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नई दिल्लीः ऐक्टर सैफ अली खान की प्रॉपर्टी को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इसी चर्चा के बीच शत्रु संपत्ति कानून भी आ गया है। केंद्र सरकार इसमें बदलाव की तैयारी कर रही है। बदलाव के बाद शत्रु संपत्तियों पर सरकार को और अधिकार देने की तैयारी है। इसका मतलब है कि सरकार के पास सीधे तौर पर ऐसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक आ जाएगा और पब्लिक हित में उसका इस्तेमाल होगा। क्या है शत्रु संपत्ति, क्या कहते हैं कानूनी प्रावधान और बदलाव कैसा हो सकता है, पढ़ें ऐसे सवालों के जवाब...शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं?
एनिमी प्रॉपर्टी यानी शत्रु संपत्ति से मतलब ऐसी सम्पत्ति से है जो किसी दुश्मन देश, उसके आश्रित या दुश्मन देश की फर्म की है।1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई के बाद 1968 में इससे जुड़ा कानून बनाया गया। इस कानून में युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की ओर से छोड़ी संपत्ति के दावों को रोकने के प्रावधान हैं। शत्रु संपत्ति ऐक्ट में प्रावधान किया गया कि जो लोग भी आजादी के समय हुए विभाजन या फिर पाकिस्तान से हुई लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए थे और उन्होंने पाकिस्तान की सिटिजनशिप ले ली थी, उनकी संपत्ति को सरकार की ओर से शत्रु संपत्ति घोषित की गई।
1986 में संशोधन का प्रस्ताव क्या है?
केंद्र सरकार 'दुश्मन संपत्ति अधिनियम' में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रही है। इससे केंद्र सरकार को दुश्मन संपत्तियों पर अधिक अधिकार मिलेंगे, जिनमें सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रत्यक्ष स्वामित्व भी शामिल होगा। 1968 के अधिनियम के तहत, शत्रु संपत्ति के रूप में घोषित संपत्तियां स्थायी रूप से शत्रु संपत्ति के संरक्षक के पास रहती हैं, जिनका न तो उत्तराधिकार होता है और न ही इन्हें ट्रांसफर किया जा सकता है।
2017 में क्या बदलाव हुआ?
2017 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिससे शत्रु विषय और शत्रु फर्म की परिभाषा को व्यापक किया गया। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि भारत पाकिस्तान के युद्ध के बाद 1968 में यह ऐक्ट बनाया गया था। 2017 में बदलाव हुए। पुराने बदलाव के बाद अब दो पहलू हैं जिस पर चर्चा है। उसमें पहला है उत्तराधिकारियों के नाम पर विवाद है। इसमें सरकार की भूमिका और स्पष्ट हो जाए, ताकि न्यायपालिका में विवाद सीमित हो सके। दूसरा पहलू सार्वजनिक हित के इस्तेमाल के लिए जो प्रावधान है, उसमें सरकार और कैसे इस्तेमाल कर सकती है? यानी दो पहलू हैं जिस पर बदलाव की योजना है। उसमें विवादों का समाधान और दूसरा संपत्ति का बेहतर इस्तेमाल और उसके लिए कानून में और बदलाव की पहल हो रही है।
नया शत्रु संपत्ति ऐक्ट क्या है?
2017 के कानून में युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों की ओर से छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। कानून के पास होने के बाद शत्रु संपत्ति के सभी अधिकार कस्टोडियन के पास होंगे और ऐसी प्रॉपर्टी को भी ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा। इससे पहले तक जो भी ऐसी प्रॉपर्टी ट्रांसफर हुई हैं, उन पर भी यह कानून लागू होता है। लोकसभा में सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए तत्कालीन होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने कहा था कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए। इसी संसोधन के बाद सरकार को ऐसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मिल गया।
2017 के ऐक्ट में बदलाव का क्या असर हुआ?
2017 के ऐक्ट में बदलाव के बाद ही राजा महमूदाबाद की सारी संपत्तियों का मालिक केंद्र सरकार हो गई। इस कानून के प्रभाव में आने के बाद हजारों ऐसी संपत्तियों पर सरकार का दावा कायम हुआ। उत्तर प्रदेश में भी ऐसी कुछ चर्चित संपत्तियां हैं, जिनकी कस्टडी का दावा सरकार ने किया। पूरे देश में ऐसी सबसे अधिक संपत्ति लखनऊ, मुंबई और हैदराबाद में है। लखनऊ में राजा महमूदाबाद की संपत्ति बटलर पैलेस, महमूदाबाद हाउस और हजरतगंज में है।
शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं?
