झारखंड में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है. भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. पहले चरण का चुनाव 13 नवंबर को होना है जिसके लिए 683 उम्मीदवार मैदान में हैं. यानि, हर सीट पर करीब 16 उम्मीदवार. दूसरा चरण 20 नवंबर को होगा और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) गठबंधन की योजना अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता के बल पर सत्ता में बने रहने की है, खासकर अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों के सर्मथन के भरोसे. वहीं, बीजेपी गठबंधन, सोरेन सरकार की कमियों को गिनाते और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का विस्तार करते हुए वापसी की कोशिश कर रहा है, जिसमें ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU), झारखंड विकास मोर्चा (JVM), और जनता दल (यूनाइटेड) को शामिल किया गया है.
बेरोजगारी, महंगाई, कृषि और ग्रामीण संकट जैसे बुनियादी मुद्दे चर्चा में हैं. बीजेपी अवैध प्रवास, धर्म परिवर्तन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को उठाते हुए चुनाव प्रचार कर रही है. नई आवाज बने जयराम महतो ने अंदरूनी बनाम बाहरी लोगों के मुद्दे को फिर से हवा दी है. झारखंड में प्रवासी आबादी करीब 35 प्रतिशत है जो स्थानीय आदिवासी आबादी की तुलना में अधिक संपन्न मानी जाती है. इससे तनाव पैदा हो रहा है.
मुख्यमंत्रियों के बदलते कार्यकाल और त्रिशंकु विधानसभा के लिए चर्चित राज्य झारखंड में 2014 और 2019 में अपेक्षाकृत स्थिर सरकारें बनी थीं. 2009 में, बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था जबकि कांग्रेस, आरजेडी, और जेएमएम ने अलग-अलग मैदान में उतरने का फैसला किया था. परिणामस्वरूप, त्रिशंकु विधानसभा बनी. 2014 में बीजेपी और एजेएसयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा जबकि कांग्रेस और जेएमएम अलग-अलग थे, और एनडीए ने जीत दर्ज की. 2019 में बीजेपी और एजेएसयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जबकि जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने महागठबंधन बनाकर जीत हासिल की.
क्षेत्रीय समीकरण
झारखंड को चुनावी विश्लेषण के लिए पांच क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: पलामू, संथाल परगना, उत्तर छोटानागपुर, दक्षिण छोटानागपुर, और कोल्हान. पलामू में 9 सीटें हैं, छोटानागपुर में 40 सीटें (उत्तर और दक्षिण मिलाकर), संथाल परगना में 18 सीटें, और कोल्हान में 14 सीटें हैं. राज्य में अनुसूचित जाति के लिए 9 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 28 सीटें आरक्षित हैं.
बीजेपी ने अनुसूचित जाति की सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत की है, जबकि जेएमएम की पकड़ अनुसूचित जनजाति वाली सीटों पर बढ़ी है. दक्षिण छोटानागपुर में 11 अनुसूचित जनजाति सीटें हैं, कोल्हान में 9, संथाल परगना में 7 और पलामू में सिर्फ 1. उत्तर छोटानागपुर में अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट नहीं है. अनुसूचित जाति की चार सीटें उत्तर छोटानागपुर में, दो पलामू में, और एक-एक दक्षिण छोटानागपुर, कोल्हान, और संथाल परगना में हैं. राज्य की कुल आबादी में अनुसूचित जाति का हिस्सा करीब 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 26 प्रतिशत है.
पलामू क्षेत्र
इसमें पलामू, गढ़वा, और लातेहार जिले शामिल हैं जो बिहार की सीमा को उत्तर में और छत्तीसगढ़ की सीमा को पश्चिम में छूते हैं. यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है. यहां धान और गन्ना मुख्य फसलें हैं. क्षेत्र में अनुसूचित जाति की 2, अनुसूचित जनजाति की 1, और 6 सामान्य सीटें हैं. यहां की आबादी में अनुसूचित जनजाति 18%, अनुसूचित जाति 25% और मुस्लिम 13% हैं.
2014 में, बीजेपी ने 4 सीटें, कांग्रेस ने 1, जेवीएम ने 2 और अन्य ने 2 सीटें जीती थीं. 2019 में, इंडिया गठबंधन ने 5 सीटें जीतीं और बीजेपी ने 3 सीटें. वोट शेयर में बीजेपी को 37% और 'INDIA' ब्लॉक को 30% वोट मिले थे. 2024 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से देखें तो यहां बीजेपी 8 सीटों पर बढ़त में थी और इंडिया गठबंधन को सिर्फ 1 पर.
