समझिए कनाडा के चुनावों में चीनी खेल क्या है जिस पर घिर गए ट्रूडो? क्या भारत पर निशाना साध ध्यान भटका रहे

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कनाडा के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप के मामले में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बुरी तरह घिर गए हैं. विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी लगातार ट्रूडो पर हमलावर है और चीन से चुनावी नतीजे प्रभावित करवाने का आरोप लगा रही है. इस मामले में बुधवार को ट्रूडो ने जांच आयोग के सामने बयान दर्ज कराए हैं. इसमें उन्होंने दावा किया कि हमारे पास उन कंजर्वेटिव सांसदों के नाम हैं जो विदेशी हस्तक्षेप में शामिल हैं. इस पर कंजर्वेटिव पार्टी की नाराजगी और बढ़ गई और ट्रूडो को खुला चैलेंज दिया है कि उन नेताओं के नाम सार्वजनिक किए जाएं.

बता दें कि कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी की सरकार इस समय भारत से खराब रिश्ते करने के आरोपों का सामना कर रही है. विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी का कहना है कि ट्रूडो, भारत पर आरोप लगा रहे हैं और चीन से चुनाव प्रभावित करवाने के आरोपों पर चुप्पी साधे हैं. कंजर्वेटिव पार्टी के प्रमुख पियरे पोइलिवरे का कहना है कि ट्रूडो बेवजह आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरना चाहते हैं.

अब किस मामले में घिर गए हैं ट्रूडो?

दरअसल, कनाडा की लिबरल पार्टी पर आरोप है कि 2019 और 2021 के चुनावों में चीन समेत अन्य देशों का सीधा हस्तक्षेप रहा, जिसकी वजह से नतीजे प्रभावित हुए और लिबरल पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली. जिन देशों पर हस्तक्षेप का आरोप है, उनमें चीन, रूस, ईरान, भारत और पाकिस्तान का नाम है. दिलचस्प बात यह है कि इसमें चीन को चुनावों में हस्तक्षेप करने का मुख्य अपराधी माना गया है. जांच कमेटी की इस साल के अंत तक अंतिम रिपोर्ट आने की उम्मीद है. इससे पहले जस्टिन ट्रूडो ने विदेशी हस्तक्षेप के मामले में जांच आयोग गठित करने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन, विदेशी हस्तक्षेप के बढ़ते सबूत और कनाडाई खुफिया एजेंसियों द्वारा खबरों को मीडिया में लीक किए जाने के बाद ट्रूडो को जांच आयोग गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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बुधवार को जस्टिन ट्रूडो विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रही कमेटी के सामने पेश हुए और सफाई में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को घेर लिया. ट्रूडो ने दावा किया कि मेरे पास कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों, पूर्व सांसदों और उम्मीदवारों के नाम हैं, जो विदेशी हस्तक्षेप में शामिल हैं या जिनके बारे में स्पष्ट खुफिया जानकारी है. उन्होंने यह भी कहा, मैंने कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) को विदेशी हस्तक्षेप का दावा करने वाली खुफिया जानकारी के बारे में कंजर्वेटिव पार्टी को भी सूचित करने का निर्देश दिया, लेकिन चूंकि पियरे पोइलिवरे के पास शीर्ष-गुप्त मंजूरी नहीं है, इसलिए पार्टी में कोई भी खुफिया जानकारी के बारे में नहीं जानता है.

ट्रूडो ने पोइलिवरे पर इस मुद्दे को गंभीरता से लेने के बजाय विदेशी हस्तक्षेप के साथ पक्षपातपूर्ण गेम खेलने का आरोप लगाया. हालांकि, ट्रूडो ने यह नहीं बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए. ट्रूडो के आरोपों पर विपक्षी नेता पोइलिवरे ने बुधवार को पलटवार किया और कहा, कभी भी कंजर्वेटिव नेताओं के नाम सामने नहीं आए. ट्रूडो गलत और बेबुनियादा आरोप लगा रहे हैं.

उन्होंने प्रेस नोट जारी किया और कहा, अगर जस्टिन ट्रूडो के पास इसके सबूत हैं तो उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए. अब जबकि उन्होंने जांच आयोग के सामने सामान्य शब्दों में यह बात कह दी है तो उन्हें फैक्ट को सार्वजनिक करना चाहिए, लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि वो इसे गढ़ रहे हैं.

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जानिए पियरे पोइलिवरे ने पत्र में ट्रूडो को कैसे घेरा?