एनिमी प्रॉपर्टी यानी शत्रु संपत्ति से मतलब ऐसी सम्पत्ति से है जो किसी दुश्मन देश, उसके आश्रित या दुश्मन देश की फर्म की है।1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई के बाद 1968 में इससे जुड़ा कानून बनाया गया। इस कानून में युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की ओर से छोड़ी संपत्ति के दावों को रोकने के प्रावधान हैं। शत्रु संपत्ति ऐक्ट में प्रावधान किया गया कि जो लोग भी आजादी के समय हुए विभाजन या फिर पाकिस्तान से हुई लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए थे और उन्होंने पाकिस्तान की सिटिजनशिप ले ली थी, उनकी संपत्ति को सरकार की ओर से शत्रु संपत्ति घोषित की गई।1986 में संशोधन का प्रस्ताव क्या है?
केंद्र सरकार 'दुश्मन संपत्ति अधिनियम' में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रही है। इससे केंद्र सरकार को दुश्मन संपत्तियों पर अधिक अधिकार मिलेंगे, जिनमें सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रत्यक्ष स्वामित्व भी शामिल होगा। 1968 के अधिनियम के तहत, शत्रु संपत्ति के रूप में घोषित संपत्तियां स्थायी रूप से शत्रु संपत्ति के संरक्षक के पास रहती हैं, जिनका न तो उत्तराधिकार होता है और न ही इन्हें ट्रांसफर किया जा सकता है।2017 में क्या बदलाव हुआ?
2017 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिससे शत्रु विषय और शत्रु फर्म की परिभाषा को व्यापक किया गया। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि भारत पाकिस्तान के युद्ध के बाद 1968 में यह ऐक्ट बनाया गया था। 2017 में बदलाव हुए। पुराने बदलाव के बाद अब दो पहलू हैं जिस पर चर्चा है। उसमें पहला है उत्तराधिकारियों के नाम पर विवाद है। इसमें सरकार की भूमिका और स्पष्ट हो जाए, ताकि न्यायपालिका में विवाद सीमित हो सके। दूसरा पहलू सार्वजनिक हित के इस्तेमाल के लिए जो प्रावधान है, उसमें सरकार और कैसे इस्तेमाल कर सकती है? यानी दो पहलू हैं जिस पर बदलाव की योजना है। उसमें विवादों का समाधान और दूसरा संपत्ति का बेहतर इस्तेमाल और उसके लिए कानून में और बदलाव की पहल हो रही है।नया शत्रु संपत्ति ऐक्ट क्या है?
2017 के कानून में युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों की ओर से छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। कानून के पास होने के बाद शत्रु संपत्ति के सभी अधिकार कस्टोडियन के पास होंगे और ऐसी प्रॉपर्टी को भी ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा। इससे पहले तक जो भी ऐसी प्रॉपर्टी ट्रांसफर हुई हैं, उन पर भी यह कानून लागू होता है। लोकसभा में सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए तत्कालीन होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने कहा था कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए। इसी संसोधन के बाद सरकार को ऐसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मिल गया।2017 के ऐक्ट में बदलाव का क्या असर हुआ?
2017 के ऐक्ट में बदलाव के बाद ही राजा महमूदाबाद की सारी संपत्तियों का मालिक केंद्र सरकार हो गई। इस कानून के प्रभाव में आने के बाद हजारों ऐसी संपत्तियों पर सरकार का दावा कायम हुआ। उत्तर प्रदेश में भी ऐसी कुछ चर्चित संपत्तियां हैं, जिनकी कस्टडी का दावा सरकार ने किया। पूरे देश में ऐसी सबसे अधिक संपत्ति लखनऊ, मुंबई और हैदराबाद में है। लखनऊ में राजा महमूदाबाद की संपत्ति बटलर पैलेस, महमूदाबाद हाउस और हजरतगंज में है।कितनी ऐसी संपत्तियां हैं?
जनवरी 2018 में केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया था कि पाकिस्तानी नागरिकों की ओर से छोड़ी गई कुल 9,280 शत्रु संपत्तियां और चीनी नागरिकों की ओर से छोड़ी गई 126 शत्रु संपत्तियां दर्ज की गई थीं। इसी साल कैबिनेट ने 3,000 करोड़ से अधिक मूल्य के शत्रु शेयरों को बेचने की प्रक्रिया को मंजूरी दी थी। कुल 996 कंपनियों के 65,075,877 शेयरों की पहचान की गई, जो 20,232 शेयरधारकों के थे। 2020 में केंद्र सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों के निपटान की निगरानी के लिए एक मंत्रिसमूह का गठन किया था।
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