वो अपराध, जिनमें उम्रकैद हुई तो जेल से जिंदा बाहर नहीं निकलेंगे... जानें- कितना सख्त होने जा रहा है कानून

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एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. 1860 में बनी इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ले लेगी. भारतीय न्याय संहिता में कई अपराधों में कानून को पहले से ज्यादा सख्त कर दिया गया है.

रेप, गैंगरेप और चाइल्ड किडनैपिंग से जुड़े अपराधों में सजा सख्त कर दी गई है. कुछ अपराध ऐसे हैं, जिनमें अगर उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है तो फिर दोषी जेल से जिंदा बाहर नहीं आ सकेगा.

किन अपराधों में मिलेगी ऐसी सजा?

- धारा 65: भारतीय न्याय संहिता की धारा 65 के तहत, अगर किसी व्यक्ति को 16 साल से कम उम्र की किसी लड़की से दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो उसे कम से कम 20 साल की जेल की सजा हो सकती है. सजा को उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है और ऐसे में दोषी को जिंदा रहने तक जेल में रहना होगा.

- धारा 66: अगर दुष्कर्म के दौरान किसी महिला की मौत हो जाती है या फिर वो कोमा जैसी अवस्था में पहुंच जाती है, तो ऐसे मामलों में दोषी को कम से 20 साल की सजा होगी, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकेगा. इस अपराध में भी उम्रकैद की सजा होने पर दोषी जिंदा नहीं बाहर आ सकेगा.

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- धारा 70: ये धारा गैंगरेप से जुड़ी है. इसी धारा में नाबालिग से दुष्कर्म के अपराध के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है. दोनों ही मामलों में गैंगरेप के सभी दोषियों को कम से कम 20 साल की सजा होगी. इसमें जुर्माने का प्रावधान है, जो पीड़िता को दिया जाएगा. इसके अलावा सजा को उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकेगा, जिसमें दोषी को जिंदा रहने तक जेल में ही रहना होगा.

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- धारा 71: अगर किसी व्यक्ति रेप या गैंगरेप से जुड़े किसी मामले में दोषी ठहराया जा चुका हो और फिर से इसी अपराध में दोषी करार दिया जाता है तो उसे जिंदा रहने तक उम्रकैद की सजा काटनी होगी.

- धारा 104: उम्रकैद की सजा काट रहा दोषी अगर किसी की हत्या करता है तो उसे सजा-ए-मौत या फिर उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है. इस अपराध में भी उम्रकैद की सजा मिलने पर दोषी जिंदा बाहर नहीं आ सकेगा.

- धारा 109: इस धारा के सब-सेक्शन 2 के तहत, अगर हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा कैदी किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे सजा-ए-मौत या फिर उम्रकैद की सजा हो सकती है. उम्रकैद की सजा होने पर कैदी को जिंदगीभर जेल में ही रहना होगा.

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- धारा 139: अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे का अपहरण उससे भीख मंगवाने के लिए करता है तो दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. धारा 139(2) के तहत, अगर भीख मांगने के मकसद से बच्चे को अपंग किया जाता है तो फिर दोषी को जीवनभर के लिए उम्रकैद की सजा काटनी होगी.

- धारा 143: ये धारा मानव तस्करी से जुड़े अपराध के लिए सजा का प्रावधान करती है. अगर कोई व्यक्ति एक से ज्यादा बार किसी बच्चे की तस्करी में शामिल होने का दोषी पाया जाता है तो उसे जिंदगीभर के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है. धारा 143(7) के तहत अगर कोई सरकारी सेवक या पुलिसकर्मी किसी व्यक्ति की तस्करी में शामिल होने का दोषी पाया जाता है तो उसे भी जीवनभर के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है.

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उम्रकैद कितने साल की होती है?

आमतौर पर ये माना जाता है कि उम्रकैद की सजा 14 साल या 20 साल की होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ कर दिया था कि उम्रकैद की सजा का मतलब आजीवन कारावास से है. यानी, अगर किसी दोषी को उम्रकैद की सजा मिली है तो उसे जिंदा रहने तक जेल में रहना होगा.

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हालांकि, कोर्ट का काम सिर्फ सजा सुनाना है और उस सजा को एग्जीक्यूट करने का काम राज्य सरकार का है. कानूनन अगर किसी कैदी को उम्रकैद की सजा मिली है तो उसे कम से कम 14 साल की सजा काटनी होगी.

उम्रकैद की सजा पाया कोई कैदी 14 साल जेल में काट लेता है तो उसके केस को सेंटेंस रिव्यू कमेटी के पास भेजा जाता है. कैदी के बर्ताव को देखते हुए कमेटी उसकी सजा को कम कर सकती है. यही कारण है कि उम्रकैद की सजा पाया कोई कैदी 14 या 20 साल में छूट जाता है.

लेकिन भारतीय न्याय संहिता में जिन अपराधों में जिंदा रहने तक उम्रकैद की सजा काटने का प्रावधान है, उनमें कैदी की सजा को माफ नहीं किया जा सकेगा.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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