संथाल परगना
इस क्षेत्र की 18 सीटों में देवघर, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़ और साहिबगंज जिले आते हैं, जो बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा को छूते हैं. यहां 1 अनुसूचित जाति, 7 अनुसूचित जनजाति, और 10 सामान्य सीटें हैं. यहां अनुसूचित जनजाति 28%, अनुसूचित जाति 8% और मुस्लिम 23% हैं.
2014 में बीजेपी ने 7, कांग्रेस ने 3, जेएमएम ने 6 और जेवीएम ने 2 सीटें जीतीं. 2019 में, इंडिया गठबंधन ने 13 सीटें जीतीं और बीजेपी को सिर्फ 5 सीटें मिलीं. वोट शेयर में इंडिया गठबंधन को 40% और बीजेपी को 36% मत मिले.
उत्तर छोटानागपुर
यहां की 25 सीटों में बोकारो, चतरा, धनबाद, गिरिडीह, हज़ारीबाग, कोडरमा, और रामगढ़ जिले आते हैं. यह बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा को छूता है. यहां अनुसूचित जाति के लिए 4 सीटें हैं. यहां अनुसूचित जाति 17%, अनुसूचित जनजाति 9% और मुस्लिम 16% हैं.
2014 में बीजेपी ने 13, कांग्रेस ने 2, जेवीएम ने 3, एजेएसयू ने 2, जेएमएम ने 3 और अन्य ने 2 सीटें जीतीं. 2019 में बीजेपी और इंडिया गठबंधन 10-11 सीटों पर बंटे. वोट शेयर में बीजेपी 32% और इंडिया 31% पर रही.
दक्षिण छोटानागपुर
यहां 15 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें गुमला, खूंटी, लोहरदगा, रांची और सिमडेगा जिले शामिल हैं. यह क्षेत्र पश्चिम में छत्तीसगढ़, दक्षिण में ओडिशा और पूर्व में पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा हुआ है. इस क्षेत्र में एक अनुसूचित जाति (SC) सीट, 11 अनुसूचित जनजाति (ST) सीटें और तीन सामान्य सीटें हैं. जनसंख्या के हिसाब से यहां 51% जनजातीय (ST), 5% अनुसूचित जाति (SC) और 11% मुस्लिम आबादी है.
2014 में यहांबीजेपी ने आठ सीटें जीती थीं, JVM को एक, JMM को तीन, AJUS को दो और अन्य को एक सीट मिली थी. 2019 में INDIA गठबंधन ने अपनी बढ़त बनाए रखी और आठ सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को केवल पांच सीटें मिलीं. वोट प्रतिशत के हिसाब से 2019 में बीजेपी को 37% और INDIA गठबंधन को 38% वोट मिले थे. 2024 के आम चुनावों में बीजेपी चार विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी, जबकि INDIA गठबंधन 11 सीटों पर आगे था.
कोल्हान
इस क्षेत्र में 14 सीटें हैं और इसमें पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला जिले आते हैं, जो ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सीमा को छूते हैं. यहां 1 अनुसूचित जाति, 9 अनुसूचित जनजाति और 4 सामान्य सीटें हैं. यहां अनुसूचित जनजाति 42%, अनुसूचित जाति 5% और मुस्लिम 6% हैं.
2014 में जेएमएम ने 7, बीजेपी ने 5, एजेएसयू ने 1 और अन्य ने 1 सीटें जीतीं. 2019 में, इंडिया गठबंधन ने 13 सीटें जीतीं और बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली. वोट शेयर में इंडिया गठबंधन को 49% और बीजेपी को 29% मत मिला.
इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी को कोल्हान और संथाल परगना में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी. बीजेपी को उम्मीद है कि चंपई सोरेन का जुड़ना और एजेएसयू के साथ गठबंधन उसे कोल्हान में फायदा पहुंचाएगा. वहीं, संथाल परगना में बीजेपी अवैध प्रवास और जनसंख्या संतुलन जैसे मुद्दों को उठाकर वोट बटोरने की कोशिश कर रही है. ऐसे में झारखंड का यब चुनावी जंग में दिलचस्प होता दिख रहा है.
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