एक टीचर... जो बन गया क्रिकेट जगत का सबसे महान कोच, लेकिन सौरव गांगुली ने पहुंचाई थी चोट

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ये जरूरी नहीं कि एक अच्छा खिलाड़ी ही बेहतरीन कोच साबित हो... एक कम अनुभवी खिलाड़ी भी बतौर कोच अपनी टीम को दुनिया की बेस्ट टीम बना सकता है. इस मामले में जॉन बुकानन से अच्छा उदाहरण कौन हो सकता है. पेशे से शिक्षक रहे बुकानन ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया. जहां पहुंचना हर कोच का सपना होता है.

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जॉन बुकानन को क्रिकेट इतिहास कामहानतम कोच माना जाता है. बुकानन की कोचिंग में ऑस्ट्रेलियाई टीमने2003 और2007 का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता. इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उन दोनों ही वर्ल्ड कप में एक भी मुकाबला नहीं गंवाया. बुकानन शनिवार (5 अप्रैल) को 72 साल के हो गए.

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एडम गिलक्रिस्ट और जॉन बुकानन, फोटो: Getty Images

जॉन बुकानन भी ऑस्ट्रेलिया के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना चाहते थे, लेकिन वो फर्स्ट क्लास लेवल पर हीबल्ले से कुछ खास नहीं कर पाए. क्वींसलैंड के लिए उनका फर्स्ट क्लास करियर (1978-79) सिर्फ सात मैचों का रहा. इस दौरान उन्होंने 12.30 के बेहद खराब एवरेज से 160 रन बनाए और उनका बेस्ट स्कोर 42 रन रहा. बुकानन को एक लिस्ट-ए मैच भी खेलने को मिला, जिसमें उनके नाम पर 64 रन दर्ज हैं. फिर उन्होंने इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट खेला और वहीं पर कोचिंग करियर भी स्टार्ट किया.

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आगे चलकर जॉन बुकानन ने उस टीम को कोचिंग दी, जिसके लिए उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला था. बुकानन की कोचिंग में ही क्वींसलैंड ने 1994-95 मेंपहली बार शेफील्ड शील्ड जीता. फिर अक्टूबर 1999 में बुकानन को ज्योफ मार्श की जगह ऑस्ट्रेलियाई टीम का हेड कोच बनाया गया. कंगारू टीम का कोच बनने से पहले बुकानन ने 1998 में इंग्लिश काउंटी टीममिडिलसेक्स को भी कोचिंग दी, जहां वो आलोचकों के निशाने पर रहे. तब उन पर एक साधारण खेल को ज्यादा जटिल बनाने का आरोप लगा था. उनकी कोचिंग में उस सीजन मिडिलसेक्स की टीम काउंटी चैम्पियनशिप में 17वें स्थानपर रही थी.

बुकानन को कोच बनाने पर उठे थे सवाल...

जॉन बुकानन को ऑस्ट्रेलियाई टीम का कोच बनाने पर सवाल उठाए गए. कहा गया कि उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट का कोईअनुभव नहीं है. वैसे बुकानन के लिए बॉब सिम्पसन और ज्योफ मार्श के नक्शेकदम पर चलना कभी आसान नहीं होने वाला था, लेकिन उन्होंने अपनी खास कोचिंग शैली के दम पर जल्द ही क्रिकेट जगत में पहचान बना ली. जॉन बुकानन ने अपने काम को एक बिल्कुल नए दृष्टिकोण से किया. इसमें उन्हें अपने कप्तान स्टीव वॉ की भी स्वीकृति थी. बाद में उनकी ट्यूनिंग रिकी पोंटिंग के साथ भी खूब बैठी.

