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पटना: 2024 में बिहार की राजनीतिक राहें रपटीली रहीं। पूरे साल बड़े सियासी घटनाक्रम सुर्खियों में रहे। साल के अंत में पूर्णिया से कांग्रेस के बाहुबली सांसद पप्पू यादव को मिली धमकी खबरों में बनी रही। साल के शुरुआत में राजनीतिक संबंधों की एक यादगार कहानी लिखी गई। उसके मुख्य पात्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे। नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ रहते हुए लगातार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते रहे। उन्होंने महागठबंधन के साथ होते हुए भी पूर्व की यूपीए सरकार पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर सवाल खड़ा किया। ऐसा लगा वे धीरे-धीरे बीजेपी के करीब आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री का समर्थन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पीएम मोदी का समर्थन करते रहे। उनके सभी फैसलों पर उन्होंने अपनी सकारात्मक मुहर लगाई। जी-20 की बैठक में शामिल हुए। पीएम से मुलाकात की। उसके बाद वर्ष 2024 की शुरुआत में ही बिहार का सियासी पारा अचानक गर्म हो गया। सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने महागठबंधन में रहने के फैसले पर विचार किया। उन्होंने महागठबंधन से एक झटके में नाता तोड़ लिया। बीजेपी में शामिल हो गए। जनवरी महीने की 28 तारीख को बीजेपी के सहयोग से 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली। इस बार भी वे रिकॉर्ड कायम कर गए।
बीजेपी से मधुर संबंध
बीजेपी के साथ आने के बाद नीतीश कुमार और पीएम मोदी के संबंधों में और प्रगाढ़ता आई। नीतीश कुमार ने 14 बार से ज्यादा सार्वजनिक मंच से कहा कि वे अब इधर- उधर नहीं जाएंगे। अब बीजेपी के साथ ही रहेंगे। उन्होंने पीएम मोदी के सामने मंच पर भी इस बात को दोहराया। लोकसभा चुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक में शामिल होने पहुंचे नीतीश कुमार ने विनम्रता के साथ पीएम मोदी के पैर छूने की कोशिश की। उसके बाद जब भी दोनों नेता मिले, काफी गर्मजोशी से मिले। हालांकि, लोकसभा चुनाव में जेडीयू के 12 सांसदों ने जीत दर्ज की। जेडीयू के समर्थन से केंद्र की सरकार का गठन हुआ।
नीतीश और पीएम मोदी संबंध
नीतीश कुमार को पीएम मोदी ने निराश नहीं किया। लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 16 सीटें दी गईं। गठबंधन पूरी तरह से टिकाऊ अंदाज में चलने लगा। इधर, नीतीश कुमार के कथित भतीजे तेजस्वी यादव ने सियासी यात्रा की शुरुआत कर दी। तेजस्वी यादव 'जन विश्वास यात्रा' पर बिहार भ्रमण पर निकले। इस दौरान तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर रहे। उन्होंने लोगों से आरजेडी के शासनकाल में दी गई नौकरियों की याद दिलाई। इस यात्रा का लाभ लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। आरजेडी को महज 4 सीटों पर जीत मिली।
पावर स्टार पवन सिंह
भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह भी इस दौरान चर्चा में रहे। पवन सिंह ने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठानी। बीजेपी ने उन्हें आसनसोल से टिकट दिया। पवन सिंह ने उसे लौटा दिया। उसके बाद एनडीए के खिलाफ काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। पवन सिंह को सफलता नहीं मिली। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा की हार की कहानी लिख दी। इसके लिए पवन सिंह की आलोचना भी हुई। उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए। हालांकि एनडीए ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया।
चिराग पासवान और चाचा
