कोटा में मासूम सपनों पर ये कैसा ग्रहण? न अपने याद रहे, न सपने याद रहे... 6 महीने में 14 छात्रों ने दे दी जान

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कोचिंग फैक्ट्री के तौर पर व‍िख्यात राजस्थान काकोटा शहर भले ही डॉक्टर-इंजीन‍ियर बनाकर मि‍साल कायम कर रहा हो. लेकिन यहां के स्याह पक्ष ने आज देशभर के सामने नया सवाल खड़ा कर दिया है. आख‍िर क्यों प्रशासन के तमाम इंतजामातके बावजूद यहां मौत का तांडव नहींं रुक पा रहा. ऐसा क्या है यहां के माहौल में जो बच्चों को मौत की तरफ धकेल दे रहा. यह हम नहीं बल्क‍ि आंकड़े कह रहे हैं. 24 जनवरी से अब तक मुश्किल से छह महीने ही हुए हैं लेकिन अब तक 14 सुसाइड की खबरें आ चुकी हैं.

पिछले कुछ सालों से यह सिलसिला जारी है. यहां मिलने वाले सुसाइड नोट (मम्मी पापा मैं ये नहीं कर पाऊंगा....) (सॉरी ये मुझसे नहीं हो पाएगा...) नाउम्मीदी से भरे होते हैं. ये हताशा और नाउम्मीदी यहांके कॉम्प‍िट‍िशन के माहौल से आती है या घर से दूर अकेलेपन से ऊबकर नाउम्मीदी और हताशा उन्हें घेर लेती है या माता-पिता और समाज में सफल होने का दबाव इन मासूमों को जिंदगी से नाता तोड़ने पर मजबूर कर रहा है. कारण जो भी हैं, अब इन पर बात होनी ही चाहिए. ये सिलसिला रुकना बहुत जरूरी है.

साल के पहले महीने से ही शुरू हुआ सुसाइड का सिलसिला

जाड़े की उसठंडी सुबह, 24 जनवरी के दिन कोटा से साल की पहली दिल तोड़ने वाली खबर आई.उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आए मोहमद जैद ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी. मोहमद की उम्र सिर्फ 19 साल थी. वह जवाहर नगर थाना क्षेत्र के न्यू राजीव गांधी नगर इलाके में एक हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था. नीट का पहला अटेंप्ट वो दे चुका था और दूसरे की तैयारी कर रहा था फिर अचानक खबर आई किजैद ने आत्महत्या कर ली है. इसके पीछे का कारण क्या है, ये किसी को नहीं पता लेकिन उसके घरवाले अभी भी इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं.

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'मैं सबसे खराब बेटी हूं' लिखकर 18 साल की निहारिका ने अपनी जान ली

पहली सुसाइड के चार दिन बाद ही 29 जनवरी को निहारिका नाम कीछात्रा ने अपनी जान ले ली थी. 2 दिन बाद ही जेईई की परीक्षा होनी थी. निहारिका इस परीक्षा में शामिल होने वाली थी लेकिन उससे पहले ही निहारिका ने अपने ही घर के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया. निहारिका की उम्र सिर्फ 18 वर्ष थी. आत्महत्या करने से पहले निहारिका ने एक सुसाइड नोट लिखा, जिसके पढ़ने के बाद हर किसी की आंख में आंसू थे. उसमें लिखा था 'मम्मी पापा मैं JEE नहीं कर सकती इसलिए सुसाइड कर रही हूं , मैं कारण हूं , मैं सबसे खराब बेटी हूं, सॉरी मम्मी पापा यही आखिरी विकल्प है'.

साल केपहले महीने में 2 सुसाइड के बाद प्रशासन और भी ज्यादाचौकन्ना हो गया था. हॉस्टल पीजी संचालक पल पल नजर रख रहे थे. काउंसिलिंग के तमाम प्लेटफॉर्म तैयार किए गए थे फिर भीअगले महीने यानी फरवरी की दूसरी तारीख को ही एक और लड़के ने फांसी का फंदा लगा लिया. कोटा विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में 27 साल के नूर मोहम्मद ने पीजी के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. नूर जेईई की तैयारी करने कोटा आयाथे और 4 साल से बीटेक की ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा था.

