आज PK की पार्टी की लॉन्चिंग... प्रमुख चेहरे, एजेंडा, चैलेंज क्या है नई बन रही इस पार्टी का, इन सवालों का जानिए जवाब

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चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) बिहार के गांवों को ढाई साल मथने के बाद आज अपनी पार्टी लॉन्च करने जा रहे हैं. पीके ने ऐलान किया है कि पार्टी की लॉन्चिंग के बाद भी जन सुराज पदयात्रा जारी रहेगी. सूबे में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पीके की पार्टी की तस्वीर क्या होगी, कौन प्रमुख चेहरे होंगे और एनडीए-महागठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती सूबे की सियासत में यह नया दल कितनी और कैसे जगह बना पाएगा? ये तमाम सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं.

पीके की पार्टी के प्रमुख चेहरे

पीके की जन सुराज पार्टी में नेताओं के साथ ही पूर्व अधिकारियों तक, समाज के हर वर्ग के लोग जुड़े हैं. जन सुराज से जुड़े कद्दावर चेहरों की बात करें तो केंद्र में मंत्री रह चुके डीपी यादव, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व सांसद छेदी पासवान, पूर्व सांसद पूर्णमासी राम से लेकर मोनाजिर हसन तक, कई बड़े नेता जन सुराज से जुड़ चुके हैं. पार्टी के साथ सौ से अधिक पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी जुड़े हुए हैं.

पीके की पार्टी का एजेंडा

पीके की पार्टी पलायन और बेरोजगारी से लेकर पिछड़ेपन तक, सूबे की समस्याओं को मुद्दा बना रही है. पीके खुद भी यह कहते आ रहे हैं कि हम बस समस्याएं ही नहीं, समाधान भी बताएंगे. उनकी पार्टी का एजेंडा चार पॉइंट में समझा जा सकता है.

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1- पलायन, गरीबी और रोजगार गारंटी

पीके की पार्टी पलायन और गरीबी को मुद्दा बना रही है. पीके पलायन रोकने के लिए रोजगार गारंटी की बात कर रहे हैं. उन्होंने पटना में जन सुराज के एक आयोजन में कहा भी था कि 10 से 12 हजार तक की नौकरी के लिए किसी को बिहार से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी. हम इतने तक के रोजगार के अवसर युवाओं को यहीं उपलब्ध कराएंगे. पीके गरीबों के लिए सामाजिक पेंशन की राशि बढ़ाने की भी बात कर रहे हैं.

2- पंचायतों पर फोकस

बिहार की बड़ी आबादी गांवों में रहती है. गांव विकास की दौड़ में काफी पीछे रह गए और अब पीके ने अपना फोकस गांवों के विकास पर शिफ्ट कर दिया है. पीके का ध्यान पंचायतों पर है. पीके सूबे की सभी 8500 पंचायतों तक पदयात्रा के जरिये पहुंचने, पंचायतों के विकास के लिए प्लान की बात कर रहे हैं.

3- विकास का ब्लूप्रिंट

पीके बिहार के विकास के लिए जन सुराज का रोडमैप फरवरी तक लाने की बात कर रहे हैं. पीके ने कहा है कि 10 अर्थशास्त्री इस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार के आलू और बालू वाले बयान को लेकर तंज करते हुए कहा है कि गन्ने के खेत तो बिहार में ही हैं, फिर चीनी मील क्यों बंद हैं. यह इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पीके की पार्टी के एजेंडे में विकास के लिए बंद पड़े उद्योगों का रिवाइवल भी है.

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4- शराबबंदी और शिक्षा

पीके ने सत्ता में आने के बाद 15 मिनट के भीतर शराबबंदी खत्म करने की बात कही है. पीके ने कहा है कि शराब से होने वाली राजस्व आय को शिक्षा पर खर्च किया जाएगा. पीके शराबबंदी को लेकर मुखर हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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