बिहार की राजनीति में चिराग पासवान लगातार चर्चा में रहे। चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा और पांचों पर जीत हासिल की। चिराग की पार्टी जमुई, हाजीपुर, खगड़िया, समस्तीपुर और वैशाली में जीत गई। इसके उलट उनके चाचा पशुपति पारस का हाल बुरा रहा। पशुपति पारस की स्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें पटना में लोजपा का कार्यालय खाली करना पड़ा। चिराग पासवान ने नारियल तोड़कर उस कार्यालय में प्रवेश किया। चिराग पासवान को धोखा देने वाले चाचा अलग- थलग पड़ गए।
जेडीयू की कमान
बिहार की राजनीति में जेडीयू के कई फैसले भी चर्चा का विषय बने। जेडीयू ने दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चौंकाने वाला फैसला लिया। नीतीश कुमार के करीबी नेता और जेडीयू को बीजेपी से जुड़ने के सूत्रधार माने जाने वाले संजय झा को जेडीयू की कमान सौंप दी। इस बीच कयास लगाए जा रहे थे कि जेडीयू में एक बार फिर नाराजगी का दौर चलेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री डॉ. अशोक चौधरी एक कविता ट्वीट कर सुर्खियों में आ गए। बाद में नीतीश कुमार से मिलकर उन्होंने सफाई दी। पार्टी में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया।
आरसीपी की राजनीति
नीतीश कुमार के करीबी साथी रहे और उनके दाहिने हाथ माने जाने वाले जेडीयू के पूर्व नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भी सुर्खियों में रहे। उन्होंने जेडीयू से इस्तीफा दिया। लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोलने लगे। आरसीपी सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया। उसके बाद कहा जाने लगा कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की जड़ खोंदेंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। नीतीश कुमार ने पलटकर बीजेपी का दामन थाम लिया। इन दिनों आरसीपी सिंह अपना एक नया दल बनाकर सियासी मैदान में खड़े होने की कोशिश में लगे हुए हैं।
जन सुराज की एंट्री
जन सुराज के सूत्रधार और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दिया। पीके ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी को लांच किया। बिहार भर से जुटे हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। बिहार में शराबबंदी हटाने की बात कही। शराब से मिलने वाले राजस्व से बिहार की शिक्षा सुधारने का दावा किया। जन सुराज की राजनीति में एंट्री हो गई। पीके ने बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का वादा किया। हालांकि, हाल में चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में उन्होंने अपने कैंडिडेट उतारे। किसी सीट पर पीके की पार्टी को जीत नहीं मिली। लेकिन बिहार में एक नए राजनीतिक दल की एंट्री जरूर हो गई।
अनंत सिंह और सियासत
2024 में बिहार के कद्दावर नेता और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जमानत दे दी। अनंत सिंह को अगस्त महीने में एके-47 रखने के एक मामले में बरी कर दिया। इस केस में अनंत सिंह को 2016 में जेल जाना पड़ा था। ध्यान रहे कि अनंत सिंह के पटना आवास से 2015 में भी बुलेट प्रूफ जैकेट और राइफल मिला था। अनंत सिंह जेल से बाहर आते ही नीतीश कुमार की तारीफ में जुट गए। उनकी विधायक पत्नी ने विधानसभा में नीतीश कुमार का साथ दिया। अनंत सिंह एक बार फिर सक्रिय हो गए और वो अब क्षेत्र की जनता के बीच समय गुजार रहे हैं।
कांग्रेस सांसद को धमकी
2024 का अंत आते- आते एक बड़ी घटना हुई। पूर्णिया से कांग्रेस सांसद पप्पू यादव को कथित रूप से लॉरेंस बिश्नोई गैंग से धमकी मिलने लगी। पप्पू यादव ने इसे लेकर पुलिस में मामला दर्ज कराया। पप्पू यादव को दर्जनों धमकी मिली। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा बढ़ाने की गुहार लगाई। इसके साथ ही पुलिस ने दिल्ली से एक शख्स को गिरफ्तार किया। बताया गया कि धमकी देने वाले का बिश्नोई गैंग से कोई रिश्ता नहीं है। वहीं बाद में पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार कर खुलासा किया कि आरोपी पप्पू यादव से जुड़ा हुआ है। उसे पार्टी में बड़े पद देने की बात कहकर उससे धमकी दिलाई गई थी।
