UPPSC J की परीक्षा में आयोग ने मानी अपनी गलती, कहा- ये मानवीय भूल, अफसरों को किया सस्पेंड

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यूपी PCS -J की परीक्षा में गड़बड़ी की बात सामने आने पर आयोग ने कोर्ट में माना है कि गलत कोडिंग की वजह से कैंडिडेट्स की कॉपियों में गड़बड़ी हुई है. लोक सेवा आयोग का मानना है कि ये लापरवाही एकमानवीय भूल की वजह से हुई है. इसमें आयोग के तीन कर्मियों की गलती थी, जिनपर कार्रवाई की जाएगी.

गलत कोडिंग की वजह से हुई कॉपियों में गड़बड़ी

2022 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थी श्रवण पांडेय की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आयोग ने ये स्वीकार कर लिया है कि उत्तर पुस्तिकाओं की कोडिंग ग़लत होने की वजह से क़रीब 50 अभ्यर्थियों की कॉपीज़ में मिले नंबरों में गड़बड़ी हुई है. आयोग के उपसचिव के हलफ़नामे में ये स्वीकार किया गया कि अंग्रेज़ी की उत्तर पुस्तिकाओं में इंटरमिक्सिंग की वजह से अभ्यर्थियों के अंक बदले गए हैं.

आयोग ने जांच में क्या निकला नतीजा?

पीसीएस-जे में अभ्यर्थियों के अंक ग़लत होने पर आयोग ने अपनी जांच पूरी कर ली है. आयोग की जांच में ये बात सामने आई है कि PCS-J मुख्य परीक्षा 2022 में अंग्रेजी भाषा की उत्तर पुस्तिकाओं के अंक बदलने की गड़बड़ी वास्तव में एक लापरवाही है. आयोग का कहना है कि यह एक मानवीय भूल थी, किसी प्रकार का आपराधिक कदाचार नहीं है. साथ ही ये भी मानाहै कि इस मानवीय भूल के चलते एक भी अभ्यर्थी की गोपनीयता भंग नहीं हुई है. हालांकि, आयोग ने किसी अन्य विसंगति और त्रुटि की संभावना को दूर करने और अभ्यर्थियों में विश्वास बनाये रखने के लिए उस परीक्षा में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों की आसंर शीट्स के री-इवैल्यूएशन कराये जाने का फैसला किया है. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि लोक सेवा आयोग में भी उत्तर पुस्तिकाएं दिखाने का प्रचलन नहीं है पर यूपी पीएससी की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं दिखाई जाती हैं जिससे परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित हो सके.

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कहां हुई गलती?

आयोग के सूत्रों ने बताया कि मामले में आयोग द्वारा गठित जांच समिति ने पाया है कि परीक्षा में सिर्फ़ अंग्रेजी भाषा प्रश्नपत्र के एक बंडल की अंकतालिका के एक पृष्ठ (जिस पर संबंधित विषय के 25 अभ्यर्थियों के अंकों का विवरण होता है) पर चस्पा किये जाने वाले अभ्यर्थीवार कोड को लेकर लापरवाही हुई. इस भूल के कारण कोड उसी अंकतालिका के दूसरे पृष्ठ (जिस पर संबंधित विषय के 25 अभ्यर्थियों के अंकों का विवरण होता है) पर चस्पा हो गया. साथ ही दूसरे पृष्ठ का अभ्यर्थीवार कोड पहले पृष्ठ पर चस्पा हो गया, जिसकी वजह से संबंधित अभ्यर्थियों के अंग्रेजी भाषा की उत्तर पुस्तिकाओं के अंक परस्पर आपस में बदल गए और अंग्रेजी भाषा का प्राप्तांक त्रुटिपूर्ण हो गया. आयोग ने तय किया है कि उत्तर पुस्तिकाओं के अवलोकन का कार्य 30 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा और उसके बाद कोई फ़ैसला किया जाएगा.

गलती सुधारने पर काम करेगा आयोग

सूत्रों के अनुसार, कोडिंग का ये काम अनुभाग अधिकारी के नेतृत्व में 3 महिला कार्मिकों ने किया था. ये अधिकारी सालों से यह काम कर रहीं थीं और उनको यहकाम करने का खासा अनुभव भी था. मुख्य परीक्षा में कुल 06 प्रश्नपत्र थे जिसमें 04 प्रश्नपत्र 200-200 अंकों के थे और 02 प्रश्नपत्र 100-100 अंकों के थे. कुल परीक्षा 1000 अंकों की ली गई थी, जिस प्रश्नपत्र में गलती हुई है वह मात्र 100 अंकों का था. इस प्रकार की गलती भविष्य में न हो, इसपर आयोग काम करेगा.

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जिम्मेदारआधिकारियों कोनिलंबित

आयोग ने इस गलती के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार एक अनुभाग अधिकारी, एक समीक्षा अधिकारी और एक सहायक समीक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया गयाहै और सभी पर विभागीय कार्यवाही की जा रही है. इसके अलावा रिटायर हो चुकीं सहायक समीक्षा अधिकारी के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाहीकी जा रही है. अब देखना यह है कि कोर्ट आयोग की इस कार्रवाई से कितना संतुष्ट होता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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