क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है UPPSC का पीसीएस-ROARO परीक्षा के नियम बदलना?

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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर अभ्यर्थी सड़कों पर हैं. यूपीपीएससी की समीक्षा अधिकारी (RO)/ सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) भर्ती परीक्षा 2023 और यूपी पीसीएस परीक्षा 2024 का नया एग्जाम शेड्यूल जारी होने के बाद से परीक्षार्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रयागराज में स्थित यूपीपीएससी के ऑफिस के सामने हजारों की संख्या में अभ्यर्थी तीसरे दिन भी 'वन एग्जाम वन शिफ्ट' की मांग कर रहे हैं और नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे हैं. कुछ अभ्यर्थियों ने आयोग द्वारा नियमों में बदला को गलत बताते हुए हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हवाला दिया है.

दरअसल, बीते गुरुवार (7 नवंबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की भर्ती 2013 मामले में आदेश दिया था कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद, उसके नियमों में बदलाव अवैध होगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों की बेंच ने अपने फैसलेमें कहा था कि भर्ती के नियमों में बदलाव का प्रभाव केवल आगामी भर्तियों पर ही लागू हो सकता है, वर्तमान या चल रही भर्ती में इसका कोई असर नहीं होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने चार दिन पहले ही सुनाया था भर्ती नियमों पर फैसला

यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट से जुड़ा हुआ था, 2013 में ट्रांसलेटर्स के पदों पर भर्ती के दौरान राज्य सरकार ने बीच में कुछ नियमों बदलाव किए थे, जिसमें कहा गया था कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य माने जाएंगे, जिन्होंने लिखित और मौखिक परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हों. यह फैसला उन अभ्यर्थियों पर लागू किया गया जिन्होंने पहले ही परीक्षा दे दी थी, जिसके कारण भर्ती प्रक्रिया में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह भी स्पष्ट हुआ कि सरकारें किसी भी भर्ती प्रक्रिया में केवल उन्हीं नियमों का पालन करें जो प्रक्रिया शुरू होने से पहले लागू थे. उम्मीदवारों के अधिकारों और निष्पक्षता को सुरक्षित रखने के लिए, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है. अदालत ने यह भी कहा कि भर्ती में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि कोई भी पक्षपात या अनियमितता न हो.

मनमाने तरीके से काम करता है यूपीपीएससी: अभ्यर्थी

अभ्यर्थियों ने यूपीपीएससी मामले को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जोड़ते हुए परीक्षा नियमों में बदलाव को गलत ठहराया है. अभ्यर्थी संतोष कुमार ने कहा, 'माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अभी चार दिन पहले ही भर्ती नियमों में बदलाव को लेकर एक फैसला सुनाया था, जिसमें भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव को अवैध बताया था. इसके बाद भी यूपीपीएससी ने पीसीएस और आरओ/एआरओ भर्ती परीक्षा के नियमों में कैसे बदलाव कर दिया?'

दूसरे अभ्यर्थी सिद्धार्थ ने कहा, 'आयोग का यह तरीका मनमाना है, पिछले दो वर्षों से आयोग अपना काम ठीक नहीं से नहीं कर पा रहा है. जो परीक्षा दो से तीन महीने के अंदर हो जानी चाहिए थी, उसे सालों-साल खींचा जा रहा है. परीक्षा हो रही है तो वह पेपर लीक की वजह से रद्द हो जाती है. अब बीच भर्ती में परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू करना कहां का नियम है. ये क्या सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं मानेंगे? कोर्ट ने कहा था की भर्ती प्रक्रिया के बीच में कोई नियम नहीं बदले जाएंगे, लेकिन उन्होंने फैसले के चार दिन बाद ही बदल दिए.'

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कब शुरू हुई थी यूपी पीसीएस और आरओ/एआरओ भर्ती प्रक्रिया?

अब यूपीपीएससी PCS और RO/ARO के कुछ अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में नए नियम (एक से अधिक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करना और मूल्यांक के लिए नॉर्मलाइजेशन मेथड) लागू करने का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि यूपी पीसीएस भर्ती के लिए जनवरी-फरवरी 2024 में आवेदन मांगे गए थे और परीक्षा 27 अक्टूबर को होनी थी. लेकिन मानक के अनुरूप परीक्षा केंद्र नहीं मिलने की वजह से परीक्षा स्थगित कर दी गई थी. अब आयोग ने 7 और 8 दिसंबर 2024 को अलग-अलग शिफ्ट (सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक और दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक) कराने का फैसला लिया है. परीक्षा 41 जनपदों के परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी.

वहीं यूपी RO/ARO भर्ती 2023 के आवेदन 24 नवंबर 2023 में मांगे गए थे और 11 फरवरी 2024 को परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन पेपर लीक के चलते परीक्षा स्थगित करके दिसंबर री-शेड्यूल की गई है. यह परीक्षा अब 22 और 23 दिसंबर 2024 को अलग-अलग शिफ्ट में (सुबह 9 बजे से 12 बजे तक और दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक) आयोजित की जाएगी. इस परीक्षा में करीब 11 लाख (10,76,004) अभ्यर्थियों के उपस्थित होने की संभवना है. इसे देखते हुए आयोग परीक्षा को अलग-अलग शिफ्ट में कराने का फैसला लिया है.

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हालांकि अभ्यर्थी इसे एक शिफ्ट में कराने और नॉर्मलाइजेशन को हटाने की मांग की मांग कर रहे हैं. क्योंकि उनका मानना है कि नॉर्मलाइजेशन मेथड से मूल्यांकन करना सही नहीं है, खासतौर पर जनरल स्टडीज के पेपर में. वहीं कुछ अभ्यर्थी से 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी मान रहे हैं. दूसरी ओर आयोग की ओर से इसे लेकर कोई अपडेट सामने नहीं आया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला इन भर्ती परीक्षाओं पर भी लागू होगा या नहीं? यह भी बड़ा सवाल है. इस पर एक अभ्यर्थी मोहन यादव ने कहा, 'अगर आयोग ने उनकी मांग नहीं मानी तोवो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आगे आयोग को झुकना ही होगा और हमारी मांग स्वीकार करनी होगी.'

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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