भ्रामक विज्ञापन दिया तो होगा एक्शन, कोचिंग संस्थानों को लेकर दिशा-निर्देश जारी

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शहरों, कस्बों और गांव के हजारों बच्चे अक्सर सड़कों के किनारे लगे भ्रामक विज्ञापन में चमकते चेहरों को देखकर अपने मन में कलेक्टर, डॉक्टर इंजीनियर बनाने का सपना लेकर कोचिंग माफिया के जाल में फंस जाते हैं. वहीं, अपने बच्चों के सपने को पूरा करने के लिए कई मां-बाप अपनी जमीन तक बेच देते हैं. लेकिन कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई के बाद अक्सर साल दर साल छात्रों के छात्र निराशा लगती है. जिसका एक कारण ये भ्रामक विज्ञापन हैं. ऐसे ही कोचिंग सेंटरों में कुछ कर दिखाने का सपना लेकर जाने वाले बच्चे या तो करंट से मरते हैं या नाले का पानी भर जाने से डूबकर मौत हो जाती है. ऐसे कई दृश्य हम देश की राजधानी दिल्ली में दिख चुके हैं.

अब भारत सरकार ने इन कोचिंग सेंटरों की मनमानी और भ्रामक विज्ञापन पर लगाम लगाने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के बाद भी अगर कोचिंग सेंटर अपनी मनमानी जारी रखते हैं या भ्रामक विज्ञापन लगाते है तो उनके विज्ञापन बनवाने और जारी करने का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.

उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव निधि खरे बताया कि उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा कोचिंग सेंटर के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. अगर इन निर्देशों के बाद भी कोचिंग सेंटर गलत विज्ञापन जारी करते हैं, जिसमें अपनी सुविधाओं कोचिंग के विषय पढ़ाए जाने वाली फैकल्टी से जुड़े तमाम जानकारियां स्पष्ट रूप से नहीं देते हैं तो उन पर 10 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. अगर इसके वो मनमानी करते हुए पाए जाते हैं तो उनके विज्ञापन बनवाने और जारी करने का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि ये फैसला उपभोक्ताओं और छात्रों के हित में लिया गया है.

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क्या है वो दिशा निर्देश?

  • इन दिशा निर्देशों के मुताबिक, कोचिंग सेंटरों की परिभाषा स्पष्ट कर दी गई है. जिसके मुताबिक कोचिंग का अर्थ है एकेडमिक सपोर्ट, शिक्षा संबंधी गाइडेंस, किसी तरह के निर्देश स्टडी प्रोग्राम ट्यूशन या इससे जुड़ा हुआ कोई भी कार्य है. नियम के तहत कोचिंग सेंटर का अर्थ होगा ऐसा कोई भी सेंटर जो बनाया चलाया या जिस पर प्रशासन किसी एक व्यक्ति या अधिक लोगों द्वारा किया गया है और जहां 50 छात्र पढ़ते हैं.
  • कोचिंग सेंटर के अलावा ऐसे कोचिंग सेंटर को एंडोर्स या प्रोत्साहन देने वाले लोगों पर भी ये नियम लागू होंगे और परिभाषा के तहत एंडोर्स का मतलब स्पष्ट किया गया है. जिसके मुताबिक, कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह या कोई संस्था जो उत्पाद या सेवा के बारे में अपनी राय विज्ञापन या अनुभव के जरिए उसे प्रोत्साहन दे रही है या उसके बारे में प्रचार कर रहा है.
  • इस नए नियम के तहत कोचिंग सेंटरों को अपनी सेवाओं और गुणवत्ता को लेकर भी स्पष्ट जानकारी देनी होगी, जिसके तहत ट्यूशन सेंटर द्वारा कोर्स के बारे में, उस कोर्स को पूरा करने की अवधि के बारे में, उस कोर्स को पढ़ाए जाने वाले फैकल्टी और उनकी विश्वसनीयता के बारे में, कोर्स की फीस के बारे में, छोड़े जाने पर रिफंड के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. साथ ही उस कोचिंग सेंटर द्वारा लोगों के सेलेक्शन परीक्षा में रैंक या उसकी सफलता की लाइन के बारे में मिलने वाले विज्ञापन भी इस नियम के दायरे में आएंगे.
  • कोचिंग सेंटरों को अपने बैच भरने के दावों के बारे में भी जानकारी देनी होगी, जिससे उपभोक्ता या छात्रों को किसी भी तरह का भ्रम न हो. जिससे वह गलत फैसला लेकर आनन-फानन में कोचिंग सेंटर में दाखिला ले ले. साथ ही गलत तरीके से सेवाओं और गुणवत्ता के बारे में दावा करना भी इस नियम के अधीन आएगा.
  • दिल्ली के कोचिंग सेंटर में बाढ़ में कई छात्रमारे गए और ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए भी इस दिशा-निर्देश में खास ध्यान दिया गया है, जिसके तहत कोचिंग सेंटर को अपने विज्ञापन में सेवाओं संबंधी और सुविधाओं संबंधी जानकारियों को भी स्पष्ट करना होगा. और ये बताना होगा कि उनके यहां कितने छात्रों के बैठने की व्यवस्था हैं, किस तरह की सुविधाएं हैं, एंट्री और एग्जिट गेट कितने हैं, जगह कितनी है. ऐसी तमाम जानकारियां देनी होंगी.
  • कोचिंग संस्थान को अपने पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर संसाधन सुविधाओं और सेवाओं के बारे में सही जानकारी देनी होगी और इसके साथ यह भी बताना होगा कि जिस तरह के कोर्स वो पढ़ा रहे हैं क्या वो UGC या ऐसी किसी संस्था के साथ मान्यता प्राप्त हैं या नहीं, यानी पूरी तरह से पारदर्शिता रखनी होगी.

