ग्रेस मार्क्स नहीं, पेपर लीक पर बात करे NTA, री-एग्जाम के फैसले के बाद फूटा छात्रों का गुस्सा

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नीट परीक्षा को लेकर देश में बड़ा विवाद छिड़ गया है. डॉक्टर बनने का सपना लेकर आए मेडिकल स्टूडेंट्स एनटीए पर भड़क रहे हैं. ग्रेस मार्क्स वाले छात्रों के लिए री-एग्जाम का फैसला लेने के बाद भी मेडिकल छात्रों का गुस्सा थमा नहीं है, उनका कहना है कि एनटीए ट्रासपेरेंट नहीं है, अगर वे कह रहे हैं कि लॉस ऑफ टाइम की वजह से छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए तो उन्होंने उस सेंटर की सीसीटीवी फुटेज दिखानी चाहिए.

swarnimbharatnews.com ने मेडिकल के कुछ छात्रों ने बातचीत की है जो नीट 2024 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अब्दुल्ला मोहम्मद फैज़ का कहना है कि एनटीए ने शिकायतकर्ता की बातों को गलत लिया और ग्रेस मार्क्स हटा दिए. जिन छात्रों ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है उन्हें न्याय नहीं मिला है. उनको न्याय देने का रास्ता भी निकालना चाहिए.

नीट पेपर जांच के लिए एसआईटी का गठन

छात्र ने कहा कि इस परीक्षा में शुरुआत से ही कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. जब इस एग्जाम के रजिस्ट्रेशन हुए थे,आवेदन विंडो की आखिरी डेट जाने के 20 दिन बाद 2 दिन के लिए विंडो दोबारा खोली गई थी. ऐसा क्यों किया, इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता. छात्र ने आगे कहा कि एनटीए के प्रश्नपत्र कई सालों से वायरल हो रहे हैं, लेकिन इसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया है. इसके लिए एसआईटी कमेटी का गठन होना चाहिए.

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ग्रेस मार्क्स नहीं, पेपर लीक बड़ा मुद्दा

एक और नीट एस्पिरेंट ने कहा कि रैंक का बढ़ना एक बड़ा मुद्दा है. एनटीए ने अपनी गलतियों को छुपाने के लिए ग्रेस मार्क्स का फैसला लिया है, जबकि असली मुद्दा ग्रेस मार्क्स नहीं बल्क‍िपेपर लीक है. एनीटए खुद पेपर लीक में शामिल है. कई छात्र ऐसे में है जो जिन्होंने न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया, उन्हें एनटीए पर भरोसा था और वे हमारे साथ खेल खेल रहे हैं. अगर 24 लाख बच्चों में से 1563 छात्रों को हटा दिया जाए तो क्या हमें न्याय मिलेगा? नहीं, कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि मुख्य मामला पेपरलीक है. यदि एक भी छात्र लीक में पकड़ा जाता है तो पूरी परीक्षा दोबारा आयोजित करनी पड़ती है. इस मामले में सीबीआई की जांच जरूरी है.

एनटीए को करोड़ों का मुनाफा हुआ है- नीट छात्र

विदेशों से कई उम्मीदवार भारत आते हैं क्योंकि यह कुछ होनहार डॉक्टर बनाने के लिए जाना जाता है और अब इनकी जगह नीम-हकीम ले रहे हैं. न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है और यहां यही हो रहा है. इस साल परीक्षा से उन्हें 200 करोड़ का मुनाफा हुआ, उनके पास पूंजी बची हुई है तो वे दोबारा परीक्षा क्यों नहीं करा सकते?

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काउंसलिंग को ना रोकना नीट रिजल्ट अपनाना

एक और नीट अभ्यर्थी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमें न्याय देगा. यह देश की सबसे बड़ी परीक्षा है और इसकी पवित्रता को ठेस पहुंची है. अगर पिछले साल की परीक्षा का डिफिकल्टी लेवल बराबरथा और कटऑफ 610 था, तो कटऑफ 660 बनाने का कोई मतलब नहीं है. अन्य ने कहा कि अगर आप 1563 छात्रों को निकाल देते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझे नहीं लगता कि केवल उनके लिए परीक्षा आयोजित करने का फैसला सही है. काउंसलिंग को न रोकना सही नहीं है क्योंकि यह इस रिजल्ट को अपनाने जैसा होगा और फिर इस रिजल्ट का कोई मतलब नहीं रह जाएगा हम एनटीए, एससी और सरकार पर भरोसा कर रहे हैं. यह परीक्षा भविष्य के डॉक्टर तैयार करेगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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