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साल की शुरुआत में ही हो चुके इन तीन सुसाइड के मामलों ने सभी के मन में एक डर पैदा कर दिया था.इसके बाद कोटा प्रशासन से सभी हॉस्टल रूम में पंखे मेंहैंगिंग डिवाइस, बच्चे से बात करना, कलेक्टर का छात्रों से हॉस्टल में जाकर मिलना आदि गतिविधियां की. कई छात्रों ने पुलिस की टीम को अपने मन की बात बताई और उनकी परेशानियों को सुलझाया गया. कोटा पुलिस की तमाम कोशिशों चल रही थीं कि नूरके 10 दिन बाद ही एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली.

रिजल्ट की रात 17 साल केशुभ ने आत्महत्या की

13 फरवरी को खबर आई कि 17 साल के शुभकुमार चौधरी ने आत्महत्या कर ली है. वह पिछले 2 सालों से कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था. शुभ ने इस साल जेईई का पहला अटेंप्ट दिया, इसके बाद रिजल्ट की रात उसने अपनी जान ले ली. शुभम के हॉस्टल वार्डन ने कहा कि 'शुभम रात को ही मिला था और मैंने बात भी की थी मैंने कहा कि खाना खा लो फिर उसने कहा कि अभी रिजल्ट आने में समय है, रिजल्ट आने के बाद सब साथ ही खाएंगे उसने रात को खाना भी नहीं खाया, उसके बाद उसने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया'.

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परिवालवालों ने कोटा आकर ढूढ़ा अपने बेटे का शव

शुभकी आत्महत्या के पीछे के कारण का पुलिस पता ही लगा रही थी कि एक हफ्ते बाद ही 20 फरवरी को 16 साल के रचित ने सुसाइड नोट लिखकर अपनी जान दे दी. छात्र का सुसाइड नोट बेहद डरा देने वाला था. उसपर खून के धब्बे के साथ छात्र के मन की बात लिखी हुई थी. छात्र का खुदको यूं चोट पहुंचाना कई सवाल खड़े करता है? छात्र के नोट्स देखकर कोई इसे गेम का टास्क बता रहा था तो कोई इसे डिप्रेशन का कारण बता रहा था. घरवाले आंखों में आंसू और आस लिए लड़केकीराह देख रहे थे, और 9 दिन बाद उसका शव मिला. रचित की तलाश में पुलिस ने चंबल नदी का चप्पा चप्पा छान लिया था लेकिन रचित का शव पहाड़ों में उसके घरवालों कोमिला.

सॉरी पापा मैं JEE नहीं कर सकता...

8 मार्च को सल्फास खाकर कोचिंग छात्र अभिषेक कुमार ने भी अपनी जान ली. अभिषेक की उम्र भी सिर्फ 16 साल थी. वह बिहार से कोटा पढ़ने आया था. छात्र पिछले 1 साल से कोटा के विज्ञान नगर थाना इलाके में पीजी में रह रहा था. पुलिस ने जब तलाश की तो अभिषेक के कमरे से सलफास की बोतल मिली. पुलिस ने कोचिंग संस्थान से जब पता किया तो पता चला किअभिषेक 29 जनवरी को पेपर देने भी नहीं गया और19 फरवरी को भी उसका पेपर था वह भी वह देने नहीं गया. अभिषेक ने सुसाइड नोट भी कमरे में छोड़ा था जिसमें लिखा है कि सॉरी पापा मैं JEE नहीं कर सकता...

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हॉस्टल के कमरे मेंसुसाइड

एक ही साल ही में छात्रों के सुसाइड के कई मामले दर्ज किए जा चुके थे. पुलिस लापता छात्रों की तलाश में थी. इसी बीच 26 मार्च को 20 साल के छात्र उरूज खान ने भी आत्महत्या कर ली. वह कोटा में रहकर नीजी कोचिंग से नीट की तैयारी कर रहा था. उरूज खान यूपी के कन्नौज का रहने वाला था, उसने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान दे दी थी. उरूज की आत्महत्या को एक हफ्ता भी पूरा नहीं हुआ था कि 28 मार्च को 19 साल की सौम्या ने भी सुसाइड कर लिया. सौम्या ने भी उरूज की तरह फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान दी थी.