उपभोक्ता सचिव निजी खरे का कहना है कि जिस तरह के भ्रामक विज्ञापन कोचिंग सेंटर देते रहते हैं. इन पर हमने पहले भी कार्रवाई की थी. हाल ही में CCPA जो कि उपभोक्ता मंत्रालय के तहत उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करता है. उसने देश के अलग-अलग जाने-माने आईएएस कोचिंग सेंटरों पर जुर्माना ठोका था, क्योंकि उन्होंने आईएएस और आईपीएस कोचिंग को लेकर ग़लत प्रचार किया था, जिससे हजारों छात्र भ्रमित हुए थे.

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इन कोचिंग संस्थानों पर हुआ एक्शन

इस मामले में उपभोक्ता मंत्रालय के तहत आने वाले CCPA ने कई कोचिंग सेंटरों को नोटिस भेजा था. जिसमें Unacademy, Vajirao & Reddy Institute, Seekers Education Services, Vision IAS 2024, IQRA IAS, Chahel Academy, Akash educational service, vision IAS, Khan study group IAS, Narayan medical Academy, Shubh Ranjan IAS, Allen carrier Institute, IAS Baba, Yojana IAS, Abhimanyu IAS, Sandesh Academy, Shri Ram's, IAS, BYJU'S IAS -2022, Rau's IAS study study Circle, greater Noida Institute of technology, Drishti IAS, Maluka IAS जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम शामिल हैं.


उन्होंने बताया कि छात्रों को जब कोचिंग सेंटरों के भ्रम जाल के बारे में शिकायत दी थी, जिसके बाद CCPA ने कार्रवाई करते हुए इकरा आईएएस को भ्रामक विज्ञापन के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना ठोका था. खान स्टडी ग्रुप को पांच लाख रुपये का जुर्माना, चहल अकादमी को एक लाख रुपये, बायजूस IAS अकादमी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना, मलूका IAS अकादमी पर तीन लाख रुपये का जुर्माना, अनअकादमी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया तो राव आईएएस स्टडी सर्किल पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

जांच की पाई गई अनियमितताएं

उदाहरण के तौर पर चहल अकादमी ने अपने पोस्टर पर लिखा कि UPSC में साल 2022-23 में 300 से ज़्यादा लोगों का चयन हुआ, जिसमें से पांच में से चार लोग टॉपर थे. इस तस्वीर में रैंक वन रैंक दो लेकर रैंक 16 तक के बच्चों की तस्वीर भी छापी गई. जब उपभोक्ता मंत्रालय ने जांच की तो पाया कि अकादमी की ओर से जानबूझकर इन छात्रों द्वारा लिए गए कोर्स के बारे में जानकारी छुपाई गई थी, जबकि 3 से ज़्यादा छात्रों ने दावा किया कि उन्होंने इस इंस्टिट्यूट में सिर्फ़ मॉक इंटरव्यू मुफ़्त दिया था. सच पता चला तो एक लाख रुपया का जुर्माना ठोका गया.

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खान स्टडी सर्कल में UPSC के साल 2022-23 के नतीजे छापे गए और ये कहा गया कि उसके बच्चे टॉप फाइव में शामिल हैं. विज्ञापन में दावा किया गया कि उनकी लग्गेसी के तहत 993 में से 682 छात्र UPSC परीक्षा 2022 में चुने गए हैं और उनकी फोटो भी पोस्टर पर लगाई. CCPA ने जांच में पाया कि छात्रों ने जिस विषय या कोर्स को चुना था. उसकी जानकारी छुपाई गई और सफल उम्मीदवारों ने सिर्फ़ माक इंटरव्यू दिया था. इस मामले में कोचिंग पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

इसी तरह मलूका IAS अकादमी ने प्री और मेंस की परीक्षाओं के लिए विज्ञापन दिया, जिसमें दावा किया गया कि प्री और मेंस परीक्षाएं पास कराने की गारंटी है और ये भी बताया कि साल 222 में UPSC परीक्षा में 136 छात्रों का सेलेक्शन हुआ, लेकिन जब CCPA ने जांच की तो पता चला कि 124 उम्मीदवारों ने पूरी इंटरव्यू गाइडेंस कोर्स लिया था. इस तरहा कोचिंग का सफलता की गारंटी का दावा झूठा था, जिससे इंस्टीट्यूट की क्षमता और सेवाओं के बारे में ग़लत जानकारी दी गई,इसके बाद कोचिंग पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.

उन्होंने ये भी बताया कि इस पर नियम बनाने के लिए एक कमेटी बनाई गई, जिसमें सरकार की ओर से CCPA कार्मिक विभाग शिक्षा मंत्रालय और लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारी शामिल थे. इसके साथ-साथ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को भी इसमें शामिल किया गया और तमाम विशेषज्ञों के साथ एक विस्तृत दिशा-निर्देश बनाए गए हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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