7,200 करोड़ नहीं चुकाए तो हो जाएगा ब्लैकआउट! समझें बांग्लादेश की पावर अडानी के हाथ में कैसे?

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पहले ही बदहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहा बांग्लादेश अब एक और नई मुसीबत में पड़ सकता है. बांग्लादेश पर अडानी पावर का बकाया बढ़ता जा रहा है. बांग्लादेश को सबसे ज्यादा बिजली अडानी पावर से ही मिलती है.

बांग्लादेश को अडानी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL) से बिजली मिलती है. ये बिजली गोड्डा के प्लांट से दी जाती है. APJL बांग्लादेश को उसकी जरूरत की 30% बिजली देता है.

बांग्लादेश की सरकारी कंपनी बांग्लादेश पावर डेवपलमेंट बोर्ड (BPDB) पर APJL का 85 करोड़ डॉलर (करीब 7,200 करोड़ रुपये) का बकाया है. ऐसी खबरें हैं कि अडानी ग्रुप ने बकाया चुकाने के लिए 7 नवंबर तक का समय दिया है. अगर 7 तारीख तक बकाया नहीं दिया गया तो अडानी पावर बांग्लादेश की सप्लाई रोक सकता है.

अगर अडानी पावर सप्लाई रोकता है तो बांग्लादेश में बिजली का गंभीर संकट खड़ा हो सकता है, जिससे उसकी बदहाल अर्थव्यवस्था और चौपट हो सकती है.

अडानी पावर और बांग्लादेश

बिजली सप्लाई के लिए अडानी पावर और बांग्लादेश सरकार के बीच नवंबर 2017 में डील हुई थी. 10 अप्रैल 2023 से APJL ने बांग्लादेश को बिजली देना शुरू किया. इस समझौते के तहत, अडानी पावर अगले 25 साल तक बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई करेगा.

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अडानी पावर के गोड्डा प्लांट से हर दिन 1,496 मेगावॉट बिजली की सप्लाई होती है. अडानी पावर बांग्लादेश को 10 से 12 टका प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली देता है.

अडानी पवार के अलावा बांग्लादेश में तीन और बड़े प्लांट हैं, जो बिजली की सप्लाई करते हैं. एक प्लांट पटुआखाली जिले के पायरा में है, जहां हर दिन 1,244 मेगावॉट बिजली पैदा होती है. दूसरा रामपाल प्लांट खुलना डिविजन में है, जहां से रोजाना 1,234 मेगावॉट बिजली की सप्लाई की जाती है. जबकि, तीसरा बांसखाली प्लांट चिटगांव में हैं, जहां रोज 1,224 मेगावॉट बिजली बनती है.

पायरा प्लांट चीन की मदद से तैयार हुआ है. जबकि, रामपाल प्लांट बांग्लादेश और भारत का ज्वॉइंट वेंचर है. वहीं, बांसखाली प्लांट का मालिकाना हक बांग्लादेश के बड़े कारोबारी घराने एस आलम ग्रुप के पास है.

बनते-बनते बिगड़ गई बात?

बांग्लादेश पर अडानी पवार का बकाया इसलिए बढ़ता चला गया, क्योंकि वो उसे कम भुगतान कर रहा था. जब शेख हसीना की सरकार थी, तब अडानी पावर को हर महीने 6 से 6.5 करोड़ डॉलर का भुगतान किया जाता था. लेकिन मोहम्मद यूनुस की सरकार में ये कम हो गया.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, जुलाई और अगस्त में बांग्लादेश ने अडानी पावर को 3.1 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था. सितंबर में 8.7 करोड़ और अक्टूबर में 9.7 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था.

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जब बकाया बढ़ता जा रहा था, तो अडानी पावर ने अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बांग्लादेश को 30 अक्टूबर तक भुगतान करने को कहा. दबाव बढ़ा तो बांग्लादेश ने 17 करोड़ डॉलर (करीब 1,500 करोड़ रुपये) का लेटर ऑफ क्रेडिट देने को कहा. अडानी पावर ने इसे मंजूर कर लिया. लेकिन जब बांग्लादेश ने बताया कि वो ये लेटर ऑफ क्रेडिट कमर्शियल बैंक की बजाय कृषि बैंक से देगा, तो अडानी पावर ने इसे नामंजूर कर दिया.

क्यों नहीं चुका पा रहा पैसा?

बांग्लादेश लंबे वक्त से आर्थिक संकट से जूझ रहा है. बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जून में बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में 25,823 मिलियन डॉलर से ज्यादा था. जबकि, सितंबर तक ये कम होकर 24,863 मिलियन डॉलर पर आ गया है.

जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश की आर्थिक हालात अभी ऐसी नहीं है कि वो अडानी पावर को बड़ी रकम चुका सके. बांग्लादेश सरकार अभी बड़ी रकम चुकाने का जोखिम भी नहीं उठा सकती.

इतना ही नहीं, मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही उन्होंने अडानी पावर के साथ हुई इस डील को रिव्यू करने का भी फैसला लिया था. उनका तर्क है कि अडानी पावर बहुत महंगी बिजली बेच रहा है.

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अब आगे क्या?

फिलहाल माना जा रहा है कि अडानी पावर ने 7 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया है. अगर तब तक बात नहीं बनती है तो अडानी पावर बांग्लादेश को देने वाली बिजली रोक सकता है. अगर ऐसा होता है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा.

कोयला नहीं मिल पाने के कारण बांग्लादेश के रामपाल और बांसखाली प्लांट में पहले बिजली के प्रोडक्शन में बड़ी गिरावट आई है. ऐसे में अडानी पावर भी अगर बिजली रोकता है तो वहां ब्लैकआउट जैसी स्थिति बन सकती है. आलम ये है कि वो और कोयला भी नहीं खरीद पा रही, क्योंकि भारत, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका पर उसका पहले ही बकाया है.

अगर बिजली का संकट और गहराता है तो सबसे बड़ा झटका उसकी गारमेंट इंडस्ट्री को पड़ेगा. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में गारमेंट इंडस्ट्री का बड़ा योगदान है. उसकी जीडीपी में 12% से ज्यादा योगदान गारमेंट और टेक्सटाइल का ही है. इससे उसके एक्सपोर्ट पर भी असर पड़ेगा और विदेशी मुद्रा भंडार में और कमी आएगी.

हालांकि, बिजली की सप्लाई रोकने से अडानी पावर पर भी असर पड़ेगा, वो इसलिए क्योंकि गोड्डा प्लांट से सिर्फ बांग्लादेश को ही बिजली जाती है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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