देशभर में छठ पर्व का उत्साह देखने को मिल रहा है. गुरुवार शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया गया और शुक्रवार सुबह भी अर्घ्य दिया जाएगा. लेकिन हर साल की तरह इस बार भी नदियों का प्रदूषण चिंता और विवाद का विषय रहा. छठ के दौरान नदियों की गंदगी ने सभी का ध्यान खींचा.कई सवाल भी खड़े हुए. लेकिन एक सवाल जो खड़ा होता है वो ये है कि क्या गंदगी भरी इन नदियों से सूर्य की पूजा करने से देवी-देवताओं का अपमान नहीं होता ?
रियल्टी चेक में 'जहरीला' मिला यमुना का पानी
आजतक की टीम ने दिल्ली में तीन अलग-अलग स्थानों से यमुना नदी के पानी के सैंपल लेकर एक लैब में जांच कराने के लिए भेजे थे. इसकी रिपोर्ट से पता चला कि यमुना नदी का पानी छूने लायक नहीं है. अगर कोई व्यक्ति इस पानी को छूता है तो उसे स्किन से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. यमुना नदी का पानी पीने से लोग मर भी सकते हैं.
यमुना की ये तस्वीरें कई सवाल खड़ी करती हैं?
दिल्ली के आसपास के इलाकों में छठ मनाते लोगों को देखिए और फिर एक नजर यमुना पर डालिए. ये सोचिए कि प्रदूषण के इन झागों में छठ के त्योहार पर प्रकृति की पूजा कैसे हो सकती है? क्या ये हमारे त्योहारों और देवी-देवताओं का अपमान नहीं है? जिस यमुना नदी का उल्लेख रामायण में है, जिस यमुना नदी को स्पर्श करने से पहले सीताजी ने क्षमायाचना की थी, जिस यमुना नदी को पार करके वसुदेव ने भगवान श्री कृष्ण के प्राण बचाए थे और जिस यमुना नदी को भारत में यमुना मैया का दर्जा दिया गया, आज उस यमुना नदी में खतरनाक प्रदूषण के बीच कई महिलाओं ने छठ पूजा का त्योहार मनाया.
जानें कितनी गंदी है यमुना नदी
छठ को सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, जिसमें लोग प्रकृति की पूजा करते हैं. लेकिन सोचिए, दूषित हवा, दूषित जल और दूषित स्थान पर सूर्य की उपासना और प्रकृति की पूजा कैसे हो सकती है?. यमुना नदी में हर दिन अलग-अलग नालों का 80 करोड़ लीटर गंदा पानी और फैक्ट्रियों का चार करोड़ 40 लाख लीटर कचरा मिलता है. ये बातें ''सरकारें'' भी अच्छी तरह से जानती है. लेकिन इसके बावजूद यमुना नदी के ये झाग किसी को परेशान नहीं करते और कोई ये नहीं पूछता कि प्रदूषण के इन ज़हरीले झागों में छठा पूजा का त्योहार मनाना क्या हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं है?
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क्यों नहीं उठ रहे सवाल?
हमारे देश में छोटी से छोटी बातों पर लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती हैं और शोभायात्रा को लेकर विवाद हो जाता है लेकिन इन तस्वीरों को देखकर किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती? और ना ही सनातन धर्म खतरे में आता है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में आज जिन अलग-अलग ''नदियों और जलकुंडों'' में सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का त्योहार मनाया गया, वो सभी नदियां प्रदूषित हैं और इनमें प्रदूषण के ऐसे तत्व घुले हुए हैं, जो ज़हर जितने खतरनाक हैं.
कैसे मानेंगे आप इसे असली पूजा
जब महिलाएं सुबह के वक्त सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य देती हैं, अगर प्रदूषण के कारण सूरज दिखाई ही ना दे और जिस नदी में आप सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं, वो नदी एक नाला बन चुकी हो तो इस पूजा को आप असली पूजा कैसे मानेंगे? भगवान सूर्य देव, इस गंदे पानी में अर्घ्य की प्राप्ति से कैसे प्रसन्न हो सकते हैं?
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महाभारत में छठ का जिक्र
अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी, जब पांडवों ने अपने राजपाट के साथ अपनी राजधानी इंद्रपस्थ को भी गंवा दिया था और ये वही इंद्रपस्थ था, जिसे आज दिल्ली कहते हैं. उस समय पांडवों को उनका राजपाट वापस दिलाने के लिए द्रौपदी ने छठ पूजा का व्रत रखा था, जो बाद में सफल रहा था लेकिन सोचिए आज उसी दिल्ली में छठ पूजा का पर्व इस तरह से यमुना नदी के प्रदूषण वाले झाग के बीच मनाया गया. और जब ये महिलाएं यमुना नदी में खड़े होकर सूर्य को ''अर्घ्य'' दे रही थीं, उस समय वायु प्रदूषण इतना ज्यादा था कि सूरज जहरीले धुएं के काले बादलों में नज़र नहीं आ रहा था. और ये सब उस पर्व पर हुआ, जो प्रकृति को समर्पित है.
भारत में नदियों का हाल़
जिस भारत में नदियों को मां माना गया है, वहां 603 'नदियों' में से लगभग 300 नदियां प्रदूषित और गंदी हैं जबकि जिस अमेरिका में नदियों को सिर्फ नदियां माना गया है, वहां लगभग सभी नदियां इतनी साफ हैं कि आप उनमें अपना चेहरा तक देख सकते हैं. लेकिन भारत में आपको नदियों में प्रदूषण और नाले का काला पानी और सफेद झाग ही दिखाई देंगे.भारत में गंगा नदी, गंगा मैया है, यमुना नदी, यमुना मैया है, गोदावरी नदी, गोदावरी मैया है और नर्मदा नदी, नर्मदा मैया है लेकिन इन मांओं के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है?
यमुना पर अवैध कब्जा
यमुना नदी को सब यमुना मैया कहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि, आज दिल्ली में यमुना नदी का जो 9 हज़ार 700 हेक्टेयर का बाढ़ क्षेत्र है, उसमें 7 हज़ार 362 हेक्टेयर बाढ़ क्षेत्र पर लोगों ने अवैध कब्जा करके 5 से 7 मंज़िला इमारतों का निर्माण कर लिया है. इनमें से ज्यादातर लोग सनातन धर्म को मानने वाले हैं और जिन लोगों ने ये अवैध इमारतें बनाई हैं, वो भी सनातन धर्म को ही मानने वाले हैं.
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