दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की लंबित रिपोर्ट नहीं पेश करने के मामले में गहरी चिंता जताई है.
उपराज्यपाल ने कहा कि यह रिपोर्टें कई सालों से लंबित हैं और इस संबंध में लगातार उनकी तरफ से मुख्यमंत्री से अनुरोध किए जाते रहे हैं. इससे पहले उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विधानसभा अध्यक्ष को भी इस संबंध में पत्र लिखा था.
'सार्वजनिक जांच टालने की कोशिश'
उपराज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा, 'आपकी सरकार जो पारदर्शिता और जवाबदेही के आधार पर सत्ता में आई थी, वह खर्चों की सार्वजनिक जांच को टालने का प्रयास कर रही है.'
उन्होंने कहा कि CAG की रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करना संवैधानिक ढांचा के अंतर्गत सरकार की जिम्मेदारी है. संविधान के अनुच्छेद 151 और दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के तहत यह आवश्यक है कि उपराज्यपाल इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करें.
उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि CAG सिर्फ वित्तीय लेन-देन की गणना नहीं करता, बल्कि सार्वजनिक खर्चों की प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन करता है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कई बार इस मुद्दे पर चर्चा की थी और कहा था कि सरकार की यह कार्रवाई संवैधानिक अनुपयुक्तता का परिचायक है.
उपराज्यपाल ने मौजूदा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री आतिशी से अपील कि वे CAG की रिपोर्टों को पेश कर सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखें. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उपराज्यपाल ने उम्मीद जताई कि आतिशी इस संदर्भ में उनके सुझावों का पालन करेंगी और विधानसभा में रिपोर्ट पेश करेंगी.
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