पटना के फुलवारी सरीफ इलाके केसोरंगपुर प्राथमिक विद्यालय की स्थिति देख हर कोई हैरान रह जाता है.1996 मे बनेइस स्कूल का आधा हिस्सा जमीन के अंदर जा चुका है.महज 5 फीट की ऊंचाई पर छत है और उसके नीचे दो कमरे हैं.एक ही कमरे में कक्षा एक से पांच तक केछात्र पढ़ाई करते हैं.दूसरा कमरा शिक्षक का ऑफिस है, जहां मिड डे मील का खाना बनता है.बाहर शौचालय हैं लेकिन ताला लगा है.शिक्षिकाओं का कहना है कि पानी का कनेक्शन नहीं है.छात्रों को शौचालय के लिए आसपास के घरों में जाना पड़ता है.
आजतककी टीम ग्राउंड जीरो पर जब स्कूल का हाल जानने पहुंची, तो सबसे पहले स्कूल केबरामदे पर देखा कि कुछ छात्र बोरा बिछाकर जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे.वहीं, टेबल पर बैठी प्रभारी शिक्षिका पुष्पा उन छात्रों को पढ़ा रहीं थीं.आजतक ने शिक्षिका से पूछा कि ये बच्चे जमीन पर क्यों पढ़ रहे हैं, तो शिक्षिका पुष्पा ने बताया कि स्कूल में दो ही कमरेहैं.एक में ऑफिस है जिसमें सारे कागजात हैं और उसी में मिड डे मील का खाना भी बनता है.
जिस कमरे में जरूरी कागजात उसी में बनता है मिड डे मील
अलमीरा में कागजात रखे हैं और बगल में खाना बनाने के लिए चूल्हा जलता है. वहीं, एक कमरा है जिसकी छत 5 फीट की ऊंचाई पर ही है, जिसकी वजह से पंखे भी नहीं लगा सकते और इस कमरे में कक्षा तीन से पांच तक केछात्र पढ़ाई करते हैं.वहीं, कक्षा एक और दो के छात्र यहीं बरामदे पर बैठकरपढ़ाई करते हैं.
शिकायत करने पर भी नहीं हुआ सुधार
दूसरी शिक्षिका जैनब ने कहाकिइस स्कूल में 84 छात्र हैं.रोजाना 50 से ऊपर छात्र पढ़ाई करने आते हैं.जिस दिन सभी छात्र पहुंच जाते हैं, उस दिनरूम में छात्रों का बैठना मुश्किल हो जाता है.बेंच डेस्क तो दूर की बात है जमीन पर बैठने तक की जगह नहीं बचती है.हम लोगों ने कई बार वरीय अधिकारी को इस बात की सूचना दी है, लेकिन अभी तक इसका ठोस उपाय नहीं किया गया है.वहीं, स्कूल की हालत को देखकर आसपास के लोग भी काफी आक्रोशित दिखे.उनका आरोप है कि सरकार शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करती है.मगर हमारे मोहल्ले के बच्चे इसी खस्ताहाल स्कूल में पढ़ाई करते हैं.जहां उन्हेंबैठने के लिए ना बेंच मिलतीहै और ना हवा खाने के लिए पंखा और ना हीशौच के लिए शौचालय की व्यवस्था है.
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