DU में मनुस्मृति का प्रस्ताव रखने वालों के खिलाफ कांग्रेस ने की कानूनी कार्रवाई की मांग

4 1 51
Read Time5 Minute, 17 Second

दिल्ली यूनिवर्सिटी में आज यानी शुक्रवार को एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए रखा जाता उससे पहले ही वाइस चांसलर ने इसे रद्द कर दिया.लॉ स्टूडेंट को मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव को ना मंजूर करते हुए वीसी प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा मनुस्मृति से जुड़ा कोई भी चैप्टर स्टूडेंट्स को नहीं पढ़ाया जाएगा.कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को रखने वालों के खिलाफ कानूनीकार्रवाई की मांग की है.

मनुस्मृति का प्रस्ताव रखने वालों के खिलाफ मुकदमे की मांग

दूसरी तरफ विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस बात पर पूरी तरह से हमलावर है.कांग्रेस SC डिपार्टमेंट के चीफराजेश लिलोठिया ने कहा कि "बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को अगर इस तरह से बार-बार छेड़ने का प्रयास करेंगे तो इस देश के अंदर हर संविधान रक्षक और नागरिक इसका विरोध करेगा. मुंहतोड़ जवाब देगा और प्रदर्शन पूरे देश में जारी रहेगा हम संतुष्ट नहीं हैं. इस प्रपोजल को वापस लिया है या विड्रॉ किया है हम उनकी बात पर विश्वास नहीं करते. हम चाहते हैं कि जिन लोगों ने प्रस्ताव किया है फैकल्टी के लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो मुकदमा दर्ज हो उनको सजा मिले ताकि भविष्य के लिए यह लोग इस तरह का प्रयास न करें'.

क्या है पूरा मामला?

Advertisement

दरअसल, डीयू की लॉ फैकल्टी ने अपने फर्स्ट और थर्ड इयर के छात्रों को 'मनुस्मृति' पढ़ाने के लिए सिलेबस में संशोधन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अंतिम फैसला लेने वाले निकाय से मंजूरी मांगी थी. संशोधनों के अनुसार, मनुस्मृति पर दो पाठ - जी एन झा की मेधातिथि के मनुभाष्य के साथ मनुस्मृति और टी कृष्णस्वामी अय्यर द्वारा मनुस्मृति की टिप्पणी -स्मृतिचंद्रिका- छात्रों के लिए पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा गया था. फैकल्टी की पाठ्यक्रम समिति की 24 जून को हुई बैठक में संशोधनों का सुझाव देने के फैसले को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई थी, जिसकी अध्यक्षता फैकल्टी की डीन अंजू वली टिकू ने की थी.

एसडीटीएफ ने दर्ज कराई थी आपत्ति

वाम समर्थित सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एसडीटीएफ) ने डीयू के कुलपति योगेश सिंह को पत्र लिखकर प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराई थी. उन्होंने कहा था कि पांडुलिपि महिलाओं और हाशिए के समुदायों के अधिकारों के प्रति "प्रतिगामी" दृष्टिकोण का प्रचार करती है और यह "प्रोग्रेसिव एजुकेशन सिस्टम" के खिलाफ है.

डीयू के कुलपति को लिखे पत्र में एसडीटीएफ के महासचिव एसएस बरवाल और अध्यक्ष एसके सागर ने कहा था कि छात्रों को मनुस्मृति को पढ़ने के लिए सुझाया जाना अत्यधिक आपत्तिजनक है क्योंकि यह पाठ भारत में महिलाओं और हाशिए के समुदायों की प्रगति और शिक्षा का विरोधी है.

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

साहित्य आजतक 2024: फिर लौट रहा शब्द-सुरों का महाकुंभ, यहां करें रजिस्ट्रेशन

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now