देश के किसी भी राज्य में पुलिस का एक अहम रोल होता है. हर जिले में कानून व्यवस्था को बनाए रखना पुलिस की जिम्मेदारी होती है. पुलिस में कई तरह के अफसर और पद होते हैं. लेकिन जिले में SSP, SP या DCP का एक पद होता है. ऐसे में आपके दिमाग में भी ये बात जरुर आयी होगी कि इन तीनों में से सबसे बड़ीपोस्ट कौन सीहोतीहै.
सबसे पहले इन दोनों के फूल फॉर्म को जान लेते हैं.
SP:SP का फुल फॉर्म Superintendent of Police होता है. इन्हें हिंदी में पुलिस अधीक्षक कहते हैं.
DCP: DCP का फुल फॉर्म Deputy Commissioner of Police होता है. इन्हें हिंदी में पुलिस उपायुक्त कहते हैं.
तो चलिए अब जानते हैं क्या होता है दोनों के रोल में अंतर
एसपी (सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) और डीसीपी (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) दोनों ही पुलिस व्यवस्था में उच्च पदाधिकारी होते हैं, जो कानून व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हालांकि दोनों के कार्य और जिम्मेदारियों में कुछ समानताएं होती हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी होते हैं.
SP: एसपी का मुख्य कार्य जिला स्तर पर पुलिस व्यवस्था को संभालना होता है. वे जिले की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेते हैं और क्राइम कंट्रोल और जनता के साथ संपर्क बनाए रखते हैं. एसपी का पद आमतौर पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों द्वारा संभाला जाता है. एसपी जिला पुलिस का प्रमुख होता है और वह राज्य के डीजीपी को रिपोर्ट करता है.
DCP: वहीं, डीसीपी का पद आमतौर पर महानगरों और बड़े शहरों में होता है. डीसीपी के अंतर्गत एक या उससे अधिक पुलिस जिलों का प्रबंधन आता है. वे विभिन्न थाना प्रभारियों के कार्यों का निरीक्षण और उन्हें निर्देश देते हैं. डीसीपी का पद भी आईपीएस अधिकारियों द्वारा संभाला जाता है. डीसीपी अपने क्षेत्र में पुलिस का प्रमुख होता है और कमिश्नर को रिपोर्ट करता है.
ये मिलती हैं सुविधाएं
सुविधाओं की बात करें तो एसपी और डीसीपी को उनके रैंक के अनुसार सरकारी आवास, वाहन, सुरक्षा गार्ड तथा अन्य भत्ते मिलते हैं. इनके फोन और इंटरनेट एक्सपेंस भी आमतौर पर सरकार द्वारा वहन किए जाते हैं। इनके साथ ही, दोनों पदों पर अधिकारियों को सामाजिक सम्मान और प्रतिष्ठा भी मिलती है.
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