मेयर से मुख्यमंत्री, फिर डिप्टी सीएम और अब शानदार कमबैक! कैसा रहा फडणवीस का कार्यकाल

Devendra Fadnavis In Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे में महायुति की बड़ी जीत के बाद नई सरकार में भाजपा का मुख्यमंत्री और बाकी दोनों प्रमुख घटकों शिवसेना और एनसीपी से एक-एक उपमुख्यमंत्रियों के फार्मूले पर सहमति बन चुकी है.

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Devendra Fadnavis In Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे में महायुति की बड़ी जीत के बाद नई सरकार में भाजपा का मुख्यमंत्री और बाकी दोनों प्रमुख घटकों शिवसेना और एनसीपी से एक-एक उपमुख्यमंत्रियों के फार्मूले पर सहमति बन चुकी है. एकनाथ शिंदे ने खुद प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री पद से दावा छोड़ा और अजित पवार पहले से भाजपा और देवेंद्र फडणवीस को बिना शर्त समर्थन दे चुके हैं.

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस सबसे मजबूत दावेदार

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में गुरुवार देर शाम भाजपा आलाकमान के साथ महायुति के तीनों नेता महाराष्ट्र में सरकार गठन पर बातचीत कर रहे हैं. इसके आगे महज औपचारिक घोषणाएं बाकी हैं. इस बीच, महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभरे देवेंद्र फडणवीस ने अपने पॉलिटिकल करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. आइए, जानते हैं कि फडणवीस के अब तक के राजनीतिक सफर कैसा रहा है? साथ ही मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और उनकी उपलब्धियां क्या हैं?

महायुति (भाजपा, शिवसेना, राकांपा) की मजबूत कड़ी के रूप में स्थापित नेता

महाराष्ट्र में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने खुद को महायुति (भाजपा, शिवसेना, राकांपा) में एक मजबूत कड़ी के रूप में स्थापित किया है. इस गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में राज्य की कुल 288 सीटों में से 234 सीटें हासिल की हैं. महायुति की जीत फडणवीस की राजनीतिक और व्यक्तिगत जीत का भी प्रतीक है. वह 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई प्रमुख उपलब्धियां हासिल कीं. हालांकि, 2019 में उनके लिए चुनौतियां बढ़ गईं.

नगर पार्षद से मुख्यमंत्री तक देवेंद्र फडणवीस का बढ़ता सियासी सफर

महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक राजनीतिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे फडणवीस ने बहुत कम उम्र में ही अपना राजनीतिक जीवन शुरू कर दिया था. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), जनसंघ और बाद में भाजपा के नेता स्वर्गीय गंगाधर फडणवीस के पुत्र हैं. नागपुर के राजनेता और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी गंगाधर फडणवीस को अपना "राजनीतिक गुरु" कहते हैं.

देवेंद्र फडणवीस 1989 में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए. 22 साल की उम्र में वे नागपुर नगर निगम में पार्षद बने और 1997 में 27 साल की उम्र में इसके सबसे युवा मेयर बने. 1999 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने इसके बाद के तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की. फडणवीस वर्तमान में महाराष्ट्र विधानसभा में नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.

चार दशकों में महाराष्ट्र के पहले ब्राह्मण मुख्यमंत्री के रूप में रचा इतिहास

साल 2014 में उन्होंने लगभग चार दशकों में महाराष्ट्र के पहले ब्राह्मण मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास रच दिया. महाराष्ट्र के अंतिम ब्राह्मण मुख्यमंत्री शिवसेना के मनोहर जोशी थे. देवेंद्र फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने एक बार एक चुनावी रैली में कहा था कि "देवेंद्र देश को नागपुर का उपहार हैं." साल 2014 में देश में मोदी लहर के दौरान, लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में आक्रामक प्रचार का श्रेय भी फडणवीस को ही जाता है. इसलिए उन्हें बाद में महाराष्ट्र का सीएम चुना गया. महाराष्ट्र में राजनीतिक स्पेक्ट्रम के कुछ नेताओं के उलट फडणवीस भ्रष्टाचार के आरोपों से बेदाग रहे हैं.

फडणवीस सरकार की प्रमुख उपलब्धियां क्या-क्या रही हैं?

देवेंद्र फडणवीस को कथित सिंचाई घोटाले को लेकर पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार को मुश्किल में डालने का क्रेडिट दिया जाता है. फडणवीस का कार्यकाल विकास समर्थक नीतियों से परिभाषित किया जाता था. इनमें महत्वाकांक्षी मुंबई मेट्रो विस्तार, जलयुक्त शिवार जल संरक्षण योजना और महाराष्ट्र को एक ट्रिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलने के प्रयास शामिल हैं.

मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई स्थित कई राजनीतिक विश्लेषकों ने फडणवीस को कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के फंड को कुछ ग्रामीण कल्याण योजनाओं पर निर्देशित करने का श्रेय दिया है. उनकी सरकार ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक वैश्विक वित्तीय केंद्र की योजना बनाकर और इसे सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठाए. उन्होंने वित्तीय और कानूनी ढांचे में सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए उद्योग विशेषज्ञों के साथ एक समिति नियुक्त करके मुंबई में एक अंतर्राष्ट्रीय वित्त केंद्र की अवधारणा को पुनर्जीवित किया.

उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा क्षेत्र में कुछ प्रमुख निर्णय में छात्रों के स्कूल बैग के वजन को बच्चे के वजन के 10 फीसदी तक सीमित करना और निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों द्वारा पेश किए जाने वाले व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में फीस और प्रवेश को विनियमित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना था. लेकिन फडणवीस का कार्यकाल चुनौतियों से भी भरा था. उनकी सरकार को किसान संकट, बेरोजगारी और गंभीर सूखे के दौरान अपर्याप्त राहत उपायों के मुद्दों पर विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा.

2019 में फडणवीस को सीएम से डिप्टी सीएम क्यों बनना पड़ा?

साल 2019 में फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि, उनका कार्यकाल छोटा रहा, क्योंकि भाजपा की अहम सहयोगी शिवसेना ने अप्रत्याशित रूप से विपक्ष के साथ गठबंधन करके एनडीए के पूर्ण बहुमत हासिल करने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक दिया. लेकिन शिवसेना से हिसाब बराबर करने के लिए फडणवीस ने एनसीपी के अजित पवार के साथ गठबंधन किया और जल्दबाजी में सरकार बना ली. उन्होंने सीएम और डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ भी ले ली.

हालांकि, उनकी सरकार महज 80 घंटे ही चल पाई, क्योंकि महाराष्ट्र के मास्टर रणनीतिकार शरद पवार ने अपने भतीजे अजित को विपक्ष में वापस जाने के लिए राजी कर लिया. इससे फडणवीस की राजनीतिक ताकत को गहरा झटका लगा.

साल 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद, जब भाजपा सरकार ने महाराष्ट्र में अपनी सत्ता वापस हासिल की, तो उम्मीदें बहुत ज्यादा थीं कि फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन भाजपा ने उद्धव ठाकरे को मात देने के लिए मराठा नेता और नई शिवसेना के प्रमुख एकनाथ शिंदे को सीएम पद देने का फैसला किया. फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया, जिसे उन्होंने विनम्रता से स्वीकार किया.

महाराष्ट्र में फडणवीस ने कैसे भाजपा की जीत सुनिश्चित की?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवेंद्र फडणवीस के कई समर्थक इस बात से नाराज़ हैं कि उनके नेता को पांच साल तक सीएम पद से दूर रखा गया, जबकि चाहे वह शिवसेना को विभाजित करना हो या शरद पवार की नाक के नीचे से अजित पवार को दोबारा अपने पाले में लाना हो, उन्होंने बार-बार अपनी योग्यता साबित की है.

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द इंडियन एक्सप्रेस ने भाजपा के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में लिखा है कि फडणवीस को इस तरह की अनदेखी उनके समर्थकों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा थी, जिन्होंने अपने नेता को सीएम के रूप में वापस लाने के लिए 100 सीटों के आंकड़े के करीब पहुंचने की दिशा में काम किया. पार्टी नेताओं का कहना है कि फडणवीस ने 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद हतोत्साहित कैडर को प्रोत्साहित करने में भी बड़ी भूमिका निभाई. लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने 2019 के चुनाव में जीती गई 23 सीटों में से केवल नौ सीटें हासिल की थीं.

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सीएम पद पर फडणवीस के लिए क्यों है आरएसएस का पूरा समर्थन?

देवेंद्र फडणवीस का आरएसएस के साथ घनिष्ठ संबंध है. क्योंकि संघ का मुख्यालय नागपुर में है और उसका शीर्ष नेतृत्व और कई पदाधिकारी महाराष्ट्र से हैं और मराठी हैं. माना जाता है कि आरएसएस ने निश्चित रूप से उनकी वापसी के लिए भाजपा पर दबाव डाला है. आरएसएस द्वारा सीएम पद के लिए फडणवीस का समर्थन किए जाने की संभावना है, न केवल इसलिए कि यह महायुति की जोरदार चुनावी जीत थी, बल्कि इसलिए भी कि भाजपा ने चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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