना गाड़ी ले जाए ही यह पॉल्यूशन केंद्र पैसों के लालच में गाड़ी का पॉल्यूशन बना रहे हैं, तो दिल्ली वाले भला कैसे साफ़ हवा में सांस ले सकते हैं?

नियम क्या कहता है?

Advertisement

-दिल्ली में प्रदूषण जांच (पीयूसी) कराने में गलती करने पर 10,000 रुपये का चालान काटा जा सकता है. अगर पहली बार पकड़ा जाता है, तो 10 हज़ार तक का चलान काटकर छोड़ दिया जाता है. अगर दूसरी बार पकड़ा जाता है, तो चालान के साथ-साथ 6 महीने तक की जेल हो सकती है.

-दिल्ली परिवहन विभाग ने पॉल्यूशन से निज़ात दिलाने के लिए एक नया ट्रैफ़िक प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत दिल्ली के कुछ पेट्रोल पंपों पर कैमरे लगाए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि आने वाली गाड़ियों में प्रदूषण जांच हुई है या नहीं. इस नियम के मुताबिक़ गाड़ी को ले जाए बिना पॉल्यूशन केंद्र वाले पॉल्यूशन नहीं बना सकते हैं, अगर ये एसा करते हैं, तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है.

ग़ाज़ियाबाद के प्रदूषण केंद्र का हाल

अभी तक आपने नोएडा और दिल्ली का हाल देखा, इसके बाद हमारी टीम ग़ाज़ियाबाद के लाल कुआं के एक प्रदूषण केंद्र पर पहुंची. इससे पहले हमारी टीम नोएडा के सेक्टर-24 थाना पहुंची, और यहां से कुछ ऐसी गाड़ियों का फोटो लिया, जो अलग-अलग मामलों में पुलिस ने गाड़ी को जब्त कर रखा है. गाजियाबाद के लाल कुआं के पॉल्यूशन केंद्र पर हमसे सिर्फ यही पूछा गया कि गाड़ी कहां खड़ी है. हमने बताया कि गाड़ी खराब है और दिल्ली में खड़ी है. जिसका काफ़ी समय से पॉल्यूशन नहीं हुआ है. अब हमें गाड़ी सड़क पर निकालनी है.

Advertisement

रिपोर्टर - एक पॉल्यूशन कराना
पीयूसी- गाड़ी कहां है
रिपोर्टर - गाड़ी दिल्ली ग़राज़ में खड़ी है.
पीयूसी- खड़ी है या चल रही है
रिपोर्टर- बहुत दिन से खड़ी है, सर्विस के लिए गई हुई है
पीयूसी- सर्विस सेंटर में पहुंच गई?
रिपोर्टर - सर्विस घर में ही करा रहे हैं, मैकेनिक बुलाकर. आजकल तो ऑनलाइन सर्विस चलता है ना.
पीयूसी- कौन सी गाड़ी है, कितने दिन हो गए खड़े किए.
रिपोर्टर- कुछ टाइम हो गया. बहुत दिन से खड़ी है गाड़ी.
पीयूसी- पक्का घर पर है गाड़ी?
रिपोर्टर- हां भाई
पीयूसी-दो साल हो गए?
रिपोर्टर- हां, पॉल्यूशन ही बना रहे हो ना.
पीयूसी- हां
रिपोर्टर- यहां तो पॉल्यूशन ही बनता होगा, एक साल वाला पॉल्यूशन बना देना.
पीयूसी- एक साल का नहीं बनता है
रिपोर्टर- कितने दिन का होगा
पीयूसी- 6 महीने का होगा, मॉडल पुराना है 2011 है.
रिपोर्टर- अच्छा, ऐसा कुछ होता है क्या? मॉडल पुराना होने पर एक साल का नहीं बनाता है
पीयूसी- ना
रिपोर्टर - ओरिजनल बनाकर देना भाई
रिपोर्टर- गाड़ी दिल्ली में खड़ी है
पीयूसी-एक घंटे तक चले ना बस. फिर कोई दिक़्क़त नहीं है. एक-एक घंटे के बाद चलाओ कोई दिक़्क़त नहीं है
रिपोर्टर- क्या चलाओ
पीयूसी-गाड़ी
रिपोर्टर- हां
पीयूसी- ट्रैफिक वाले रोक लें तो दिक़्क़त हो जाती है
रिपोर्टर- अभी अपने ग़ाज़ियाबाद में दिक़्क़त नहीं है
पीयूसी- अभी ये इस लोकेशन पर है. लेकिन गाड़ी दिल्ली में है करीब 50 किलोमीटर दूर. तो ट्रैक कर लेते हैं कि गाड़ी वहां कैसे पहुंच गई
रिपोर्टर- अच्छा, कौन ट्रैक करता है ये.
पीयूसी- ट्रैफ़िक वाले ट्रैफ़िक पुलिस.
रिपोर्टर- यहां से 50 किलोमीटर दूर होगी अभी गाड़ी.
पीयूसी- गाड़ी चल तो रही है न?
रिपोर्टर- नहीं, गैराज में खड़ी है गाड़ी. मतलब कि घर के गैराज में खड़ी है.
पीयूसी- गाड़ी एक घंटे बाद चलाओ
रिपोर्टर- नहीं, तीन दिन बाद चलेगी गाड़ी
रिपोर्टर- अच्छा, ऐसा भी है कि ट्रैक कर लेते हैं
पीयूसी- हां
रिपोर्टर- शायद इसलिए कि पॉल्यूशन यहां बना और गाड़ी वहां खड़ी है?
पीयूसी-हां
रिपोर्टर- कितने पैसे हुए भाई
पीयूसी- 130 रुपए
रिपोर्टर- कितने रुपए लगते हैं वैसे?
पीयूसी-गाड़ी हो तो 80
रिपोर्टर- गाड़ी हो तो 80 रुपये, नहीं हो तो 130?
पीयूसी-हां
रिपोर्टर- भाई पॉल्यूशन में तो पास है ना गाड़ी
पीयूसी- हां पास है. सर्टिफिकेट ऑनलाइन होना चाहिए, गाड़ी के नंबर से डिटेल्स तुरंत आ जाती हैं.
रिपोर्टर- कैसे पता कि ये पॉल्यूशन में पास है?
पीयूसी-रीडिंग है वो इतनी जानकारी नहीं करते.
रिपोर्टर- एक बार ढंग से देख लो. चेक कर लो. पॉल्यूशन में पास है ना?

Advertisement

दिल्ली सरकार की सख्ती पर भी लगा रहे पलीता

दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए ही ट्रैफिक चालान 500 रुपए से बढ़ाकर 10 हज़ार किया था, ताकि लोग तय समय पर अपनी गाड़ी के पॉल्यूशन की जांच कराते रहें. दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी है, यही कारण है कि पिछले कुछ साल से जब पॉल्यूशन बढ़ता है, तो दिल्ली सरकार ईवन और ऑड फॉर्मूला अपनाती है, ताकि सड़कों से गाड़ियों को कम किया जा सके, लेकिन पॉल्यूशन केंद्र पर बैठे ये लोग चंद पैसे के लालच में सरकार के सारे प्लान को फेल कर रहे हैं और हम ज़हरीली हवा में सांस ले रहे हैं.

(रिपोर्ट- अभिषेक कुमार)
Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

UP: करोड़पति कारोबारी को महिला कर्मचारी ने झूठे रेप केस में फंसाया, मांगे 5 करोड़ रुपये

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now