प्रधानमंत्री का समर्थन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पीएम मोदी का समर्थन करते रहे। उनके सभी फैसलों पर उन्होंने अपनी सकारात्मक मुहर लगाई। जी-20 की बैठक में शामिल हुए। पीएम से मुलाकात की। उसके बाद वर्ष 2024 की शुरुआत में ही बिहार का सियासी पारा अचानक गर्म हो गया। सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने महागठबंधन में रहने के फैसले पर विचार किया। उन्होंने महागठबंधन से एक झटके में नाता तोड़ लिया। बीजेपी में शामिल हो गए। जनवरी महीने की 28 तारीख को बीजेपी के सहयोग से 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली। इस बार भी वे रिकॉर्ड कायम कर गए।बीजेपी से मधुर संबंध
बीजेपी के साथ आने के बाद नीतीश कुमार और पीएम मोदी के संबंधों में और प्रगाढ़ता आई। नीतीश कुमार ने 14 बार से ज्यादा सार्वजनिक मंच से कहा कि वे अब इधर- उधर नहीं जाएंगे। अब बीजेपी के साथ ही रहेंगे। उन्होंने पीएम मोदी के सामने मंच पर भी इस बात को दोहराया। लोकसभा चुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक में शामिल होने पहुंचे नीतीश कुमार ने विनम्रता के साथ पीएम मोदी के पैर छूने की कोशिश की। उसके बाद जब भी दोनों नेता मिले, काफी गर्मजोशी से मिले। हालांकि, लोकसभा चुनाव में जेडीयू के 12 सांसदों ने जीत दर्ज की। जेडीयू के समर्थन से केंद्र की सरकार का गठन हुआ।नीतीश और पीएम मोदी संबंध
नीतीश कुमार को पीएम मोदी ने निराश नहीं किया। लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 16 सीटें दी गईं। गठबंधन पूरी तरह से टिकाऊ अंदाज में चलने लगा। इधर, नीतीश कुमार के कथित भतीजे तेजस्वी यादव ने सियासी यात्रा की शुरुआत कर दी। तेजस्वी यादव 'जन विश्वास यात्रा' पर बिहार भ्रमण पर निकले। इस दौरान तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर रहे। उन्होंने लोगों से आरजेडी के शासनकाल में दी गई नौकरियों की याद दिलाई। इस यात्रा का लाभ लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। आरजेडी को महज 4 सीटों पर जीत मिली।पावर स्टार पवन सिंह
भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह भी इस दौरान चर्चा में रहे। पवन सिंह ने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठानी। बीजेपी ने उन्हें आसनसोल से टिकट दिया। पवन सिंह ने उसे लौटा दिया। उसके बाद एनडीए के खिलाफ काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। पवन सिंह को सफलता नहीं मिली। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा की हार की कहानी लिख दी। इसके लिए पवन सिंह की आलोचना भी हुई। उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए। हालांकि एनडीए ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया।चिराग पासवान और चाचा
बिहार की राजनीति में चिराग पासवान लगातार चर्चा में रहे। चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा और पांचों पर जीत हासिल की। चिराग की पार्टी जमुई, हाजीपुर, खगड़िया, समस्तीपुर और वैशाली में जीत गई। इसके उलट उनके चाचा पशुपति पारस का हाल बुरा रहा। पशुपति पारस की स्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें पटना में लोजपा का कार्यालय खाली करना पड़ा। चिराग पासवान ने नारियल तोड़कर उस कार्यालय में प्रवेश किया। चिराग पासवान को धोखा देने वाले चाचा अलग- थलग पड़ गए।जेडीयू की कमान
बिहार की राजनीति में जेडीयू के कई फैसले भी चर्चा का विषय बने। जेडीयू ने दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चौंकाने वाला फैसला लिया। नीतीश कुमार के करीबी नेता और जेडीयू को बीजेपी से जुड़ने के सूत्रधार माने जाने वाले संजय झा को जेडीयू की कमान सौंप दी। इस बीच कयास लगाए जा रहे थे कि जेडीयू में एक बार फिर नाराजगी का दौर चलेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री डॉ. अशोक चौधरी एक कविता ट्वीट कर सुर्खियों में आ गए। बाद में नीतीश कुमार से मिलकर उन्होंने सफाई दी। पार्टी में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया।आरसीपी की राजनीति
