लंदन जैसे शहर कैसे सोख लेते हैं आसमानी आफत... मुंबई-दिल्ली में बारिश क्यों बन जाती है तबाही?

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मुंबई में बारिश हो रही है. वहां की सड़कें-गलियां, चौक-चौबारे सब पानी में डूबे हुए हैं. मरीन ड्राइव को तो उफान मारता अरब सागर ही भिगो कर रखता है. लेकिन जलभराव होने पर मुंबई की हार्टलाइन यानी लोकल ट्रेन बंद हो जाती है. बेस्ट बसों को भी चलने में दिक्कत होती है. कई जगहों पर पानी में गाड़ियों के फंसे होने की तस्वीरें सामने आती हैं. ऐसा ही हाल दिल्ली का भी होता है. जरा सा बारिश में राष्ट्रीय राजधानी का दम घुटने लगता है.

पर लंदन जैसे बड़े शहरों में ऐसा क्यों नहीं होता? वहां कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं? पहले जानते हैं दिल्ली और मुंबई की दिक्कत. इसके बाद पढ़िए लंदन जैसे शहरों की ऐसी व्यवस्था, जिससे जलभराव और जलजमाव नहीं होता.

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दिल्ली और मुंबई की दिक्कत...

अपर्याप्त ढांचागत व्यवस्था... दिल्ली और मुंबई दोनों ही बेहद प्राचीन और पर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम से जूझ रहे हैं. ये सिस्टम ज्यादा बारिश की स्थिति को संभाल नहीं सकते. इसलिए गंभीर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होती है. हर बार बारिश में तीन-चार बार जलजमाव और जलभराव होता है. क्योंकि सीवरेज सिस्टम काम नहीं कर पाते.

रेनवाटर हार्वेस्टिंग की कमी... मुंबई और दिल्ली दोनों शहरों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग का थोड़ा बहुत काम शुरू हुआ है. लेकिन ये व्यापक पैमाने पर नहीं है. न ही इस व्यवस्था को शहर की प्लानिंग के साथ जोड़ा गया है. जबकि लंदन में यह व्यवस्था बेहद शुरूआत से लागू है. ये लागू हो तो शहर सही मात्रा में पानी को संजो सके.

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शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन... तेजी से शहरीकरण होने की वजह से पानी को सोखने वाले इलाके कम हो गए हैं. वेटलैंड्स और हरियाली वाली जगहों की कमी होती जा रही है. जलवायु परिवर्तन की वजह से बारिश ज्यादा तेजी से और कभी भी हो जाती है. इससे वर्तमान ड्रेनेज सिस्टम पर काफी ज्यादा दबाव पड़ता है.

सीमित सरकारी सपोर्ट... लंदन की सरकार की तरह भारत में सरकार की नीतियों में कमी है. रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए सरकार को व्यापक पैमाने पर जागरुकता अभियान और इंसेटिव देने की योजना बनानी चाहिए. ताकि जो लोग इस तरह की चीजों को करना चाहते हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिले. इमारतों में ये सिस्टम लगने से शहर में जल प्रबंधन आसान हो जाएगा.

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लंदन के साथ क्या चीज बेहतर है...

रेनवाटर हार्वेस्टिंग... लंदन में अधिकतम जगहों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर पूरा ध्यान दिया गया है. इमारतों में इस तकनीक को शामिल किया गया है. बारिश के पानी को स्टोर करके फिर से इस्तेमाल किया जाता है. जैसे म्यूजियम ऑफ लंदन को ले लीजिए. यहां पर 850 वर्ग मीटर की छत है. यहां बारिश में 25 हजार लीटर पानी हार्वेस्ट किया जाता है. यानी स्टोर किया जाता है. जिसका इस्तेमाल टॉयलेट फ्लशिंग और सिंचाई में होता है.

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टिकाऊ शहरी ड्रैनेज सिस्टम... लंदन में स्टॉर्मवाटर प्रबंधन तकनीक बेहतर तरीके से लागू है. इससे सीवरेज सिस्टम पर लोड कम आता है. स्टॉर्मवाटर प्रबंधन से बारिश के पानी को सही समय पर निष्काषित किया जा सकता है. या फिर एक जगह कलेक्ट करके फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे बारिश का पानी बेवजह सीवरेज सिस्टम में नहीं जाता. बल्कि बिना सीवर में मिले साफ जलस्रोतों में बह जाता है.

कानून और इंसेंटिव्स... लंदन की सरकार रेनवाटर हार्वेस्टिंग को बहुत ज्यादा बढ़ावा देती है. उसके लिए सख्त नियम बनाए गए हैं. हर नई इमारत में इसे लागू करना होता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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