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बीजिंग: चीन की सरकार ने ऐलान किया है कि वह तिब्बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्सांगपो पर महाशक्तिशाली बांध बनाने जा रही है। इस बांध से चीन के धरती की स्पीड को प्रभावित करने वाले थ्री जॉर्ज बांध से 3 गुना ज्यादा बिजली पैदा होगी। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। चीनी मीडिया का कहना है कि यह बीजिंग के लिए इंजीनियरिंग की बहुत बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। चीन की सरकार इस बांध को बनाने के लिए 137 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीनी बांध धरती पर चल रहे सिंगल इन्फ्रास्ट्रक्चर के किसी भी प्राजेक्ट को बहुत पीछे कर देगा। चीन जिसे यारलुंग त्सांगपो नदी कहता है, उसे भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस दैत्याकार बांध का हथियार की तरह से इस्तेमाल करके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कभी भी बाढ़ ला सकता है।
थ्री जॉर्ज बांध में 40 अरब क्यूबिक मीटर पानी है और यह धरती की घूमने की रफ्तार को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से धरती की घूमने की गति में हर दिन 0.06 माइक्रोसेकंड बढ़ रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। इस बांध को सबसे पहले साल 1919 में चीन के पहले राष्ट्रपति सुन यात सेन ने बनाने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा था कि इससे जहां बाढ़ में कमी आएगी, वहीं दुनिया के सामने यह चीन के ताकत का प्रतीक बनेगा। चीन अब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर नया विशालकाय बांध बनाने जा रहा है। चीन का इरादा है कि इस बेहद जटिल इंजीनियरिंग प्राजेक्ट को पूरा करने के लिए चार से लेकर छह तक 30 किमी लंबी सुरंग बनानी होगी।
चीन को यह सुरंग नामचा बरवा पहाड़ के अंदर बनानी होगी ताकि महाशक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के आधे पानी को डायवर्ट किया जा सके। यही नहीं जिस जगह पर यह बांध बनाया जाना है, वहां भूकंप आने का काफी खतरा रहता है। चीन का यह बांध जब पूरा हो जाएगा तो इससे 30 करोड़ लोगों को आसानी से हर साल बिजली दी जा सकेगी। चीन का दावा है कि इस बांध को बनाने के लिए पर्यावरण के मानकों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
चीन ने यह नहीं बताया है कि तिब्बत में इस बांध को बनाने का काम कब शुरू होगा और ठीक-ठीक किस जगह पर इसे बनाया जाएगा। चीन इस ऐलान से भारत के लिए बड़ा खतरा पैदा हा सकता है। यह न केवल सुरक्षा के लिहाज से बल्कि पर्यावरण और आजीविका के लिए है। ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोग जीवन बिताते हैं। बांग्लादेश में इसे सूरमा नदी कहा जाता है। चीन अगर पानी रोकता है तो इन दोनों देशों में सूखा आ सकता है और अगर अचानक से पानी छोड़ता है तो बाढ़ आ सकती है।
करीब 2900 किमी लंबी ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आने से पहले तिबब्त के पठार से होकर गुजरती है। यह नदी तिब्बत में धरती की सबसे गहरी खाई बनाती है। तिब्बती बौद्ध भिक्षु इसे बहुत पवित्र मानते हैं। चीन इस बांध को भारत की सीमा करीब अपने भयंकर बारिश वाले इलाके में बनाने जा रहा है। चीन का अनुमान है कि इस बांध से 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली हर साल मिलेगी। वहीं अभी बिजली पैदा करने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बांध कहे जाने वाला चीन थ्री जॉर्ज हर साल 88.2 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करता है। चीन के हुबई प्रांत में स्थित थ्री जॉर्ज बांध यांगजी नदी पर बनाया गया है।धरती की स्पीड को प्रभावित कर रहा चीन का बांध
थ्री जॉर्ज बांध में 40 अरब क्यूबिक मीटर पानी है और यह धरती की घूमने की रफ्तार को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से धरती की घूमने की गति में हर दिन 0.06 माइक्रोसेकंड बढ़ रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। इस बांध को सबसे पहले साल 1919 में चीन के पहले राष्ट्रपति सुन यात सेन ने बनाने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा था कि इससे जहां बाढ़ में कमी आएगी, वहीं दुनिया के सामने यह चीन के ताकत का प्रतीक बनेगा। चीन अब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर नया विशालकाय बांध बनाने जा रहा है। चीन का इरादा है कि इस बेहद जटिल इंजीनियरिंग प्राजेक्ट को पूरा करने के लिए चार से लेकर छह तक 30 किमी लंबी सुरंग बनानी होगी।
चीन को यह सुरंग नामचा बरवा पहाड़ के अंदर बनानी होगी ताकि महाशक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के आधे पानी को डायवर्ट किया जा सके। यही नहीं जिस जगह पर यह बांध बनाया जाना है, वहां भूकंप आने का काफी खतरा रहता है। चीन का यह बांध जब पूरा हो जाएगा तो इससे 30 करोड़ लोगों को आसानी से हर साल बिजली दी जा सकेगी। चीन का दावा है कि इस बांध को बनाने के लिए पर्यावरण के मानकों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
भारत और बांग्लादेश दोनों को चीन के बांध से खतरा
चीन ने यह नहीं बताया है कि तिब्बत में इस बांध को बनाने का काम कब शुरू होगा और ठीक-ठीक किस जगह पर इसे बनाया जाएगा। चीन इस ऐलान से भारत के लिए बड़ा खतरा पैदा हा सकता है। यह न केवल सुरक्षा के लिहाज से बल्कि पर्यावरण और आजीविका के लिए है। ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोग जीवन बिताते हैं। बांग्लादेश में इसे सूरमा नदी कहा जाता है। चीन अगर पानी रोकता है तो इन दोनों देशों में सूखा आ सकता है और अगर अचानक से पानी छोड़ता है तो बाढ़ आ सकती है।
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