नीतीश कुमार के करीबी साथी रहे और उनके दाहिने हाथ माने जाने वाले जेडीयू के पूर्व नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भी सुर्खियों में रहे। उन्होंने जेडीयू से इस्तीफा दिया। लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोलने लगे। आरसीपी सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया। उसके बाद कहा जाने लगा कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की जड़ खोंदेंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। नीतीश कुमार ने पलटकर बीजेपी का दामन थाम लिया। इन दिनों आरसीपी सिंह अपना एक नया दल बनाकर सियासी मैदान में खड़े होने की कोशिश में लगे हुए हैं।जन सुराज की एंट्री
जन सुराज के सूत्रधार और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दिया। पीके ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी को लांच किया। बिहार भर से जुटे हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। बिहार में शराबबंदी हटाने की बात कही। शराब से मिलने वाले राजस्व से बिहार की शिक्षा सुधारने का दावा किया। जन सुराज की राजनीति में एंट्री हो गई। पीके ने बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का वादा किया। हालांकि, हाल में चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में उन्होंने अपने कैंडिडेट उतारे। किसी सीट पर पीके की पार्टी को जीत नहीं मिली। लेकिन बिहार में एक नए राजनीतिक दल की एंट्री जरूर हो गई।अनंत सिंह और सियासत
2024 में बिहार के कद्दावर नेता और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जमानत दे दी। अनंत सिंह को अगस्त महीने में एके-47 रखने के एक मामले में बरी कर दिया। इस केस में अनंत सिंह को 2016 में जेल जाना पड़ा था। ध्यान रहे कि अनंत सिंह के पटना आवास से 2015 में भी बुलेट प्रूफ जैकेट और राइफल मिला था। अनंत सिंह जेल से बाहर आते ही नीतीश कुमार की तारीफ में जुट गए। उनकी विधायक पत्नी ने विधानसभा में नीतीश कुमार का साथ दिया। अनंत सिंह एक बार फिर सक्रिय हो गए और वो अब क्षेत्र की जनता के बीच समय गुजार रहे हैं।कांग्रेस सांसद को धमकी
2024 का अंत आते- आते एक बड़ी घटना हुई। पूर्णिया से कांग्रेस सांसद पप्पू यादव को कथित रूप से लॉरेंस बिश्नोई गैंग से धमकी मिलने लगी। पप्पू यादव ने इसे लेकर पुलिस में मामला दर्ज कराया। पप्पू यादव को दर्जनों धमकी मिली। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा बढ़ाने की गुहार लगाई। इसके साथ ही पुलिस ने दिल्ली से एक शख्स को गिरफ्तार किया। बताया गया कि धमकी देने वाले का बिश्नोई गैंग से कोई रिश्ता नहीं है। वहीं बाद में पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार कर खुलासा किया कि आरोपी पप्पू यादव से जुड़ा हुआ है। उसे पार्टी में बड़े पद देने की बात कहकर उससे धमकी दिलाई गई थी।बिहार विधानसभा चुनाव 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अब राज्य में सियासी सरगर्मी तेज है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला संवाद यात्रा पर निकलने की तैयारी की। इसी बीच लालू यादव ने मीडिया में बयान दिया कि नीतीश कुमार अपनी आंख सेंकने जा रहे हैं। इतना बवाल हुआ कि नीतीश कुमार को अपनी यात्रा का नाम बदलना पड़ा। अब मुख्यमंत्री प्रगति यात्रा के नाम से बिहार का दौरा करेंगे। विधानसभा चुनाव को लेकर पहले से तेजस्वी यादव संवाद यात्रा कर रहे हैं। वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी यात्रा पर निकले हुए हैं। प्रशांत किशोर भी चुनावी मोड में नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर बिहार आने वाले दिनों में प्रदेश की सियासत चर्चा के केंद्र में बनी रहेगी।
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