सेलेक्शन ना होने पर छात्र ने दे दी अपनी जान

इसके एक महीने बाद यानी अप्रैल के आखिरी में 2 छात्रों ने सुसाइड किया. 29 अप्रैल को 20 साल के कोचिंग छात्र सुमित ने फांसी लगाकर आत्महत्या की. सुमित हरियाणा का था निवासी, कुन्हाड़ी लैंडमार्क सिटी स्थित हॉस्टल में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहा था. 30 अप्रैल को 20 साल के भरत राजपूत ने भी अपनी जान ले ली थी. भरत धौलपुर का रहने वाला था और कोटा में नीट की तैयारी कर रहा था. भरत अपने भांजे रोहित के साथ तलमण्डी प्राइवेट सेक्टर मेंपीजी मेंरह रहा था.भरत के कमरे से पुलिस को दो लाइन का सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें लिखा है कि "सॉरी पापा इस बार भी मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाएगा". भारत के भांजे रोहित ने बताया कि भरत पहले भी दो बार तैयारी कर चुका है पर उसका सिलेक्शन नहीं हुआ, 5 मई को उसका नीट का एग्जाम था उससे पहले ही उसने फंदा लगाकर जान दे दी.

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साल 2024 के 6 महीने में ही कई सुसाइड के मामले

पिछले महीने जून में कोटा से छात्रों के सुसाइड के तीन मामले सामने आए. 6 जून को बिल्डिंग की नौवींमंजिल से कूदकर छात्रा बागीशा नेखुदकुशी कर ली थी. मध्य प्रदेशके रीवा की रहने वालीबागीशा तिवारी नीट की परीक्षा के रिजल्ट के बाद से तनाव में थी. बागीशा कोटा के जवाहर नगर इलाके में अपने भाई और मां के साथ रहती थी. इसके बाद 16 जून को 17 वर्षीय आयुष ने फांसी का फंदा लगाकरआत्महत्या कर ली. आयुष बिहार के चंपारण जिले का रहने वाला था, कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था.छात्र ने अपने ही कमरे के रोशनदान में फंदा लगाकर मौत को गले लगा लिया था. साल 2024 को 6 महीने ही हुए हैं कि इतने सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं.

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27 जून को बिहार के भागलपुर का रहने वाले 17 साल के छात्र ऋषित साडे अपनी जान ली. वह 12वीं के साथ कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था. ऋषित की मौत अभी तक एक राज बनी हुई है, मरने से पहले ऋषित नेकोई सुसाइड नोट भी नहीं लिखा और आज 4 जुलाई को कोटा के महावीर नगर थाना इलाके में एक और कोचिंग स्टूडेंट ने फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया, मृतक छात्र 16 वर्षीय संदीप बिहार के नालंदा का निवासी था और महावीर नगर सेकंड स्थित अपने पीजी में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था.सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम पहुंचाया, फिलहाल महावीर नगर थाना पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

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यहां हम ये आंकड़े और घटनाएं सिर्फ इसलिए एक साथ दे रहे हैं ताकि एक समाज, परिवार और‍ जिम्मेदार नागर‍िकके तौर पर आप और हम हालातों को समझें. कहीं हम अपने बच्चों से छोटी-सी उम्र में इतनी उम्मीदें तो नहीं लगा बैठे हैं कि वो उसके बोझ तले दबा महसूस करते हैं. क्या हम अपने बच्चों की हताशा और निराशा को समझ पा रहे हैं. इन हालातों को बदलने के लिए एक समाज के तौर हमें भी खुद को बदलना होगा. इन 17-18 साल के बच्चोंं को भी समझना होगा कि सिर्फ कॉम्प‍िट‍िशन निकाल पाना ही उनके जीवन का ध्येय नहीं है. ये दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है. हमें सिर्फ लीक से हटकर सोचना सीखना होगा.

(अगर आपके या आपके किसी परिचित में मन में आता है खुदकुशी का ख्याल तो ये बेहद गंभीर मेडिकल एमरजेंसी है. तुरंत भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 पर संपर्क करें. आप टेलिमानस हेल्पलाइन नंबर 1800914416 पर भी कॉल कर सकते हैं. यहां आपकी पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी और विशेषज्ञ आपको इस स्थिति से उबरने के लिए जरूरी परामर्श देंगे. याद रखिए जान है तो जहान है.)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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