छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में भारी गड़बड़ी के चलते राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने परीक्षा रद्द करने की घोषणा की है. गृह मंत्री ने कहा, "किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. इस घोटाले में जो भी शामिल होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी."
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर राज्य गृहमंत्री विजय शर्मा ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया. इस भर्ती घोटाले मामले में एक कांस्टेबल की सुसाइड कर लिया था, जिसके बाद जांच तेज हुई.
कैसे शुरू हुआ मामला?
16 नवंबर से राजनांदगांव जिले में पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी. लेकिन 14 दिसंबर को पैसे लेकर पक्षपात करने का मामला सामने आया. 17 दिसंबर को डीएसपी तनुप्रिया ठाकुर ने लालबाग थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. 21 दिसंबर को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल 14 संदिग्ध कांस्टेबलों में से एक ने आत्महत्या कर ली थी. 25 साल के अनिल रत्नाकर ने अपनी हथेली पर एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें कहा गया था, "कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है और अफसरों को बचाया जा रहा है. इसमें सभी शामिल हैं."
गिरफ्तारी और जांच
21 दिसंबर को ही कांस्टेबल भर्ती घोटाले मामले में अब तक चार कांस्टेबल (दो महिला) और हैदराबाद से दो डेटा ऑपरेटर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था. मामले की जांच के लिए आईजी दीपक झा ने एसआईटी का गठन किया. 24 दिसंबर को एक महिला उम्मीदवार को भी गिरफ्तार किया गया है.
कैसे हुई धांधली?
जांच में खुलासा हुआ कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान पैसे लेकर उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाया गया. शॉट पुट इवेंट में उम्मीदवार मीना पात्रे को पहले 11 अंक मिले थे, लेकिन उनके अंक बढ़ाकर 20 कर दिए गए. अभी तक जांच में 3000 से अधिक उम्मीदवारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अंकों की गलत एंट्री का मामला सामने आया है.
क्या है नियम?
पुलिस भर्ती प्रक्रिया में किसी इवेंट में असफल होने पर दोबारा मौका नहीं दिया जाता. लेकिन इस मामले में सभी इवेंट पैसे लेकर पास करवाए गए. यह मामला छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है. जांच जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी.
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