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जॉन बुकानन ड्रेसिंग रूम में व्याख्यान देकर और कविताएं सुनाकर खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ाते थे. हालांकि हर कोई बुकानन की कोचिंग शैली से सहमत नहीं था... खासकरशेन वॉर्न, जो इस बात से नाराज रहते थे कि बुकानन उनके वजन और क्रिकेट क्षमता पर अपनी राय देते थे.वॉर्न का मानना था कि बुकानन हर चीज का नया आविष्कार करते थे और खेल के सभी पहलुओं को जटिल बनाते.

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शेन वॉर्न के साथ जॉन बुकानन, फोटो: Getty Images

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क की भी जॉन बुकानन से नहीं बनती थी. क्लार्क अपनी किताब 'एशेज डायरी 2015' में लिखते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि ऑस्ट्रेलियाई जर्सी के बारे में बुकानन को कुछ भी जानकारी थी क्योंकि उन्हें इसे पहनने का कभी मौका नहीं मिला. बुकानन इस बातको अच्छी तरह जानते होंगे कि वह एक ऐसी टीम के कोच रहे, जिसे कोई भी यहां तक कि मेरा कुत्ता जेरी भी इस तरह प्रशिक्षित कर सकता था कि वे विश्व विजेताबनते.'

...जब भारतीय टीम ने रोक दिया थाविजय रथ

जॉन बुकानन 20007 के क्रिकेट वर्ल्ड कप तक ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच रहे. बुकानन की कोचिंग में ऑस्ट्रेलिया ने दो विश्व कप जीत और तीन एशेज सीरीज जीत के अलावा कई अन्य उपलब्धियां हासिल कीं. बुकानन की कोचिंग और स्टीव वॉ की कप्तानीमें ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 16 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की, जो एकरिकॉर्ड है. इस विजय रथ को साल 2001 में सौरव गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम ने रोका था. ध्यान रहे कि 2007-08 के दौरान रिकी पोंटिंग की कप्तानी में भी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लगातार 16 टेस्ट मैच जीते थे. उस वक्त भी ऑस्ट्रेलिया का विजय रथभारत ने ही थामा था.

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देखा जाए तो जॉन बुकानन ने 89 टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया को कोचिंग दी, जिसमें कंगारू टीम को 68 में जीत मिली. साल 2004 में बुकानन की कोचिंग में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ उसकी धरती पर टेस्ट सीरीज जीत हासिल की, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही. साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार चैम्पियंस ट्रॉफी जीती, जिसने बुकानन की प्रतिष्ठा में और बढ़ावा किया.

जॉन बुकानन ने इंडियन प्रीमिर लीग (IPL) के शुरुआती दो सीजन में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) को कोचिंग दी. हालांकि केकेआर का प्रदर्शन उनके अंडरकुछ खास नहीं रहा. 2009 के सीजन में तो यह टीम आखिरी स्थान पर रही. 2009 के सीजन के दौरानमहान भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने बुकानन और उनके कोचिंग स्टाफ पर भारतीय खिलाड़ियों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाया था. विवादों के बाद जून 2009 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.

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शेन वॉर्न, जॉन बुकानन और स्टीव वॉ, (फोटो: Getty Images)

जॉन बुकानन को लेकर सबसे आम आलोचना यह रही है कि उन्हें एक बहुत मजबूत टीम विरासत में मिली थी. लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनके दौर मेंऑस्ट्रेलियाई टीम ने वर्ल्ड क्रिकेट में लगातार दबदबा बनाए रखा और हमेशा जीत के माइंडसेट के साथ मैदान पर उतरी. साल 2009 में बुकानन को क्वींसलैंड स्पोर्ट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.बुकानन को क्रिकेट जगत में 'नेड फ्लैंडर्स' के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकिउनका शक्लअमेरिकी एनिमेटेड सिटकॉम'दसिम्पसंस'के काल्पनिक किरदार (नेड फ्लैंडर्स) से मिलता जुलता है.बुकानन फिलहाल ब्रिस्बेन बॉयज कॉलेज में फर्स्ट इलेवन क्रिकेट कोच हैं.....

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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