''जस्टिन ट्रूडो को मेरा संदेश- उन सभी सांसदों के नाम जारी करें जिन्होंने विदेशी दखलअंदाजी में सहयोग किया है. लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि जस्टिन ट्रूडो वही कर रहे हैं जो वह हमेशा करते हैं. वो झूठ बोल रहे हैं. वो अपनी लिबरल पार्टी में बगावत से ध्यान हटाने के लिए झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने खुलासा किया कि ट्रूडो ने जानबूझकर बीजिंग को हस्तक्षेप करने और दो चुनाव जीतने में मदद करने की अनुमति दी.''

''मुझे 14 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नथाली ड्रौइन, कनाडा के वैश्विक मामलों के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन और CSIS के निदेशक डैनियल रोजर्स ने भारत से विदेशी हस्तक्षेप के मामले के बारे में जानकारी दी है. इसके अलावा, मेरे चीफ ऑफ स्टाफ को सरकार से क्लासिफाइड ब्रीफिंग मिली है. सरकार ने कभी भी मुझे या मेरे चीफ ऑफ स्टाफ को किसी वर्तमान या पूर्व कंजर्वेटिव सांसद या उम्मीदवार के जानबूझकर विदेशी हस्तक्षेप में हिस्सा लेने के बारे में नहीं बताया है. अगर जस्टिन ट्रूडो के पास इसके सबूत हैं तो उन्हें इसे जनता के साथ साझा करना चाहिए.''

''अब रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्हें और उनकी सरकार को, सरकारी एजेंसियों के सभी लाभों के साथ, बार-बार विदेशी हस्तक्षेप के बारे में चेतावनी दी गई थी. यह जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार है जो बार-बार दावा करते हैं कि अधिकारियों की चेतावनियों के बावजूद उन्हें अपनी नाक के नीचे हो रहे विदेशी हस्तक्षेप के बारे में पता नहीं था. यह जस्टिन ट्रूडो की सरकार है जो रहस्यमय तरीके से लिबरल पावर-ब्रोकर के लिए CSIS निगरानी वारंट आवेदन पर 54 दिनों तक बैठी रही.''

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''यह जस्टिन ट्रूडो की पार्टी है जिसने स्वेच्छा से PRC वाणिज्य दूतावास को PRC अंतरराष्ट्रीय हाई स्कूल के छात्रों को अब कुख्यात हान डोंग नॉमिनेशन रेस में मतदान करने की अनुमति दी. यह जस्टिन ट्रूडो ही हैं जिन्होंने इस NSICOP रिपोर्ट में संदर्भित सांसदों के नाम जारी करने के मेरे आह्वान को नजरअंदाज कर दिया है, जिन्होंने जानबूझकर कनाडा के हितों के खिलाफ विदेशी सरकारों के लाभ के लिए काम किया है.''

किस चीनी गेम में घिरी ट्रूडो सरकार?

दरअसल, ट्रूडो और उनकी पार्टी भारतीय और चीनी दोनों देशों के अप्रवासियों को लुभाने में लगी है. कनाडा में रहने वाले गैर-नागरिकों को भी पार्टी के चुनावों में वोट देने की अनुमति दी गई है. इन पार्टी चुनावों में चीन ने निगरानी की कमी का फायदा उठाया और अपनी पसंद के उम्मीदवारों को आगे बढ़ाने और उन लोगों को रोकने के लिए उठाया है, जिन्हें वो चीन विरोधी मानते हैं. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी-कनाडाई हान डोंग को 2019 में चीन और उसके सहयोगियों की मदद से चुना गया था. हान, ट्रूडो की लिबरल पार्टी से हैं. अप्रैल में कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने विदेशी हस्तक्षेप आयोग को बताया कि चीनी सरकार ने 2019 और 2021 दोनों चुनावों में गुप्त रूप से और भ्रामक रूप से हस्तक्षेप किया. CSIS ने आगे कहा, भारतीय एजेंटों की गतिविधियां कुछ ही सीटों तक सीमित थीं. मार्च में कनाडा के प्रधानमंत्री को सांसदों की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया कमेटी की रिपोर्ट सौंपी गई. इसमें विस्तार से बताया गया था कि चीन को सबसे बड़ा विदेशी हस्तक्षेप खतरा क्यों माना जाता है.

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बताते चलें कि कनाडा की लिबरल पार्टी के भीतर ट्रूडो को नेता सदन के पद से हटाने की मांग उठ रही है. ट्रूडो सरकार ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय राजनयिकों पर गंभीर आरोप लगाकर खुद को विवादों में डाल दिया है, जिसके कारण भारत के साथ कनाडा के संबंध बद से बदतर हो गए हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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