यूपी के संभल जिले में एक ओर रानी की बावड़ी में खुदाई चल रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने बुधवार को बावड़ी के साथ-साथ फिरोजपुर किले का सर्वे भी किया. डीएम-एसपी के साथ एएसआई की टीम ने किले के अलग-अलग इलाके में जाकर सर्वे किया. इस दौरान किले के गेट पर दीवार लगाकर किए गए अतिक्रमण पर डीएम ने नाराजगी भी जताई.
चंदौसी में रानी की बावड़ी का सर्वे करने के बाद बुधवार शाम को ASI की टीम संभल के फिरोजपुर गांव में स्थित पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित फिरोजपुर किले में सर्वे करने के लिए पहुंची. ASI टीम ने संभल जिले के डीएम, एसपी के साथ पूरे किले के कोने-कोने में जाकर सर्वे किया. इस दौरान किले के गेट पर दीवार लगाकर किए गए अतिक्रमण को लेकर डीएम ने नाराजगी जताई और मौके पर ही दीवार को गिरवा दिया.
ASI की टीम डीएम राजेंद्र पैंसिया, एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई के साथ ही एसडीएम वंदना मिश्रा को लेकर फिरोजपुर किले में पहुंची थी. इस दौरान साइट में शामिल अधिकारियों ने संभल के स्थानीय अधिकारियों से भी बातचीत की. वहीं किले में सर्वे के दौरान एक कुआं दिखाई दिया तो अधिकारियों ने कुएं का भी निरीक्षण किया. अधिकारियों ने कुएं के पूजन को लेकर भी गांव के स्थानीय ग्रामीणों से जानकारी ली और किले के गेट के आसपास के इलाके में किए गए अवैध अतिक्रमण को लेकर भी नाराजगी जताई है.
जागृत कूप और तोता-मैना की कब्र पर पहुंची ASI टीम
ASI टीम ने डीएम, एसपी और एसडीएम के साथ शहजादी सराय में स्थित क्षेमनाथ तीर्थ पर स्थित जागृत कूप का भी सर्वे किया, जहां दो दिन पहले कूप का फर्श तोड़ने पर कूप के अंदर 12 फीट की गहराई पर ही पानी दिखाई दिया था. वहीं मंदिर पर सर्वे के दौरान टीम ने मंदिर के महंत बाल योगी दीनानाथ से भी जानकारी ली है. दूसरी ओर ASI टीम अधिकारियों के साथ कमलपुर सराय इलाके में तोता-मैना की कब्र पर भी पहुंची और निरीक्षण करने के बाद बावड़ी के अंदर सर्वे के लिए पहुंची थी.
डीएम ने क्या बताया?
डीएम राजेंद्र पैंसिया ने आजतक से बातचीत में कहा कि हमारे द्वारा चार स्थलों का सर्वे किया गया है, जिसमें ASI संरक्षित 358 साल पुराने फिरोजपुर का किला, छेमनाथ तीर्थ के अंदर जागृत कूप, तोता-मैना की कब्र और सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जमाने की बावड़ी का भ्रमण किया गया है. आने वाले दिनों में संभल को पर्यटन नगरी घोषित करने की संभावनाओं पर डीएम ने कहा कि भारत में जहां भी संतों, महापुरुषों और अवतारों की नगरी है वह पहले से ही तीर्थ नगरी होती है, उसमें घोषणा की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जब इसको संरक्षित करेंगे तो अपने आप पर्यटक आएंगे और संभल खुद ही तीर्थ नगरी बनेगा.
संभल में रानी की बावड़ी की खुदाई 5 दिन से जारी
बता दें कि संभल के चंदौसी में बीते पांच दिनों से रानी की बावड़ी में खुदाई चल रही है. चंदौसी नगर पालिका के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि ASI के अधिकारी इस स्ट्रक्चर की स्टडी कर रहे हैं और इसकी खुदाई के कार्य को दूसरे तरीके से करने पर विचार कर रहे हैं.उन्होंने बताया कि इसके स्ट्रक्चर की वजह से जेसीबी मशीन से खुदाई नहीं करवाई जा सकती है. इसलिए मैनुअल तरीके से करवाई जा रही है. अब तक सीढ़ीदार कुएं की संरचना स्पष्ट रूप से उभर रही है, लेकिन यह अनुमान लगाना कठिन है कि इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा.
मंदिर मिलने के बाद शुरू हुई थी खुदाई
उन्होंने कहा कि करीब 150 साल पुरानी और 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली यह बावड़ी पिछले सप्ताह चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में खुदाई के दौरान मिली. यह खुदाई 46 सालों तक बंद रहने के बाद 13 दिसंबर को संभल में भस्मशंकर मंदिर के फिर से खुलने के बाद की जा रही है. स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान हुआ था.
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