वो कानून जिसके दमपर असदुद्दीन ओवैसी अजमेर दरगाह के मामले में बन रहे दरोगा?

Obsidian owaisi on Worship Act 1991: उत्तर प्रदेश के संभल में शाही मस्जिद का सर्वे के बाद बवाल अभी थमा ही था कि इसी के बाद अब राजस्थान के अजमेर जिले में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर मामला कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले पर AIMIM के प्रम

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Obsidian owaisi on Worship Act 1991: उत्तर प्रदेश के संभल में शाही मस्जिद का सर्वे के बाद बवाल अभी थमा ही था कि इसी के बाद अब राजस्थान के अजमेर जिले में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर मामला कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले पर AIMIM के प्रमुख असदद्दुीन ओवैसी ने कहा, ये अदालतों का कानूनी फर्ज है के वो 1991 एक्ट को अमल में लाए बहुत ही अफसोसनाक बात है के हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.

सबसे पहले देखें असदद्दुीन ओवैसी का ट्वीट:-

सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं। उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह। कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है। 1991 का इबादतगाहों का… https://t.co/ZJvUnOtwCw

— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 27, 2024

ओवैसी ने क्या कहा? असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, सुल्तान-ए-हिन्द ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गए, लेकिन ख्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है.

1991 का इबादतगाहों का कानून साफ कहता है के किसी भी इबादतगाह की मजहबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी. ये अदालतों का कानूनी फर्ज है के वो 1991 एक्ट को अमल में लाए, बहुत ही अफसोसनाक बात है के हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.

अब जानें किस कानून के दमपर ओवैसी भर रहे हुंकार जब भी कोई मस्जिद पर मंदिर होने का दावा होता है, ओवैसी 1991 एक्ट के दमपर अपनी बात रखते हैं. जानें क्या है यह कानून. इस कानून का नाम है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991.

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991(Places of Worship Act 1991)? प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट1991 का पूजा अधिनियम 15 अगस्त 1947 से पहले सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की बात कहता है. वह चाहे मस्जिद हो, मंदिर, चर्च या अन्य सार्वजनिक पूजा स्थल. वे सभी उपासना स्थल इतिहास की परंपरा के मुताबिक ज्यों का त्यों बने रहेंगे. उसे किसी भी अदालत या सरकार की तरफ से बदला नहीं जा सकता. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का कानून क्यों बनाया गया था? यह अधिनियम पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय आया था, तब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा, बिहार में उनकी गिरफ्तारी और उत्तर प्रदेश में कारसेवकों पर गोलीबारी ने सांप्रदायिक तनाव बढ़ा दिया था.

इसी दौरान संसद में विधेयक को पेश करते हुए तत्कालीन गृहमंत्री एस बी चव्हाण ने कहा था सांप्रदायिक माहौल को खराब करने वाले पूजा स्थलों के रूपांतरण के संबंध में समय-समय पर उत्पन्न होने वाले विवादों को देखते हुए इन उपायों को लागू करना आवश्यक है. लेकिन तब के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया था.

अब जानें दरगाज अजमेर शरीफ पर क्यों है विवाद? राजस्थान में अजमेर (Ajmer) की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह (Khwaja Moinuddin Chishti Dargah) में संकट मोचन महादेव मंदिर (Sankat Mochan Mahadev Temple) होने का दावा करते हुए अजमेर सिविल कोर्ट (Ajmer Civil Court) में लगाई गई याचिका को कोर्ट ने सुनने योग्य माना है. यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से याचिका लगाई गई. सिविल कोर्ट (वेस्‍ट) के जज मनमोहन चंदेल ने यह दावा करती याचिका को स्‍वीकार कर लिया है. इसी के बाद कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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